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92 साल से हो रहा है कॉमनवेल्थ गेम्स का आयोजन, 2010 में भारत ने लगाया था पदकों का 'शतक'

Commonwealth Games: 1934 के कॉमनवेल्थ गेम्स में हिस्सा लेने के बाद फिर भारतीय एथलीट पदक के लिए तरस गए थे। भारतीय एथलीट अन्य देशों के मुकाबले पिछड़ते चले गए थे। लेकिन फिर 1958 में भारत की तरफ से मिल्खा सिंह ने स्वर्ण पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया था। उसके बाद वो फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर हो गए। मिल्खा सिंह ने भारतीय एथलीटों का हौसला बढ़ा दिया था।

Suryakant Soni
Written By Suryakant Soni
Published on: 28 July 2022 9:59 AM GMT
Commonwealth Games
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Commonwealth Games: बर्मिंघम में गुरुवार से कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 का आगाज हो रहा है। कॉमनवेल्थ गेम्स का इतिहास 92 साल पुराना है। कॉमनवेल्थ गेम्स को पहले ब्रिटिश इम्पायर गेम्स के नाम से जाना जाता था। इसकी शुरुआत 1930 में हुई थी। लेकिन भारत ने 1934 में कॉमनवेल्थ गेम्स में पहली बार हिस्सा लिया था। शुरुआत में भारत की तरफ से सिर्फ 6 एथलीट ने इसमें हिस्सा लिया था। लेकिन धीरे-धीरे भारतीय खिलाड़ियों का इसके प्रति रूझान काफी बढ़ा था। पिछले दो दशक से भारत कॉमनवेल्थ गेम्स में सुपरपावर बनकर उभरा है। चलिए जानते हैं कॉमनवेल्थ गेम्स के इतिहास में अब तक भारत का प्रदर्शन कैसा रहा है। इसके साथ ही कॉमनवेल्थ गेम्स से जुडी कुछ रोचक बातें...

1934 में पहली बार भारत ने लिया हिस्सा:

कॉमनवेल्थ गेम्स की शुरूआत वैसे तो 1930 में हुई थी लेकिन भारत ने पहली बार इसमें 1934 में हिस्सा लिया था। लंदन कॉमनवेल्थ गेम्स में भारतीय दल में छह एथलीट शामिल हुए थे। उस साल भारत ने पहली बार मेडल भी जीता था। देश को कॉमनवेल्थ गेम्स में पहला पदक दिलाने वाले पहलवान राशिद अनवर थे। पहलवान राशिद रेसलिंग में कई बार नेशनल चैंपियन रहे थे। उन्होंने 1934 के कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को पहला पदक दिलाया था। पहलवान राशिद अनवर ने देश के लिए पहली बार ब्रॉन्ज मेडल जीता था।

1958 में मिल्खा सिंह ने रचा इतिहास:

1934 के कॉमनवेल्थ गेम्स में हिस्सा लेने के बाद फिर भारतीय एथलीट पदक के लिए तरस गए थे। भारतीय एथलीट अन्य देशों के मुकाबले पिछड़ते चले गए थे। लेकिन फिर 1958 में भारत की तरफ से मिल्खा सिंह ने स्वर्ण पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया था। उसके बाद वो फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर हो गए। मिल्खा सिंह ने भारतीय एथलीटों का हौसला बढ़ा दिया था। उस साल भारत के खाते में तीन मेडल आए थे। उसके बाद फिर भारतीय एथलीट ने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। हर बार कॉमनवेल्थ गेम्स में देश के एथलीट पदक लाने लगे। उसके बाद 1990 में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत के खिलाड़ियों ने 13 गोल्ड मेडल जीतकर दुनिया को हैरान कर दिया।

21वीं सदी में दुनिया ने देखी भारत की ताकत:

भारत के एथलीटों ने 21वीं सदी में दुनिया को कॉमनवेल्थ गेम्स में अपनी ताकत दिखाई। 2002 में मेनचेस्टर में हुए गेम्स में भारत ने 69 पदक जीतकर वर्ल्ड रिकॉर्ड कायम किया। लेकिन भारतीय खिलाड़ियों ने अपनी असली ताकत तो दुनिया को 2010 में दिखाई। अब तक भारत का सबसे शानदार प्रदर्शन दिल्ली में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में रहा था। 2010 में हुए राष्ट्रमंडल खेलों में भारत ने कुल 101 पदक जीते थे, जिसमें 39 स्वर्ण, 26 रजत और 36 कांस्य पदकों के साथ दूसरे स्थान पर रहा। 2000 के बाद से भारत लगातार पॉइंट्स टेबल में टॉप 5 देशों में रहा है।

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