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भारत-चीन तनाव: चीनी कंपनी से करार पर BCCI का बड़ा बयान, कह दी ऐसी बात
बीसीसीआई ने साफ-साफ कहा है कि वो आईपीएल के प्रायोजक वीवो से करार खत्म नहीं करेगी। बीसीसीआई ने कहा कि वो अगले दौर के लिये अपनी प्रायोजन नीति की समीक्षा के लिये तैयार है।
नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच लद्दाख क्षेत्र के गलवान घाटी में हिंसक झड़प हुई है। इस हिंसक झड़प के बाद लद्दाख में एलएसी पर चीन और भारत के बीच तनाव चरम पर है। चीन की हरकतों पर देश में आक्रोश हैं। देशभर में लोग चीन के राष्ट्रपति और चीनी सामानों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। तो वहीं बीसीसीआई चीनी कंपनी के साथ करार खत्म करने मना कर दिया है।
बीसीसीआई ने साफ-साफ कहा है कि वो आईपीएल के प्रायोजक वीवो से करार खत्म नहीं करेगी। बीसीसीआई ने कहा कि वो अगले दौर के लिये अपनी प्रायोजन नीति की समीक्षा के लिये तैयार है, हालांकि आईपीएल के मौजूदा टाइटल प्रायोजक वीवो (VIVO IPL) से करार खत्म नहीं होगा। इसके साथ ही बोर्ड के कोषाध्यक्ष अरूण धूमल ने कहा कि आईपीएल में चीनी कंपनी से आ रहे पैसे से भारत को ही फायदा हो रहा है, चीन को नहीं।
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हालांकि धूमल ने कहा कि आईपीएल जैसे भारतीय टूर्नामेंटों के चीनी कंपनियों द्वारा प्रायोजन से देश को ही फायदा मिल रहा है। बीसीसीआई को वीवो से सालाना 440 करोड़ रूपये मिलते हैं जिसके साथ पांच साल का करार 2022 में खत्म होगा। बीसीसीआई ने कहा कि अगर सरकार भारत में चीनी फोन की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लेती है, तो बोर्ड इसका पालन करेगा और वीवो को टाइटल स्पॉन्सर से हटा दिया जाएगा।
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'भारत का फायदा हो रहा है, चीन का नहीं'
धूमल ने कहा कि जज्बाती तौर पर बात करने से तर्क पीछे रह जाता है। उन्होंने कहा कि हमें समझना होगा कि हम चीन के हित के लिये चीनी कंपनी के सहयोग की बात कर रहे हैं या भारत के हित के लिये चीनी कंपनी से सहायता ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब हम भारत में चीनी कंपनियों को उनके उत्पाद बेचने की अनुमति देते हैं तो जो भी पैसा वे भारतीय उपभोक्ता से ले रहे हैं, उसमें से कुछ बीसीसीआई को ब्रांड प्रचार के लिये दे रहे हैं। बीसीसीआई सरकार को अपने राजस्व का 40 प्रतिशत टैक्स देता है, जिसका उपयोग देश और देशवासियों के लाभ के लिए किया जाता है। इससे भारत का फायदा हो रहा है, चीन का नहीं।
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पिछले साल सितंबर तक मोबाइल कंपनी ओप्पो भारतीय टीम की प्रायोजक थी, लेकिन उसके बाद बेंगलुरू स्थित शैक्षणिक स्टार्टअप बायजू ने चीनी कंपनी की जगह ली। धूमल ने कहा कि वह चीनी उत्पादों पर निर्भरता कम करने के पक्ष में हैं, लेकिन जब तक उन्हें भारत में व्यवसाय की अनुमति है, आईपीएल जैसे भारतीय ब्रांड का उनके द्वारा प्रायोजन किये जाने में कोई बुराई नहीं है।