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यूपी छोड़ बड़ोदा से खेलेगी क्रिकेटर दीप्ति शर्मा, यूपी की अनदेखी बनी इसकी वजह
आगरा: मात्र नौ साल की उम्र में भाई को खेलते देखने गई एक लड़की के पास अचानक गेंद आई और जब उसने गेंद को वापस फेंका तो उसकी जिंदगी बदल गई। एक बार गेंद फेंकने के बाद आज वो लड़की इंडियन महिला क्रिकेट टीम की शान बन गई, लेकिन प्रदेश में उसकी अपेक्षा ने आखिरकार उसे दूसरे प्रदेश की टीम में शामिल होने को मजबूर कर दिया।
हम बात कर रहे हैं आगरा की महिला क्रिकेटर दीप्ति शर्मा की, जिनकी परफॉर्मेंस की तारीफ खुद क्रिकेट के भगवान मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर भी कर चुके हैं। इस बार बीते वर्ल्ड कप में लाजवाब प्रदर्शन कर पूरे विश्व मे भारत को दूसरा स्थान दिला चुकी हैं।
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बता दें कि वर्ड कप के बाद दीप्ति ने यूपी क्रिकेट एसोसिएशन से यूपी टीम छोड़कर दूसरी टीम से खेलने की एनओसी मांगी थी, जो अब उन्हें मिल गई है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कानपुर में यूपीसीए के सीईओ दीपक शर्मा ने इसकी पुष्टि की है। इससे पहले उन्हें एसोसिएशन के कई पदाधिकारियों ने काफी समझाया पर उन्होंने पक्का इरादा कर लिया था और अब एनओसी के बाद वो बड़ोदा की टीम से खेलेंगी। दीप्ति के रेलवे की ओर से नौकरी के ऑफर को ज्वाइन करने की सूचना के बाद रेलवे की ओर से खेलने के भी कयास लगाए जा रहे हैं।
दीप्ति एक कुशल बल्लेबाज के साथ लाजवाब बॉलर भी हैं। भारतीय टीम के वर्डकप फाइनल तक पहुंचने में इनका योगदान कही से अनदेखा नहीं किया जा सकता है। दीप्ति के भाई सुमित उर्फ बाला के अनुसार दीप्ति अब इस सत्र से यूपी से नहीं खेलेगी। उन्होंने इसके लिए एनओसी मांगी थी, जो यूपीसीए से मिल चुकी है।
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आगरा के एक वरिष्ठ खिलाड़ी का कहना है कि उनकी बात हुई थी और दीप्ति को अन्य प्रदेशों की खिलाड़ियों जैसा मान सम्मान नहीं मिला। इसलिए वो अब यूपी की बजाए दूसरे प्रदेश जाना चाहती हैं। फिलहाल दीप्ति के परिजनों ने किसी पर आरोप नहीं लगाए हैं। अभी 4 अक्टूबर को दीप्ति ने आगरा में कॉमनवेल्थ की बेटन रिले की मेजबानी में प्रतिभाग किया था। यूपी सरकार ने उन्हें महिला दिवस पर आठ लाख रुपए का पुरस्कार भी दिया था।
दीप्ति का क्रिकेटर बनने का सफर सुनने में किसी फिल्म की कहानी जैसा है पर यह भारतीय महिला क्रिकेट टीम की आल राउन्डर दीप्ति शर्मा की सच्ची कहानी है। सन 2014 से भारतीय महिला क्रिकेट टीम का हिस्सा बनी हुई दीप्ति शर्मा आज एक जाना पहचाना नाम है। दीप्ति के क्रिकेटर बनने की कहानी भी फ़िल्मी ही है।
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दीप्ति के पिता भगवान सिंह की माने तो दीप्ति का भाई बाला यूपी लेवल का क्रिकेटर रह चुका है। आज से दस साल पहले दीप्ति मात्र नौ साल की थी पर उसे भाई का क्रिकेट खेलना बहुत अच्छा लगता था। भाई एकलव्य स्टेडियम प्रैक्टिस करने जाता था, तो एक दिन दीप्ति ने रोना शुरू कर दिया कि उसे भी भाई का खेल देखने जाना है। पिता के कहने पर भाई दीप्ति को स्टेडियम लेकर गया और किनारे बिठा कर प्रैक्टिस करने लगा। उस समय आगरा की रहने वाली इंडियन महिला टीम की क्रिकेटर (वर्तमान में नेशनल सेलेक्टर) हेमलता काला वहां बच्चों को सिखाने आई हुई थी।
एक बार बॉल दीप्ति के पास आकर गिरी तो दीप्ति ने बाल उठा कर वापस थ्रो किया, जो सीधा सिंगल स्टम्प पर लगा। हेमलता ने तुरंत उससे दो बार और थ्रो करवाया तो दोनों बार स्टम्प हिट हुआ और हेमलता ने उससे पूछा की कब से खेल रही हो। जवाब में दीप्ति ने बताया कि वो अपने भाई का खेल देखने आई है। हेमलता ने तुरंत बाला को बुलाया और कहा कि इस लड़की को क्रिकेट खिलवाओ। देखना एक दिन यह इंडिया की टीम में खेलेगी। भाई ने उनकी बात पिता को बताई और पिटा ने इजाजत दे दी और बस दीप्ति का क्रिकेट का सफ़र शुरू हो गया।
दीप्ति के पिता श्री भगवान रेलवे में रिटायर्ड हैं और मां सुशीला एक प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापिका हैं। दीप्ति के मां और पिता दोनों ही दीप्ति को देवी मां का वरदान मानते हैं और उनके अनुसार उनकी बेटी ने बेटों से ज्यादा नाम कमाया है। पड़ोसी दीप्ति के वर्ल्ड कप खेलने जाने के समय उसका भव्य स्वागत करने की तैयारी कर रहे हैं और अब मोहल्ले वाले अपने घर का पता दीप्ति के नाम से बताते हैं। दीप्ति को देख कर हमें यकीन होता है कि बेटियां किसी से कम नही हैं। जब दीप्ति शुरू में खेलने जाती थी तो पड़ोसी और रिश्तेदार ताने देते थे कि कहां जाती है? आप अकेले भेज देते हो? पर आज वहीं लोग तारीफ़ करते हैं।
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दीप्ति के भाई बाला जो अब एक क्रिकेट अकेडमी चलाते हैं। वो कहते हैं कि दीप्ति का खेल देख कर गर्व होता है कि वो मेरी बहन है और आज मुझसे बहुत आगे है।
दीप्ति ने बातचीत में कहा कि पहले सपना था कि क्रिकेट खेलूं फिर प्रदेश के लिए खेलूं। उसके बाद इंडिया के लिए खेलूं और अब वर्ल्ड कप के लिए खेलूं। दीप्ति ने कहा कि आज लड़कियां किसी से कम नही हैं, पर परिवार का सपोर्ट जरुरी है, आज बच्चो में टैलेंट है पर टैलेंट निकल नहीं पा रहा है।
उसके लिए परिवार का सपोर्ट जरुरी है।
दीप्ति अपनी कामयाबी का श्रेय कोच विपिन अवस्थी और भाई बाला को देती हैं। उनके अनुसार अगर यह दोनों नहीं होते तो वो यहां तक नहीं पहुंच सकती थी।
दीप्ति की उपलब्धियां दीप्ति ने 2010 में यूपी अंडर 19 टीम में खेलना शुरू किया। परफॉर्मेंस अच्छी होने पर उसे सीनियर टीम में भी खिलाया जाने लगा। 2011 में विदर्भ के खिलाफ दीप्ति ने पहली सेंच्युरी नाबाद 114 मारी।
वर्ष 2016 में अंडर 19 खेलते हुए दीप्ति ने छत्तीस गढ़ के खिलाफ वन डे में 175 रन बनाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। इसके बाद दीप्ति ने 19 फरवरी 2016 में रांची में श्रीलंका के खिलाफ खेलते हुए 9.2 ओवर में बीस रन देकर छह विकेट लेकर विश्व रिकॉर्ड बनाया।
दीप्ति को अखिलेश यादव ने रानी लक्ष्मी बाई पुरस्कार से नवाजा था, तो अभी बीती फरवरी माह में श्रीलंका में वर्ल्ड कप क्वालीफाइंग मैच में साउथ अफ्रीका के खिलाफ नाबाद 72 रन जोड़े, जिस पर उन्हें बीसीसीअई ने जगमोहन डालमिया पुरस्कार भी दिया। दीप्ति इस समय यूपी की कप्तान हैं और इंडिया टीम की आल राउन्डर हैं। इन्होंने पहला इंटर नेशनल मैच 2014 में साउथ अफ्रीका के खिलाफ खेला।
दीप्ति के वर्ल्ड कप प्रदर्शन के दौरान खुद सचिन तेंदुलकर ने ट्वीट कर उनके खेल की तारीफ करते हुए उन्हें बधाई दी थी। वापस आकर दीप्ति ने बताया था कि जब यह बात उन्हें पता चली थी, तो वो रात भर यह सोच कर सो नहीं पाई थी कि इतने महान क्रिकेटर ने उनकी तारीफ की है। खुद अक्षय कुमार वर्ल्ड कप फाइनल में इन लोगों का उत्साह वर्धन करने दुबई गए थे। दीप्ति को सितंबर माह में अमिताभ बच्चन के साथ 'कौन बनेगा करोड़पति' खेलने का मौका भी मिला था। दीप्ति ने अमिताभ की सादगी की बहुत तारीफ की थी।