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रियो से लौटी हॉकी प्लेयर्स ने ट्रेन की फर्श पर बैठ किया सफर, रेलवे का इंकार

aman
By aman
Published on: 29 Aug 2016 10:45 AM GMT
रियो से लौटी हॉकी प्लेयर्स ने ट्रेन की फर्श पर बैठ किया सफर, रेलवे का इंकार
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नई दिल्ली : भारतीय महिला हॉकी टीम के खिलाड़ियों से जुडी एक शर्मनाक घटना सामने आई है। जानकारी के अनुसार टीम की चार महिला खिलाडि़यों को ट्रेन में सीट नहीं मिलने के कारण फर्श पर बैठकर यात्रा करना पड़ा है। ज्ञात हो कि ये चारों खिलाड़ी रियो ओलंपिक से लौटने के बाद घर जा रही थीं।

इस मामले के सामने आते ही कई महिला संगठनों ने विरोध जताया। इन सगठनों ने खेल मंत्री विजय गोयल से मांग की है कि वे रेलवे अधिकारियों के खिलाफ केस दर्ज कराएं। हालांकि रेलवे ने इस घटना से इनकार किया है।

क्या है मामला ?

-भारतीय महिला हॉकी टीम की खिलाड़ी नमिता टोपो, दीप ग्रेस इक्‍का, लिलिमा मिंज और सुनीता लाकड़ा को सफ़र के दौरान ट्रेन में फर्श पर ही बैठना पड़ा।

-इनकी टिकटें कंफर्म नहीं हो पाई थी।

-गौरतलब है कि ये चारों रेलवे की कर्मचारी भी हैं।

-इनके पास रेलवे द्वारा जारी किया गया यात्रा पास भी था, लेकिन टीटीई इनके लिए सीट की व्‍यवस्‍था नहीं कर सके।

घटना के बाद आई सख्त प्रतिक्रिया

-इस घटना के सामने आते ही कुछ महिला संगठनों ने आपत्ति जताई।

-इस बारे में एक महिला कार्यकर्ता ने कहा, 'यह शर्मनाक घटना है, रेलमंत्री को इस पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।'

-उन्होंने कहा रेलवे मंत्रालय ऐसा कदम उठाए जिससे आने वाले दिनों में अन्‍य खिलाडियों से ऐसा बर्ताव ना हो।

-एक अन्‍य कार्यकर्ता बृंदा अडिगे ने बताया कि 'बाबू लोग फर्स्‍ट क्‍लास में सफर करते हैं जबकि खिलाडि़यों को फर्श पर बैठाया जाता है। ऐसे अधिकारियों को ट्रेन से क्‍यों नहीं फेंका जाता?'

-उन्होंने आगे कहा, 'खिलाडि़यों के लिए फंड जारी किए गए होंगे, लेकिन अधिकारी मानते हैं कि खिलाड़ी उनके गुलाम हैं।'

रेलवे ने दी सफाई

-रेलवे ने इस मामले में सफाई देते हुए कहा कि 'फर्श पर बैठने की बात गलत है।'

-रेलवे ने ट्वीट कर बताया, 'रांची एयरपोर्ट पहुंचने के बाद हॉकी खिलाड़ी बिना जानकारी दिए ट्रेन में सवार हो गईं।

-टीटीई ने उन्‍हें सीट देने के लिए 20 मिनट का समय लिया।

-हॉकी खिलाडि़यों को कोई शिकायत नहीं है।

-वे अपने परिवार से मिलने की जल्‍दबाजी में थीं, इसलिए सफर के कार्यक्रम में बदलाव किया।

-खिलाडि़यों के फर्श पर बैठने की बात झूठी है।





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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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