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Indian Women Hockey Team: ये हैं देश का मान बढ़ाने वाली बेटियां, किसी के पिता हैं किसान, तो किसी के दर्जी

Indian Women Hockey Team: भारतीय महिला हॉकी टीम (Indian Women Hockey Team) ने टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में शानदार प्रदर्शन किया है।

Dharmendra Singh
Written By Dharmendra Singh
Published on: 3 Aug 2021 5:33 PM GMT
Indian Women Hocky Team
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भारतीय महिला हॉकी टीम की खिलाड़ी (फोटो: सोशल मीडिया)

Indian Women Hockey Team: भारतीय महिला हॉकी टीम (Indian Women Hockey Team) ने टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में शानदार प्रदर्शन किया है। भारतीय महिला हॉकी टीम ने अपने इस यादगार प्रदर्शन के दम पर टोक्यो ओलंपिक के सेमीफाइनल में जगह बनाने में कामयाबी हासिल की है। भारतीय महिला हॉकी टीम की इस जीत में सभी खिलाड़ियों ने अहम भूमिका निभाई है। आईए आज आपको देश की उन सभी बेटियों के बारे में बताते हैं।

रानी रामपाल

भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले में स्थित शाहाबाद मारकंडा की रहने वाली हैं। रानी की कप्तानी में भारतीय महिला हॉकी टीम दुनिया में एक अलग पहचना बना रही है। रानी ने 6 साल की उम्र से ही हॉकी खेलना शुरू कर दिया था। आज वे भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान हैं और उनकी कप्तानी में टीम अपनी दुनियाभर में अपनी पहचान बना रही है।
रानी रामपाल का सफर मुश्किलों भरा रहा है। रानी का 14 साल की उम्र में ही सीनियर भारतीय महिला हॉकी टीम में हो गया था। वह उस समय टीम की सबसे युवा खिलाड़ी थीं। साल 2016 में रियो ओलिंपिक के लिए भारत के क्वालीफाई करने में रानी रामपाल ने अहम भूमिका निभाई थी।
आपको जानकर हैरानी होगी कि रानी के पिता तांगा चलाते थे और सिर्फ 80 रुपए कमाते थे। उनकी मां दूसरे के घरों में काम करती थीं। रानी का भाई एक दुकान पर काम करता है, जबकि दूसरा भाई कारपेंटर है।
सविता पुनिया

सविता पूनिया अपने इस शानदार प्रदर्शन की वजह से पूरी दुनियां में छा गई हैं। हरियाणा के सिरसा के गांव जोधकां की रहने वाली सविता को हॉकी में इस मुकाम तक पहुंचने की प्रेरणा उनके दादा से मिली। पूनिया के दादा को हॉकी पसंद थी, इसीलिए उन्होंने इसमें अपना करियर चुना। अगर उनके दादा को हॉकी पसंद नहीं होती, तो वह शायद जूडो या बैडमिंटन में शामिल होतीं।

इंटरनेशनल हॉकी खिलाड़ी सविता को अर्जुन अवॉर्ड भी मिला है। जब वह छठवीं क्लास में पढ़ती थीं तभी से वह हॉकी खेल रही हैं। उन्होंने साल 2004 में कोचिंग की शुरुआत की। उनके पिता महेंद्र पूनिया स्वास्थ्य विभाग में काम करते हैं। सविता के पिता ने अपनी बेटी का खूब साथ दिया है। एक बार ऐसा भी समय आया जब वह हॉकी छोड़ने के बारे में सोच रही थीं, लेकिन उन्होंने पूरी रात इस बारे में सोचा और सुबह हॉकी स्टिक को गले से लगा लिया।

निक्की प्रधान

टोक्यो ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम की तरफ खेल रही निक्की प्रधान बचपन से ही हॉकी खेल रही हैं। उनके पिता पुलिस विभाग में काम करते हैं। झारखंड के खूंटी के हेसल गांव की रहने वाली हैं। उनके पिता पुलिस विभाग में काम करने के बावजूद उनका परिवार कच्चे में मकान में रहता है।
वंदना कटारिया
ओलंपिक में खेल रहीं वंदना कटारिया हरिद्वार के रोशनाबाद की निवासी हैं। बचपन में लोग वंदना को कहते थे एक लड़की का खेलना ठीक नहीं। उनके गांव बुजुर्ग लड़कियों का खेलना उचित नहीं मानते थे। वंदना चोरी-चोरी पेड़ों की टहनियों की सहयाता सेखेलती थीं और अपने हॉकी की ट्रेनिंग करती थीं।
वंदना के पिता भेल में कार्य करते थे। वंदना ने जब हॉकी खेलने की शुरुआत की, तो लोगों ने उनका मजाक उड़ा था। लेकिन उनके पिता नाहर सिंह ने अपनी बेटी के सपने को पूरा करना चाहते थे। उन्होंने लोगों की बातों पर ध्यान नहीं दिया। अब ओलंपिक में भारतीय टीम की ओर से खेल रही हैं।
नवजोत कौर
7 मार्च, 1995 को मुज़फ्फरनगर में जन्मी 26 वर्षीय नवजोत कौर की हर तरफ चर्चा है। नवजोत कौर बचपन से ही बड़ा मुकाम हासिल करना चाहती थीं। नवजोत के पिता मैकेनिक का काम करते हैं और उनकी माता एक गृहणी हैं। उन्होंने भारत की तरफ 100 से ज्यादा इंटरनेशन मैचों में शामिल हुई हैं।
गुरजीत
भारतीय महिला हॉकी टीम की खिलाड़ी गुरजीत अमृतसर के मियादी कलां गांव की रहने वाली हैं। उनकी 25 साल की गुरजीत के परिवार का हॉकी से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं था। गुरजीत के किसान पिता अपनी बेटी को पढ़ाना चाहता थे। गुरजीत और उनकी बहन प्रदीप ने गांव के पास स्थित प्राइवेट स्कूल से शुरुआती पढ़ाई की है। इसके बाद वह एक बोर्डिंग स्कूल में पढ़ाई करने गईं जहां उनका हॉकी खेलने में मन लगने लगा। लड़कियों को हॉकी खेलता देखे उन्होंने खेलने का मन बना लिया। गुरजीत के पिता ने अपनी बेटी के लिए मोटरसाइकिल तक बेच दिया था और हॉकी किट खरीदकर दी थी।

सलीमा
भारतीय महिला हॉकी टीम में खेलने सलीमा टेटे को ओलिंपिक तक का सफर तय करने में काफी संघर्ष एवं चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। सलीमा झारखंड के सिमडेगा के पिथरा पंचायत के गांव बड़कीछापर की रहने वाली हैं। ओलंपिक में खेलने वाली सलीमा का पिरवार आज भी मिट्टी के घर में रहता है। सलीमा के पिता सुलक्सन टेटे और भाई अनमोल खेती करते हैं। उनकी मां घर का कामकाज करती हैं। सलामी अपने जिले की पहली लड़की है जिसने ओलिंपिक में पहुंचा है।
नवनीत कौर
भारतीय महिला हॉकी टीम में खल रहीं नवनीत कौर के पिता खेती करते हैं और उनकी मांग घर कामकाज करती हैं। 27 वर्षी नवनीत ने 5वीं कक्षा में पढ़ाई के दौरान हॉकी खेलने की इच्छा जताई थी। उन्होंने कई इंटरनेशन मैच में खेला है और शानदार प्रदर्शन किया है।

निशा
भारतीय महिला हॉकी टीम की डिफेंडर निशा वारसी पहली बार ओलंपिक में खेल रही हैं। उनका यहां तक का सफर मुश्किलों भरा रहा है। उनके पिता सोहराब अहमद सिलाई का काम करते हैं। निशा के पिता साल 2015 में लकवा मार दिया जिसकी वजह से उनका काम छूट गया। निशा के इस मुकाम तक पहुंचने में उनके कोच ने मदद की। उन्होंने इंटरनेशन मैच में अपना डेब्यू साल 2019 में किया था।
नेहा गोयल
नेहा गोयल हरियाणा के सोनीपत की है। नेहा पिता कोई काम नहीं करते थे। नेहा के एक दोस्त ने उनसे कहा कि हाकी खेलने से अच्छे जूते और कपड़े मिलते हैं। उन्होंने कक्षा 6 में पढ़ाई के दौरान हाॅकी खेलना शुरु कर दिया। नेहा जिला स्तर पर खेलने लगीं। बेटी का सपना पूरा करने के लिए उनकी मां सावित्री एक कारखाना में काम करने लगीं।
उदिता दुहन
उदिता दुहन हरियाणा के हिसार की निवासी हैं। उनके पिता पुलिस विभाग में काम करते थे। उदिता के पिता का बीमारी की वजह से साल 2015 में मौत हो गई। उनकी मां गीता देवी ने मुश्किल भरी परिस्थितियों में उदिता को पाला पोशा। उदिता के सपने को पूरा करने के लिए उनकी मां ने उनको शहर में रखा। हैंडबॉल खेलने वाली उदिता ने पिता के सपने को पूरा करने के लिए हाॅकी खेलने लगीं।
शर्मिला
शर्मिला हरियाणी की ही रहने वाली हैं। हिसार निवासी शर्मिला के पिता खेती करते हैं। परिवार के पास पैसा ना होने की वजह उनको अपना मुकाम हासिल करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा था। लेकिन उनको कोच प्रवीण सिहाग ने उनके सपने को पूरा करने में उनकी मदद की और अन्तरराष्ट्रीय स्तर का खिलाड़ी बना दिया।
लालरेमसियामी
लालरेमसियामी भारतीय महिला हॉकी टीम में शामिल होने वाली मिजोरम की पहली खिलाड़ी हैं। जून 2019 में उनके पिता की मौत हो गई, लेकिन टीम के साथ वह बनी रहीं। उन्होंने FIH महिला हॉकी सीरीज में खेला।
दीप ग्रेस
भारतीय महिला हॉकी टीम की डिफेंडर दीप ग्रेस भी भारतीय महिला हॉकी टीम में शामिल हैं। बचपन में दीप पौधे से बने हॉकी स्टिक खेला करती थीं, क्योंकि उनके पास हॉकी स्टिक नहीं थी। उनका ओडिशा के सुंदरगढ़ में है।

मोनिका
मोनिका मलिक के इस मुकाम तक पहुंचने में उनके पिता तकदीर सिंह की अहम भूमिका है। 8वीं कक्षा से मोनिका हॉकी खेल रही हैं। पहले मोनिका के पिता चाहते थे कि वह पहलवान बनें, लेकिन मोनिका की हॉकी में रुचि को देखकर उनका मन बदल गया।
रीना
रीना पंजाब के मोहाली के नयागांव की हैं। रीना के पिता बीएसएफ में काम करते थे। रीना के पिता ने उनको खेलने के लिए हमेशा उत्साहित किया। साल 2019 में जिम सेशन के समय रीना दुर्घटना का शिकार हो गई थीं। इसकी वजह उनका रीना का करियर समाप्त हो सकता था, क्योंकि उनकी आंख में चोट लग गई थी। नजर कम हो सकती थी, लेकिन रीना के भाग्य ने साथ दिया वह ठीक हो गईं।







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