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अभी अभी भारत को लगा एक और बड़ा झटका, एक और सितारा नहीं रहा
चुन्नी गोस्वामी एक फुटबॉलर के रूप में बंगाल के लिए 47 व भारत के लिए 50 अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके हैं। चुन्नी गोस्वामी का नाम भारतीय फुटबॉल के इतिहास में बहुत ही इज्जत से लिया जाता है। वह बाईं ओर के भीतरी भाग व दायीं ओर के भीतरी सिरे पर 'स्ट्राइकर' पोजीशन पर खेलते थे।
नई दिल्लीः अभी अभी भारत को लगा झटका। एक और सितारा नहीं रहा। देश के महान फुटबालर चुन्नी गोस्वामी का आज गुरूवार को कार्डियक अरेस्ट की वजह से निधन हो गया। शाम पांच बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके परिवार के सदस्यों ने इस बात की पुष्टि की है कि चुन्नी गोस्वामी का निधन हो गया है। चुन्नी गोस्वामी को साल 1958 में वेटरंस स्पोर्टस क्लब कलकत्ता द्वारा 'बेस्ट फुटबॉलर' सम्मान से सम्मानित किया गया था।
भारत के महान फुटबालर पर जारी हुआ था डाक टिकट
भारतीय डाक विभाग ने इसी साल जनवरी में महान फुटबॉलर चुन्नी गोस्वामी के 82वें जन्मदिन पर उन पर डाक टिकट जारी कर सम्मानित किया था। चुन्नी गोस्वामी ने वर्ष 1962 में एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय टीम की अगुआई की थी।
डाक विभाग ने चुन्नी गोस्वामी से पहले दो फुटबॉलरों -गोस्थो पॉल (1998) और तालीमेरेन ओ (2018) के नाम पर भी डाक टिकट जारी किया था। इस तरह चुन्नी इस सम्मान को पाने वाले तीसरे फुटबॉलर थे।
अपने सम्मान पर चुन्नी गोस्वामी ने कहा था कि इतने वर्षों तक मेरे खेल करियर के दौरान मुझे काफी सम्मान मिले, लेकिन जीवन के इस दौर में सम्मानित किया जाना निश्चित रूप से शानदार है। मैं इस सम्मान से खुश हूं।
अर्जुन पुरस्कार व पद्मश्री सम्मान भी मिला
गोस्वामी ने भारत के लिये 1956 से लेकर 1964 तक 40 से ज्यादा मैच खेले थे। उन्हें 1963 में अर्जुन पुरस्कार और 1983 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। वह उस भारतीय टीम का हिस्सा थे जो 1964 एएफसी एशिया कप में इस्राइल के बाद दूसरे स्थान पर रही थी। उन्होंने हांगकांग के खिलाफ भारत की 3-1 की जीत में तीसरा गोल दागा था, जिससे टीम उस टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंची थी।
चुन्नी गोस्वामी एक फुटबॉलर के रूप में बंगाल के लिए 47 व भारत के लिए 50 अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुके हैं। चुन्नी गोस्वामी का नाम भारतीय फुटबॉल के इतिहास में बहुत ही इज्जत से लिया जाता है। वह बाईं ओर के भीतरी भाग व दायीं ओर के भीतरी सिरे पर 'स्ट्राइकर' पोजीशन पर खेलते थे। उन्होंने 1953 में अपना पहला महत्वपूर्ण मैच कलकत्ता लीग के किसी भी क्लब में शामिल होने के पूर्व खेला था।
चुन्नी गोस्वामी के निधन पर खेल जगत की अनेक हस्तियों ने शोक प्रकट किया है और इसे अपूरणीय क्षति बताया है।