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Mirabai Chanu Birthday: बचपन में तीरंदाज बनना चाहती थीं मीराबाई चानू, लेकिन इस किताब ने बदल दी उनकी जिंदगी

Mirabai Chanu Birthday: मीराबाई ने वेटलिफ्टिंग की प्रसिद्ध खिलाड़ी कुंजारानी देवी से प्रेरणा लेकर वजन उठाने की इस मजबूरी को खेल में बदल दिया।

Dharmendra Singh
Written By Dharmendra Singh
Published on: 8 Aug 2021 3:06 AM GMT
Mirabai Chanu Birthday
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मैच के दौरान मीराबाई चानू (फोटो: सोशल मीडिया)

Mirabai Chanu Birthday: टोक्यो ओलंपिक गेम्स में भारत की बेटियों ने इतिहास रच दिया। इनमें एक भारत की बेटी की सबसे अधिक चर्चा हो रही है। जी हम टोक्यो ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतने वाली मीराबाई चानू की बात कर रहे हैं। भारत की इस बेटी की कहानी देश की करोड़ों बेटियों को प्रेरणा देने वाली है। मीराबाई चानू का जन्म 8 अगस्त 1994 को मणिपुर के पूर्वी इंफाल के नोंगपोक काकचिंग गांव के मैतेई परिवार में हुआ।

मीराबाई 6 भाई बहन हैं और सबसे छोटी हैं। मीराबाई चानू का बचपन गरीबी में बीता है। परिवार में आर्थिक तंगी होने की वजह से मीरा बाई को अपने भाई के साथ पहाड़ों पर खाना बनाने के लिए लकड़ी बीनने के लिए जाती थीं। वह सिर्फ 10 से 11 साल की उम्र में ही लकड़ी का एक बड़ा बोझा उठाकर घर लेकर आती थीं, जिसे उनके बड़े भाई के लिए उठाना होता था।


बचपन में भी मीराबाई के परिवार के लोगों को उनकी शारीरिक ताकत का पता चल गया था। मीराबाई ने वेटलिफ्टिंग की प्रसिद्ध खिलाड़ी कुंजारानी देवी से प्रेरणा लेकर वजन उठाने की इस मजबूरी को खेल में बदल दिया और उन्होंने नियमित तौर पर इसकी प्रैक्टिस करने लगीं। कुंजरानी देवी भारतीय वेटलिफ्टिंग इतिहास की सबसे डेकोरेटेड महिला हैं। भारतीय महिला वेटलिफ्टर कुंजरानी से अधिक पदक किसी भी भारत की महिला ने अभी तक नहीं जीता है।

तीरंदाज बनना चाहती थीं मीराबाई
गरीब परिवार में जन्मी मीराबाई बचपन में तीरंदाज बनना चाहती थीं, लेकिन एक किताब को उन्होंने पढ़ा जिसने उनके में बदलाव ला दिया और वेटलिफ्टिंग में अपना करियर बनाया। मीराबाई चानू जब कक्ष 8 में पढ़ रही थीं, तो वह तीरंदाज बनना चाहती थीं, लेकिन उन्होंने अपनी किताब में वेटलिफ्टर कुंजरानी देवी के बारे में पढ़ा। इसके बाद उन्होंने अपना करियर बदल दिया और वेटलिफ्टिंग को चुन लिया।

कुंजरानी देवी के बारे में पढ़कर ही मारीबाई चानू नेवेटलिफ्टिंग में करियर बनाने का निर्णय लिया। मीराबाई कई पदक जीता है, लेकिन टोक्यों ओलंपिक के लिए क्वालिफाई करने वाली वह अकेली महिला भारतीय वेटलिफ्टर हैं।
Dharmendra Singh

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