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Neeraj Chopra Olympics: टोक्यो ओलंपिक का टलना नीरज के लिए बना वरदान, गोल्ड मेडल के बाद अब 90 मीटर का टारगेट

Neeraj Chopra Olympics: जैवलिन थ्रो (Javelin Throw) के स्टार खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में स्वर्ण पदक जीतकर नया इतिहास रच दिया है।

Anshuman Tiwari
Written By Anshuman TiwariPublished By Chitra Singh
Published on: 8 Aug 2021 8:59 AM IST
Neeraj Chopra
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गोल्ड मेडल हासिल करने के बाद नीरज चोपड़ा (फोटो साभार-सोशल मीडिया)

Neeraj Chopra Olympics: जैवलिन थ्रो (Javelin Throw) के स्टार खिलाड़ी नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) ने टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में स्वर्ण पदक जीतकर नया इतिहास रच दिया है। जैकलीन थ्रो के फाइनल मुकाबले में नीरज ने अपने दूसरे प्रयास में 87.58 मीटर का थ्रो करके एथलेटिक्स में पहला गोल्ड मेडल जीतकर पूरे देश (First Gold Medal For India in Olympics) में जश्न का माहौल बना दिया। इसके साथ ही नीरज ट्रैक एंड फील्ड इवेंट में मेडल जीतने वाले देश के पहले एथलीट बन गए हैं। नीरज ने अपना स्वर्ण पदक भारत के दिग्गज दिवंगत धावक मिल्खा सिंह (Milkha Singh) को समर्पित किया है। गोल्ड मेडल जीतने के बाद नीरज का कहना है कि अब मैं और ज्यादा मेहनत करूंगा और जैवलिन थ्रो में 90 मीटर का रिकॉर्ड बनाने की पूरी कोशिश करूंगा।

टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतकर नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra Gold Medal) पूरे देश के हीरो बन गए हैं और उन्हें देश के विविध क्षेत्रों से जुड़े लोगों ने बधाइयां दी हैं। पूरे देश में उनकी जीत पर जश्न मनाया जा रहा है मगर कम ही लोगों को पता है कि टोक्यो ओलंपिक का एक साल देरी से होना नीरज के लिए वरदान साबित हुआ। कोरोना महामारी के कारण ओलंपिक खेलों को साल भर टालना नीरज के लिए काफी फायदेमंद रहा है और उन्होंने स्वर्ण पदक अपनी झोली में डालकर नया इतिहास रच दिया।

ऑपरेशन के बाद रिकवर होने का मौका मिला

नीरज के करीबियों का भी मानना है कि टोक्यो ओलंपिक का टलना नीरज (Neeraj Chopra Olympic Games Tokyo 2020) के लिए काफी फायदेमंद साबित हुआ। दरअसल 2019 के मई महीने के दौरान नीरज को अपनी कोहनी का ऑपरेशन कराना पड़ा था। इस कारण नीरज के रिश्तेदारों और अन्य करीबियों को इस बात का डर सताने लगा था कि वे शायद ओलंपिक से पहले तक रिकवर नहीं हो पाएंगे।

नीरज के चाचा और अन्य रिश्तेदारों का कहना है कि जब नीरज की कोहनी में दिक्कत हुई तो हम सभी ओलंपिक में उनकी भागीदारी को लेकर परेशान हो गए थे। कोहनी में दिक्कतों के कारण ही उनका ऑपरेशन कराना पड़ा जिससे उनके ओलंपिक में हिस्सा लेने पर खतरे के बादल मंडराने लगे।

उन्होंने कहा कि बाद में कोरोना महामारी की वजह से जब टोक्यो ओलंपिक को एक साल के लिए टाल दिया गया तो नीरज को कोहनी के ऑपरेशन के बाद रिकवर होने का पूरा समय मिल गया। इसके साथ ही रिकवर होने के बाद उन्हें ओलंपिक की तैयारी के लिए भी अच्छा खासा समय मिल गया है जिसका नीरज ने पूरा सदुपयोग किया और आज उसका नतीजा देश ही नहीं पूरी दुनिया के सामने है।

इसलिए महत्वपूर्ण है नीरज की उपलब्धि

नीरज की उपलब्धि को इसलिए काफी बड़ा माना जा रहा है क्योंकि यह एथलेटिक्स के इतिहास में भारत का पहला मेडल है और वह भी गोल्ड। इसके पूर्व भारत के दिग्गज शूटर अभिनव बिंद्रा ने भी 2008 के बीजिंग ओलंपिक में 10 मीटर की शूटिंग स्पर्धा में गोल्ड मेडल हासिल किया था मगर एथलेटिक्स में आज तक भारत का कोई भी खिलाड़ी कोई भी मेडल नहीं हासिल कर सका था।

नीरज से पहले भारत के कई दिग्गज खिलाड़ी ओलंपिक के ट्रैक एंड फील्ड इवेंट के फाइनल तक तो पहुंचे मगर मेडल जीतने में कामयाब नहीं हो सके। इन दिग्गज खिलाड़ियों में मिल्खा सिंह, पी.टी. उषा (P.T. Usha), अंजू बॉबी जॉर्ज, गुरुवचन सिंह रंधावा, श्रीराम सिंह, कमलजीत कौर और कृष्णा पूनिया के नाम शामिल हैं।

भारत के दिग्गज धावक मिल्खा सिंह 1960 के रोम ओलंपिक के फाइनल में पहुंचे थे मगर वे मामूली अंतर से चूक गए थे। पीटी उषा भी 1984 के लॉस एंजिल्स ओलंपिक खेल में महिलाओं की 400 मीटर की स्पर्धा के फाइनल तक पहुंची थीं मगर उन्हें भी मामूली अंतर से चौथे स्थान पर ही संतोष करना पड़ा था। यही कारण है कि नीरज की उपलब्धि को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

अब तय किया है और बड़ा टारगेट

जैवलिन थ्रो में स्वर्ण पदक पर कब्जा करने के बाद नीरज का कहना था कि मैंने पहले ही शुरुआती थ्रो के दौरान बेस्ट परफॉर्मेंस देने के बारे में सोच रखा था। उन्होंने कहा कि मेरा मानना था कि शुरुआत में ही अच्छा प्रदर्शन करने के बाद दूसरे खिलाड़ियों पर दबाव आ जाएगा। उन्होंने कहा कि दूसरा थ्रो करने के बाद ही मुझे इस बात का एहसास हो गया था कि यह मेरा बेस्ट थ्रो है और यह सच भी साबित हुआ।

विनम्र स्वभाव के नीरज ने जर्मनी के एथलीट योहानेस वेटेर को महान खिलाड़ी बताते हुए कहा कि वे फाइनल मुकाबले के दौरान भले ही अच्छा प्रदर्शन न कर सके हों मगर वे विश्वस्तरीय खिलाड़ी हैं और मुझे उनके पास पहुंचने के लिए काफी मेहनत करनी होगी। नीरज ने कहा कि गोल्ड मेडल जीतने के बाद अब आगामी दिनों में मैं और ज्यादा मेहनत करूंगा और 90 मीटर का रिकॉर्ड कायम करने की कोशिश करूंगा। उनका कहना है कि मैंने सालों की मेहनत के बाद ओलंपिक का गोल्ड मेडल हासिल किया है और मैं आगे भी अच्छा प्रदर्शन बनाए रखने के लिए और मेहनत करूंगा।

शायद मुझे स्वर्ग से देख रहे होंगे मिल्खा

हरियाणा के पानीपत के रहने वाले नीरज (Neeraj Chopra State) ने स्वर्ण पदक जीतने के बाद इसे महान एथलीट मिल्खा सिंह को समर्पित किया है। उन्होंने कहा कि मिल्खा सिंह की इच्छा थी कि एथलेटिक्स में कोई भारतीय ओलंपिक में गोल्ड मेडल हासिल करे। मुझे इस बात का गर्व है कि मैंने उनके सपने को पूरा किया है और मुझे लगता है कि शायद वे मुझे स्वर्ग से जरूर देख रहे होंगे।

मैंने जैवलिन थ्रो में पदक जीतकर मिल्खा सिंह से मुलाकात करने की योजना बनाई थी। मेरा वह सपना तो नहीं पूरा हो सका, लेकिन मैं अपना पदक मिल्खा सिंह को समर्पित करता हूं। नीरज के इस बयान के बाद मिल्खा सिंह के बेटे जीव मिल्खा सिंह ने नीरज की तारीफ करते हुए उन्हें पूरे परिवार की ओर से शुक्रिया अदा किया है।

मिल्खा सिंह-नीरज चोपड़ा (डिजाइन फोटो- सोशल मीडिया)

मेडल के लिए किया इतना बड़ा त्याग

नीरज चोपड़ा ने काफी त्याग के बाद इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल की है। ओलंपिक में पदक जीतने के लिए उन्होंने अपना पूरा ध्यान तैयारियों पर लगा रखा था और हालत यह थी कि पिछले एक साल से वह अपने मोबाइल फोन को अधिकांश समय स्विच ऑफ ही रखते थे। यही नहीं अपनी एकाग्रता को बनाए रखने के लिए उन्होंने सोशल मीडिया से भी दूरी बनाए रखी थी। नीरज चाहकर भी 2016 के रियो ओलंपिक में हिस्सा नहीं ले सके थे।

हालांकि उस साल भी उनका प्रदर्शन काफी अच्छा रहा था और उन्होंने जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल भी जीता था। वैसे उन्होंने यह उपलब्धि क्वालीफाई करने की आखिरी तारीख 23 जुलाई के बाद हासिल की थी और यही कारण था कि वे चाहकर भी रियो ओलंपिक में हिस्सा नहीं ले सके थे जिसका कि उन्हें काफी दुख था। हालांकि नीरज ने उसकी भरपाई करते हुए टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर नया इतिहास रच दिया।

नीरज को खाने में ये चीजें पसंद

यदि नीरज के खानपान की आदतों को देखा जाए तो उन्हें सबसे आसानी से बनने वाली डिश यानी ब्रेड आमलेट काफी पसंद है। वह ब्रेड आमलेट को इतना ज्यादा पसंद करते हैं कि वह इसे किसी भी समय खा सकते हैं। हालांकि उन्हें मीठा खाना भी काफी पसंद है। खेल प्रतियोगिताओं के दौरान वे सलाद और फल खाना ज्यादा पसंद करते हैं। इसके साथ ही चिकन करी और बटर चिकन भी उन्हें काफी पसंद है

जैवलिन थ्रो की प्रैक्टिस के दौरान वे फ्रूट जूस पीना नहीं भूलते। नीरज के करीबियों का कहना है कि उन्हें सालमन फिश भी काफी पसंद है। खानपान के मामले में नीरज की पसंद में एक और ऐसी चीज शामिल है जिससे आम तौर पर एथलीट दूर रहा करते हैं और वह चीज है गोलगप्पा। नीरज गोलगप्पा खाने के काफी शौकीन हैं और उनका मानना है कि एथलीट को गोलगप्पा खाने से किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं होता।



Chitra Singh

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