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Novy Kapadia : मुसोलिनी ने इटली को फुटबॉल का विश्वकप जिताने के लिए क्या क्या किया, यह राज खोला नोवी कपाड़िया ने

फुटबॉल के एक्सपर्ट, जानेमाने कॉमेंटेटर और दिल्ली यूनिवर्सिटी के रिटायर्ड प्रोफेसर नोवी कपाड़िया का लम्बी बीमारी के बाद निधन हो गया है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani LalPublished By Vidushi Mishra
Published on: 18 Nov 2021 3:39 PM GMT
Novy Kapadia
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नोवी कपाड़िया (फोटो- सोशल मीडिया)

Novy Kapadia : फुटबॉल के एक्सपर्ट, जानेमाने कॉमेंटेटर और दिल्ली यूनिवर्सिटी के रिटायर्ड प्रोफेसर नोवी कपाड़िया का लम्बी बीमारी के बाद निधन हो गया है। दिल्ली यूनिवर्सिटी में करीब 40 वर्षों तक इंगलिश पढ़ा चुके नोवी फुटबॉल के बेहतरीन कमेंटेटर और लेखक थे।

नोवी ने फुटबॉल, साहित्यिक समालोचना और पारसी हेरिटेज पर कई पुस्तकें लिखीं थीं। उनके परिवार में कोई नहीं था और उनकी बहन बनी के निधन के बाद नोवी अकेले रह गए थे। नोवी को एक दुर्लभ न्यूरो बीमारी थी और वे चलने फिरने से लाचार हो गए थे।

नोवी कपाड़िया के बारे में

उनकी स्मरण शक्ति चमत्कारी थी और फुटबॉल के मैचों के बारे में कोई भी जानकारी तो तत्काल बता देते थे। उन्हें फुटबॉल के तकनीकी पक्षों की भी अद‌्भुत समझ थी। दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज के छात्र रहे नोवी कपाड़िया के पिता की कनॉट प्लेस में दुकान थी। नोवी कपाड़िया का परिवार कश्मीरी गेट इलाके में रहता था। बाद में वे नारायणा में रहने लगे थे।

नोवी की किताब 'द फुटबॉल फैनेटिक्स एसेंशियल गाइड' 1930 में उरुग्वे से लेकर 2010 में दक्षिण अफ्रीका में हुए अब तक कुल 19 विश्व कपों की कहानी के साथ फुटबॉल प्रेमियों को जानकारियों का खजाना देती है। ये किताब अंग्रेजी में 19 अध्याय में है।

नोवी कपाड़िया (फोटो- सोशल मीडिया)

नोवी बताते थे कि उन्होंने यह किताब जनवरी 2014 के आखिर में शुरू कर मार्च के आखिर में पूरी की। विश्व कप के हर अध्याय के साथ-साथ सबसे रोचक पन्ना है 'एक्स्ट्रा टाइम'। 1934 में मुसोलिनी किस तरह हर कीमत पर इटली को विश्व कप जिताना चाहते थे। इसमें मुसोलिनी ने अर्जेंटीना के तीन सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों की राष्ट्रीयता बदल कर इटली के लिए खेलने को राजी किया।

विश्व कप जिताने की कहानी

इससे इटली ने आखिर विश्व कप खिताब जीत कर ही दम लिया।लुइस मोंटी दुनिया के पहले और अकेले ऐसे खिलाड़ी बने, जिन्होंने दो मुल्कों (अर्जेंटीना और इटली) के लिए खेलकर टीम को चैंपियन बनाया।

इस किताब में 1978 के विश्व कप में स्कॉटलैंड के विली जॉनस्टन के डोपिंग में पकड़े जाने पर बैन होने, 1986 में डिएगो माराडोना के हैंड ऑफ गॉड गोल जैसे रोचक किस्से हैं।

नोवी बताते थे कि फुटबॉल के पहले सुपरस्टार उरुग्वे के जोस एंड्राडे थे। वह 'ब्लैक मार्वल' के नाम से फेमस हुए। 1958 में पेले के सबसे कम महज 17 बरस की उम्र में फाइनल खेलने और गोल करके ब्राजील को विश्व कप जिताने की कहानी भी नोवी ने बयां की है।

Vidushi Mishra

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