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जानें क्या होता है इन ओलिंपिक रिंग्स का मतलब, क्या है इनके रंगों की खासियत
लखनऊ: ओलिंपिक गेम्स रियो 2016 शुरू हो चुके हैं। जिधर देखो, चारों ओर बस ओलिंपिक की ही धूम है। वैसे तो ओलिंपिक में पूरी दुनिया भर के खिलाड़ी हिस्सा ले रहे हैं। हमारे देश से भी बड़े-बड़े दिग्गज खिलाड़ी देश के लिए पदक लाने के लिए खेलों में हिस्सा लेने गए हैं। इंडिया के खिलाड़ी अलग-अलग खेलों में अपनी प्रतिभा आजमाते नजर भी आ रहे हैं। पर क्या आप जानते हैं कि ये खेल किसने शुरू किए और इसके मेन लोगो यानी की ओलिंपिक रिंग्स का मतलब क्या होता है?
क्या है इन ओलिंपिक रिंग्स का मतलब
ओलिंपिक खेल की शुरुआत ‘पियरे डी कॉबर्टिन’ ने 1913 में की थी। इन्हें ही ओलिंपिक का पितामह कहा जाता है। 1914 में ओलिंपिक को इस दुनिया ने एक्सेप्ट किया और 1920 के बेल्जियम ओलिंपिक में इसके लोगो को मान्यता मिल गई थी। इसमें पूरी पांच रिंग होती हैं और इन सबका कलर अलग-अलग होता है। यह पांचों रिंग नीले, पीले, काले, हरे और लाल रंग के होते हैं जबकि इसका बैकग्राउंड सफ़ेद रंग का होता है।
क्या दर्शाते हैं यह ओलिंपिक रिंग्स
ये पांचों रिंग्स एक ख़ास प्रतिक्रिया को दर्शाते हैं। ये बताते हैं कि पहिए की तरह लगातर मूमेंट होते रहना चाहिए। हर चीज गतिशील रहनी चाहिए। इसके अलावा के विश्व के पांचो महासागरों के संगठन को भी दर्शाती है। ओलिंपिक में हर महादीप के खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं। इसीलिए इसका रंग वहां के देशों के हिसाब से रखा गया है। इन रिंगो में काला रंग अफ्रीका, यूरोप को नीला और अमेरिका को लाल, ऑस्ट्रेलिया को हरा रंग और एशिया को पीला रंग दिया गया है।
क्या कहता है ओलिंपिक का झंडा
ओलिंपिक का झंडा झंडा शांति, वैश्विक एकजुटता और सहनशीलता का प्रतीक है। ख़ास बात तो यह है कि अगर ओलिंपिक किसी देश पर प्रतिबंध भी लगा दे, तो भी उस देश के खिलाड़ी ओलिंपिक में हिस्सा ले सकते हैं।