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गरीबों की करते हैं मदद, सौ से अधिक खिलाडिय़ों को मिली बड़ी कामयाबी

raghvendra
Published on: 8 Dec 2017 4:32 PM IST
गरीबों की करते हैं मदद, सौ से अधिक खिलाडिय़ों को मिली बड़ी कामयाबी
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खिलाडिय़ों के जीवन में उजाला बिखेर रहे वीरेन्द्र

गौरव त्रिपाठी

गोरखपुर। गोरखपुर में एक ऐसे दूध वाले हैं जो उभरते खिलाडिय़ों के अभावग्रस्त जीवन में उम्मीद की एक नयी किरण बनकर उभरे हैं। दूध-दही की छोटी सी दुकान करने वाले वीरेन्द्र पासवान युवावस्था में राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी बनना चाहते थे पर हालात कुछ ऐसे बने कि वे दूध बेचने के कारोबार में आ गये। फिर खिलाडिय़ों के प्रति अपने लगाव के कारण उन्होंने दूसरे खिलाडिय़ों को प्रमोट करने का निश्चय किया और ग्रामीण क्षेत्र के खिलाडिय़ों को अपनी दुकान से मुफ्त में दूध, दही, रुपये और जरूरत की अन्य चीजें मुहैया कराकर उनकी मदद शुरू की। अब तक उनकी सहायता से 100 से अधिक युवा खिलाड़ी सफल होकर राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर खेल रहे हैं या फिर सरकारी नौकरी कर रहे हैं।

नए खिलाडिय़ों को समर्पित कर दी दुकान

गोरखपुर के पादरी बाजार इलाके में एक छोटी सी दुकान के मालिक हैं वीरेंद्र पासवान। दूध-दही और मिठाइयों की इस दुकान को वीरेंद्र 1995 से चला रहे हैं और तभी से चल रहा है इनका वो काम जो उन्हें आज गोरखपुर ही नहीं बल्कि पूरे पूर्वांचल में सबसे अलग पहचान दिलाता है। वीरेंद्र युवावस्था में खुद खिलाड़ी बनना चाहते थे और इसके लिए उन्होंने काफी मेहनत भी की पर आॢथक और पारिवारिक जिम्मेदारियों की वजह से उन्हें अपना खेलप्रेम छोडऩा पड़ा और दूध का व्यापार शुरू करना पड़ा। दूध की दुकान तो चल निकली पर एक खिलाड़ी का मन खेल से दूर नहीं हुआ। वीरेंद्र ने तय किया कि जिस वजह से उनका खेल से नाता टूट गया उस वजह से दूसरे प्रतिभावान खिलाडिय़ों को दिक्कत न झेलनी पड़े। उन्होंने अपनी दुकान उन नए खिलाडिय़ों को समर्पित कर दी जो सुविधाओं के अभाव में पीछे रह जाते हैं।

18 साल से कर रहे खिलाडिय़ों की मदद

वीरेंद्र ने अपनी दुकान पर आने वाले सभी खिलाडिय़ों को मुफ्त में दूध-दही मिठाई और पनीर देना शुरू कर दिया। जो खिलाड़ी आॢथक रूप से कमजोर होते उन्हें रुपयों से मदद करते, उनके लिए एक अदद छत भी मुहैया कराते और पूरी कोशिश करते कि उसका जीवन संवर जाए। उनकी दरियादिली की बदौलत आज 100 से अधिक खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल रहे हैं। कई यहीं रहकर और यहां का दूध-दही खाकर सरकारी सेवा में जा चुके हैं। पिछले 18 सालों हर रोज उनकी दुकान पर दर्जनों उभरते खिलाड़ी आते हैं और वीरेन्द्र उन्हें अपनी दुकान का दूध, मिठाई और पनीर मुफ्त खिलाने के साथ उनके रहने-खाने, किट और कहीं आने-जाने के लिए रुपये-पैसे की व्यवस्था करते हैं। हर सुबह वीरेन्द्र की दुकान पर इन खिलाडिय़ों की भीड़ लगी रहती है जो यहां खाने के बाद अपने साथ भी दूध-दही लेकर जाते है। इसके अलावा गोरखपुर के रीजनल स्टेडियम में खेलने वाले अधिकतर खिलाड़ी भी यहां आकर वीरेन्द्र से मदद लेते हैं। वीरेन्द्र के इस काम में उनके घर वाले भी उनका पूरा सहयोग करते हैं। वीरेन्द्र ने अपने भाई को पढ़ाकर सरकारी नौकरी पाने में मदद की है। आज दोनों भाई इस दुकान की कमाई से गरीब एथलीट को आगे लाने और उसे उसकी मंजिल दिलाने का प्रयास कर रहे है। इसी कारण यहां से मदद पाने वाला हर खिलाड़ी उन्हें अपना गॉडफादर मानता है।

वीरेन्द्र चाहते हैं दूसरे भी मदद करें

राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंच चुके खिलाड़ी अपना जीवन संवरने में वीरेन्द्र का महत्वपूर्ण योगदान मानते हैं। उनका मानना है कि ऐसे लोग 10-20 और हो जाए तो कई अन्य लोगों को भी आगे बढऩे का अवसर मिलेगा। यहां के खिलाडिय़ों का कहना है कि प्रॉपर डाइट नहीं मिलने के कारण कई खिलाडिय़ों की प्रतिभा दम तोड़ देती है। सरकारी स्तर पर एक खिलाड़ी को खाने-पीने के लिए जो पैसे मिलते हैं उतने में उसकी प्रॉपर डाइट नहीं मिल सकती है। ऐसे में अगर एक समर्थ व्यक्ति सिर्फ एक ही खिलाड़ी का खर्चा उठा ले तो वह उम्मीद से कहीं बेहतर परफार्मेंस देगा और प्रदेश और देश का नाम रोशन करेगा। वहीं वीरेन्द्र का मानना है कि उन्होंने बस एक छोटा सा प्रयास उन प्रतिभाओं के लिए किया है जो सुविधाओं के अभाव में दम तोड़ देती हैं। हर इंसान को अपने छोटी कमाई में दूसरों के लिए कुछ न कुछ प्रयास करना चाहिए ताकि नए खिलाडिय़ों को आगे बढऩे का मौका मिल सके।

प्रशंसा करते नहीं थकते खिलाड़ी व कोच

महिला एथलीट खिलाड़ी निक्की राय बताती हैं कि वीरेंद्र सर हम लोगों की हर तरह से मदद करते हैं चाहे डिस्ट्रिक्ट लेवल खेलने के लिए पैसे का आवश्यकता हो या कहीं बाहर जाना हो। वह हर तरह से हमारी मदद करते हैं। उनके सहयोग से हम गुजरात तक खेलने जा चुके हैं। उन्होंने हम लोगों के खाने पीने से लेकर किराये तक की व्यवस्था की। अगर उनके जैसे दो चार लोग शहर में हों तो खिलाड़ी बहुत आगे बढ़ सकते हैं।

>रीजनल स्पोट्र्स स्टेडियम में एथलीट कोच अशोक शाही के अनुसार खिलाडिय़ों को अगर अच्छी सुविधा मुहैया कराई जाए तो पूर्वांचल में ऐसी-ऐसी प्रतिभाएं हैं जो राष्ट्रीय स्तर तक जा सकती हैं। हरियाणा और पंजाब विकसित राज्य हैं और इस कारण वहां से बच्चे अच्छे निकल रहे हैं। गोरखपुर में प्रतिभाएं बहुत अच्छी हैं,लेकिन उन्हें सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं। मुख्यमंत्री इसी जिले से हैं। हमें उनसे उम्मीद है कि वे एथलेटिक्स में हिस्सा लेने वाले बच्चों के लिए कुछ अलग करेंगे। मुख्यमंत्री खुद खेल प्रेमी हैं। यहां एक सिंथेटिक स्टेडियम की भी जरूरत है। जहां तक वीरेंद्र जी की बात की जाए तो मैंने सुना है कि वह खिलाडिय़ों को निशुल्क डाइट से लेकर अन्य सुविधाएं दे रहे हैं। उनके इस जज्बे को मैं सलाम करता हूं और अन्य लोगों से भी इसी तरह खिलाडिय़ों की मदद की अपील करते हैं।

>पूर्व अंतरराष्ट्रीय रेसलिंग चैंपियन राकेश सिंह पहलवान का कहना है कि उत्तर प्रदेश में अच्छे कोच की जरूरत है। ग्रामीण इलाकों के प्रतिभावान खिलाड़ी आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह ने स्पोट्र्स हॉस्टल का निर्माण कराया, लेकिन यह सब अब अवैध कमाई के अड्डे बन गए हैं। सरकार तो खर्च देती है लेकिन ठेकेदारों से सेटिंग करके कुछ अधिकारी मिलकर सब बंदरबाट कर लेते हैं। खिलाडिय़ों को दूध के नाम पर पानी और डाइट के नाम पर बहुत कम खुराक मिलती है। खिलाड़ी बाहर होने के डर से शिकायत भी नहीं करते। यहां हरियाणा की तरह खेलों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

एथलीट खिलाड़ी शैलेंद्र सिंह का कहना है कि मैं तो पहले गांव में ऐसे ही दौड़ा करता था। वीरेंद्र सर के भाई रमेश सर मुझे वहां से ले आए। मैं बहुत गरीब परिवार से हूं। उन्होंने मेरे खाने-पीने के साथ सारी व्यवस्था की। वीरेंद्र सर की देन है कि मैं राज्यस्तरीय एथलीट के रूप में खेल रहा हूं। 70 बच्चे वीरेंद्र सर की देखरेख में हैं और वीरेंद्र सर उनका ख्याल रखते हैं। यहां सिंथेटिक ग्राउंड बन जाए तो काफी फायदा होगा क्योंकि बरसात में हम दौड़ नहीं पाते हैं।

कोच जवाहर प्रसाद का कहना है कि वीरेंद्र जी को देखकर और लोगों आगे आना चाहिए और खिलाडिय़ों की मदद करनी चाहिए। उनकी तरह का आदमी मिलना मुश्किल है क्योंकि बहुत ऐसे बच्चे हैं जिनमें काबिलियत है मगर वे धन के अभाव में अपना हुनर नहीं दिखा पाते। यहां से 100 लडक़े कामयाब हुए हैं और वे आर्मी व रेलवे सहित विभिन्न जगहों पर नौकरी कर रहे हैं। यही नहीं कई खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर तक भी जा चुके हैं। इनमें एक रोशनी कुमारी भी हैं जो इस समय दिल्ली में है।



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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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