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अच्छा! तो ऐसा है ओलंपिक मेडल का सच, जानें क्या वाकई है इसमें खरा सोना
लखनऊ: ओलंपिक गेम्स शुरू हुए कुछ दिन हो गए है। जैसे-जैसे खेल अपने अगले पड़ाव की ओर जा रहा है। खेलप्रेमियों की धड़कने बढ़ती जा रही है। हर अगले दिन किसी-ना-किसी के भाग्य का फैसला हो रहा है। खिलाड़ियों में इस खेल को लेकर रोमांच भी है और जुनून भी। कहने का मतलब ओलम्पिक का एक मेडल पाने के लिए खिलाड़ी अपने जान की भी परवाह नहीं करते।
वैसे भी ओलम्पिक खेल में गोल्ड मेडल पाना हर एक खिलाड़ी का सपना होता है। बस यही कारण है कि वो इसे पाने के लिए हर सम्भव कोशिश करता हैं। इस बार भारत को वहां निराशा हाथ लगी है और सबकी उम्मीदे दीपा कर्माकर पर टिकी है।
ये तो हुई खेल और खिलाड़ियों की बातें। अब हम बात कर रहे हैं ओलंपिक में मिलने वाले गोल्ड मेडल की जिसके लिए खिलाड़ी सारे दांव लगा देते है और उसे पाने के लिए 4 साल तक इंतजार और मेहनत करते है।
ओलंपिक के मेडल को लेकर लोगों में ये बात घर कर गई होती है कि ये 100 प्रतिशत खरे सोने का बना होता है तो हम आपकी इस अवधारणा को गलत साबित कर रहे है। आपको बता दें कि 1968 में मैक्सिकन ओलंपिक गेम्स के मेडल 6.5 मिली मीटर मोटे, 65.8 मिली मीटर चौड़े और 176.5 ग्राम वजन का मेडल दिया गया।
लंदन ओलंपिक में इसके थोड़े बड़े मेडल जिसका वजन 375 से 400 ग्राम है। इसमें गोल्ड की बात करें तो असली सोना सिर्फ़ 6 ग्राम (24 कैरेट) होता है, और 92.5 ग्राम चांदी और उसके अलावा तांबा होता है। इन मेडलों की कीमत 33,491 रूपये तक हो सकती है।
वर्ल्ड के 206 देशों के खिलाड़ियों का लक्ष्य रियो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतना होगा। लेकिन हमेशा की तरह सोने के तमगे में इस बार भी चांदी की मात्रा अधिक और सोने की कम होगी। ओलंपिक में अंतिम बार शुद्ध सोने के बने गोल्ड मेडल 1912 स्टॉकहोम ओलंपिक के दौरान दिए गए थे। ब्राजील के रियो डी जेनेरिया में हो रहे ओलंपिक खेलों में 206 देश भाग ले रहे है और उनके लिए 5 हजार से भी ज्यादा मेडल तैयार करवाए गए है । जिनमे गोल्ड, सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल शामिल है।