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विश्लेषण : टीम इंडिया के हार के पीछे फील्डिंग रही बहुत बड़ा कारण
अनूप ओझा
लखनऊ: हार सिखाती है इशारा करती है उस ओर जहां छेद है। भारतीय क्रिकेट टीम के दक्षिण अफ्रीका के दौरे में टीम की खराब फील्डि़ंग इस बात पर विचार करने को मजबूर कर दिया कि सबकुछ होते हुए भी क्षेत्ररक्षण इतना कमजोर क्यूं है। यह वही भारतीय टीम हैं जिसमें दिलीप बेंगसरकर, आबिद अली, एकनाथ सोलकर, अजीत वाडेकर, वेंकेट राघवन स्लिप और पॉइंट पर दीवार बन कर खड़े होते थे तो वहां से रन चुराना तो दूर विकेट गंवाने पड़ते थे।
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टीम इंडिया के वो भी दिन थे जब क्लोजइन में राहुल द्रविड, वीवीएस लक्ष्मण, मो. कैफ, युवराज, रैनाए गौतम गंभीर के रहते टीम विकेट निकाल लेती थी। उस दौर में भारतीय टीम न तो आज की तरह नई तकनीक से लबालब थी और न ही इन खिलाडिय़ों को आज की तरह हर स्टेप पर विशेषज्ञों की सुविधा मुहैया थी, फिर भी वो दमदार फील्डिंग कि बैट्समैन ने कट मारने में जरा भी लापरवाही की तो कैच लपकने में ये पुराने उस्ताद बिल्कुल विल्कुल गलती नहीं करते थे। पीछे भारतीय टीम की सजावट कुछ इस तरह से होती रही है कि टीम पर फिल्डिंग को ले कर इस तरह के गंभीर आरोप कभी नहीं लगे। उस समय टीम के पास सिर्फ एक कोच होते थे। आज की टीम को हर स्टेप पर कोच की सुविधा मिली हुई है।
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इस समय टीम को बॉलिंग कोच, बैटिंग कोच टीम के फिजियोथेरेपिस्ट, जिम एक्सपर्ट और हर आवश्यक आवश्यकताओं के लिए कदम कदम पर विशेषज्ञ बाकायदा मिलें है। प्रोफेशनल सेवाएं दे रहें है। उस पर टीम इंडिया के खिलाड़ी स्लिप और पॉइंट कवर पर कैच ड्रॉप कर टीम के हार का कारण बन जातें है। भारत-साउथ अफ्रीका के बीच खेले जा रहे दूसरे टेस्ट मैच में टीम इंडिया ने मेजबान टीम को पहली पारी में 335 रन पर समेट दिया। इस दौरान भारतीय टीम से कई कैच छूटे लेकिन 104वें ओवर में तो उस वक्त हद ही हो गई, जब लगातार दो गेंदों पर कैच ड्रॉप हो गए। साउथ अफ्रीका 7 विकेट खोकर 289 रन बना चुका था। क्रीज पर मौजूद थे कगिसो रबाडा और फाफ डू प्लेसिस। समीक्षकों की आलोचना में स्लिप पर कैच कैच ड्रॉप होना मैच का टर्निंग पॉइंट बन जाता है।
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आज की टीम इंडिया में नये लडक़ों का दस्ता तो है, पर कसी फिल्डिंग का रोना भी है। साधन भी है, पर उसका सटीक उपयोग नही है। मार्गदर्शन के नाम पर फौज खड़ी है, पर लड़ाई हारने का सिलसिला शुरू हो गया है। मैच हारने पर पिच को दोष देना और रन आउट होना, कैच ड्रॉप करना इन सब पर चुप्पी साध लेना सटीक मूल्यांकन नहीं है। मौजूदा टीम इंडिया में जोश की कमी नहीं है एक साथ टीम में सारे नये उम्र के लडक़े खेल रहें है। भारी भरकम सैलरी इनकों मिलती है। टीम में आने से पहले ये लडक़े देश में अपनी योग्यता साबित कर चुके होते हंै। उस पर कैच पकडऩे में लापरवाही के साथ रन आउट होना कच्चापन दर्शाता है।
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कप्तान विराट कोहली ने भी यह स्वीकार किया कि टीम की कसावट में कहीं चूक है दक्षिण अफ्रीका के दौरे में टीम की फिल्डि़ंग खराब रही है। हामारी रणनीति में गड़बड़ी है हम स्पीड लिकलने में तो सफल होते जा रहें है पर बॉल को बाउंडी के पार जाने से नहीं रोक पा रहे। रन निकलना और कैच ड्रॉप होना क्रिकेट की वो खमियां है जो टीम के आत्मविश्वास में कमी लाती हैं। विश्वविजयी टीम खड़ी करना है तो कम से कम स्लिप और पॉइंट कवर पर जमकर कर नजर रखनी होंगी।