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अजीत वाडेकर: इंजीनियर बनने का देखा था सपना, ऐसे बने क्रिकेटर

Aditya Mishra
Published on: 16 Aug 2018 4:37 PM IST
अजीत वाडेकर: इंजीनियर बनने का देखा था सपना, ऐसे बने क्रिकेटर
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नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान अजीत वाडेकर का बुधवार रात मुंबई के जसलोक हॉस्पिटल में निधन हो गया। वे 77 साल के थे। वेस्ट इंडीज और इंग्लैंड में सीरीज जीतने वाले वाडेकर भारत के पहले कप्तान थे।1 अप्रैल 1941 को जन्मे वाडेकर ने 1966 में भारत के लिए पहला टेस्ट खेला था। आठ साल के करियर में उन्होंने 37 टेस्ट खेले। उन्होंने टेस्ट में एक शतक और 14 अर्धशतक की मदद से कुल 2113 रन बनाए। सरकार ने उन्हें 1967 में अर्जुन अवॉर्ड और 1972 में पद्मश्री से सम्मानित किया।

newstrack.com आज आपको अजीत वाडेकर की अनटोल्ड स्टोरी के बारे में बता रहा है।

इंजीनियर से क्रिकेटर बनने का सफर: वाडेकर इंजीनियर बनना चाहते थे। एक बार वे अपने सीनियर और पड़ोसी बालू गुप्ते के साथ बस से कॉलेज जा रहे थे। बालू कॉलेज की क्रिकेट टीम में थे। उन्होंने अजीत से पूछा कि क्या आप कॉलेज की टीम में 12वें खिलाड़ी बनेंगे? इसके लिए आपको तीन रुपए मैच फीस मिलेगी। उस वक्त तीन रुपए भी बड़ी रकम होती थी। अजीत इस ऑफर को ठुकरा नहीं सके और कॉलेज की क्रिकेट टीम में शामिल हो गए। बाद में सुनील गावस्कर के चाचा माधव मंत्री ने उनकी प्रतिभा को पहचाना। मंत्री के कहने पर वाडेकर को रणजी टीम में जगह मिल गई।

इंग्लैंड और वेस्ट इंडीज में पहली बार सीरीज जिताई: 1971 में भारतीय टीम अजीत वाडेकर की कप्तानी में वेस्ट इंडीज गई। पहले टेस्ट में भारत ने दिलीप सरदेसाई के दोहरे शतक की मदद से वेस्ट इंडीज को फॉलोऑन के लिए मजबूर कर दिया। हालांकि, यह टेस्ट ड्रॉ रहा। दूसरे टेस्ट में भारत ने सरदेसाई के शतक की मदद से वेस्ट इंडीज को सात विकेट से हरा दिया। अगले तीन टेस्ट ड्रॉ कराके भारत ने सीरीज 1-0 से अपने नाम कर ली। यह विदेश में भारत की पहली जीत थी। इसी साल टीम इंडिया वाडेकर की कप्तानी में इंग्लैंड दौरे पर गई। यहां उसने इंग्लैंड को 2-0 से हरा दिया।

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पटौदी ने खोला था विदेश में सीरीज जीतने का खाता: भारत के लिए विदेश में सीरीज जीतने वाले पहले कप्तान मंसूर पटौदी थे। पटौदी की कप्तानी में भारत ने 1968 में न्यूजीलैंड को उसके घर में 3-1 से हराया था। इस जीत के वाडेकर ने उस दौर की सबसे मजबूत टीम वेस्ट इंडीज को उसके घर में मात देकर भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा।



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