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स्टेडियम का अधिकार नहीं मिलने से संकट
शिशिर कुमार सिन्हा
पटना : बिहार की युवा, किशोर और बाल पीढ़ी के लिए वर्ष 2018 यादगार रहेगा। पिछले 18 साल से बिहार में क्रिकेट शौक था, प्रोफेशन नहीं। बिहार के जो भी खिलाड़ी निकले, दूसरे राज्यों के नाम पर। धोनी भी निकले बिहार से, मगर फाइनल ठप्पा झारखंड का रह गया क्योंकि राज्य बंटने के साथ ही बिहार में क्रिकेट का अस्तित्व समाप्त हो गया। अब सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देश पर बीसीसीआई ने बिहार को क्रिकेट मैदान में उतरने के लिए हरी झंडी दे दी है लेकिन सरकारी सिस्टम अब भी सब बिगाडऩे में जुटा हुआ है। यही कारण है कि एक तरफ बिहार क्रिकेट एसोसिएशन को घरेलू सीजन मैचों की मेजबानी के लिए बीसीसीआई में अपेक्षाकृत सफलता नहीं मिली। सितंबर में शिड्यूल हुई विजय हजारे ट्रॉफी की मेजबानी गुजरात को मिल गई, जबकि अक्टूबर में प्रस्तावित वीनू मांकड़ वनडे ट्रॉफी और वीमेंस अंडर-19 टी 20 ट्रॉफी की मेजबानी का भी हाथ से फिसलना लगभग तय है।
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स्टेडियम तैयार नहीं होने के कारण नवंबर से मौका
पूरे बिहार में सिर्फ पटना के पास स्टेडियम हैं। एक स्टेडियम सरकारी पावर कंपनी का है, जिसे वह निजी हाथों में सौंप चुका है। दूसरा विख्यात मोइनुल हक स्टेडियम है। पावर कंपनी का ऊर्जा स्टेडियम बीसीसीआई के स्टैंडर्ड के हिसाब से तैयार है। ये स्टेडियम मिलने में कोई संकट नहीं है, लेकिन बीसीए को अपनी कमाई और नाम के लिए मोइनुल हक स्टेडियम में मैच चाहिए। यह स्टेडियम अभी बीसीसीआई के मानकों पर तैयार नहीं है। वैसे बीसीए को अक्टूबर अंत तक मोइनुल हक स्टेडियम तैयार कर लेने की उम्मीद है। बीसीसीआई ने सी.के.नायडू क्रिकेट टूर्नामेंट के चार मैचों के साथ ही रणजी ट्रॉफी और कूच बिहार ट्रॉफी के चार-चार मैचों की मेजबानी भी बिहार को सौंपी है। घोषित शिड्यूल के तहत चार टूर्नामेंट का वेन्यू तय हुआ है, जिसमें से पहला बिहार के हाथ से निकल गया।
विजय हजारे ट्रॉफी की मेजबानी हाथ से निकलने की वजह ये रही कि मोइनुल हक स्टेडियम तैयार नहीं होने के कारण बिहार ने दावेदारी पर जोर नहीं दिया। बीती फरवरी में ही मोइनुल हक स्टेडियम को शर्तों के साथ बीसीए को देने की बात हुई थी, लेकिन कला-संस्कृति एवं युवा (खेल) विभाग और बीसीए के बीच एमओयू के लिए समय सीमा तय नहीं की गई। जून के अंत में विधि विभाग ने एमओयू संबंधी ड्राफ्ट खेल विभाग को संशोधन के लिए दिया था और तबसे ये अटका हुआ है। सरकार ने तेजी नहीं दिखाई है, हालांकि सत्तारूढ़ जदयू के दो कद्दावर प्रवक्ता नीरज कुमार और संजय सिंह ने बीसीए के बैनर तले एक संवाददाता सम्मेलन कर जल्द ही एमओयू पर हस्ताक्षर की बात कही। इस दावे के कुछ ही दिनों के बाद बीसीसीआई ने शिड्यूल जारी कर दिया। लेकिन तब तक बिहार के हाथ से विजय हजारे ट्रॉफी की मेजबानी निकल गई।
बहरहाल, मोइनुल हक स्टेडियम में पिच की तैयारी हो चुकी है, लेकिन पेवेलियन-ग्रीन रूम, स्कोर बोर्ड, दर्शक दीर्घा, साइट स्क्रीन आदि का काम नहीं कराया जा सका है। एमओयू के पहले यह काम भी बीसीए ने सिर्फ इसलिए कराया है ताकि बीसीसीआई उसे घरेलू सीजन के क्रिकेट मैचों की मेजबानी का मौका दे। सरकारी फाइलों की रफ्तार दुरुस्त हुई तो एमओयू से अधिकार हासिल होते ही बीसीए युद्ध स्तर पर मोइनुल हक स्टेडियम को तैयार करेगा ताकि दो नवंबर को सी.के.नायडू क्रिकेट टूर्नामेंट का आगाज वह अपने अधीनस्थ स्टेडियम में करा सके। अगर मोइनुल हक स्टेडियम तैयार नहीं हो सका तो ऊर्जा स्टेडियम में ही मैच का विकल्प रहेगा।
एमओयू से ही स्टेडियम मिलेगा, उसी से कमाई
एमओयू की शर्तों के तहत स्टेडियम 30 साल के लीज पर बीसीए के पास रहेगा। शुरुआती तीन साल तक बीसीए ने सरकार को 12 लाख रुपए प्रतिवर्ष देने की बात कही है। फिर यह राशि बढ़कर 50 लाख रुपए सालाना करने की भी बात है। फिर प्रत्येक पांच साल पर 10 फीसदी वृद्धि का प्रावधान रखा गया है। टिकट से मिलने वाले पैसे में भी बिहार सरकार की ढाई प्रतिशत हिस्सेदारी का प्रावधान एमओयू की शर्तों में है। स्टेडियम में वीआईपी दर्शकों के लिए बॉक्स में पांच प्रतिशत हिस्सेदारी बिहार सरकार की होगी।
बिहार को मिला खेलने का मौका
बिहार भले ही विजय हजारे ट्रॉफी की मेजबानी न कर पाए लेकिन उसका गुजरात में आठ मैच खेलना तय है। बिहार को रणजी ट्रॉफी, सी. के. नायडू टूर्नामेंट और कूच बिहार के चार-चार मैचों की मेजबानी मिली है। यह मैच मोइनुल हक स्टेडियम और ऊर्जा स्टेडियम में होंगे। वैसे, बिहार के हाथ से वीनू मांकड़ वनडे ट्रॉफी और वीमेंस अंडर-19 टी 20 ट्रॉफी की मेजबानी निकलना भी तय है। ये टूर्नामेंट अक्टूबर से अप्रैल तक चलेंगे। बीसीसीआई के शिड्यूल के तहत अलग-अलग कैटेगरी में बिहार की टीम को नॉक आउट दौर और अंडर-16 के मैचों को छोड़कर कुल 96 मैच खेलने का मौका मिलेगा। बिहार क्रिकेट एसोसिएशन (बीसीए) के सचिव रविशंकर प्रसाद सिंह बताते हैं कि बिहार की टीम इस सदी में पहली बार उत्तराखंड, पुडुचेरी, विदर्भ, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, झारखंड, उत्तर प्रदेश, असम, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, मुंबई और रेलवे के साथ क्रिकेट मैच खेलने के लिए मैदान में उतरेगी।