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Tokyo Olympics 2020: ओलंपिक में सिल्वर जीतने वाले दूसरे भारतीय पहलवान बने रवि दहिया, बटाई पर खेती करते थे पिता

Tokyo Olympics 2020: कुश्ती में भारत की तरफ से रवि दहिया सिल्वर मेडल जीतने वाले दूसरे भारतीय पहलवान बन गए हैं।

Dharmendra Singh
Written By Dharmendra Singh
Published on: 5 Aug 2021 5:00 PM IST (Updated on: 5 Aug 2021 8:37 PM IST)
Tokyo Olympics 2020: ओलंपिक में सिल्वर जीतने वाले दूसरे भारतीय पहलवान बने रवि दहिया, बटाई पर खेती करते थे पिता
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Tokyo Olympics 2020: भारतीय पहलवान रवि कुमार दहिया ने टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में शानदार प्रदर्शन किया है। उन्होंने अपने प्रदर्शन के दम पर सिल्वर मेडल जीतने में कामयाबी हासिल की है। रूस के पहलवान जावुर युगुऐव ने 57 किलो फ्रीस्टाइल वर्ग के फाइनल में रवि कुमार दहिया को 7-4 से हरा दिया।

कुश्ती में भारत की तरफ से रवि दहिया सिल्वर मेडल जीतने वाले दूसरे भारतीय पहलवान बन गए हैं, लेकिन वह इतिहास रचने से चूक गए। अगर वह गोल्ड मेडल जीत जाते, तो वह ऐसा करने वाले भारतीय पहलवान बन जाते।

कुश्ती में भारत का इतिहास

ओलंपिक कुश्ती में भारत के केडी जाधव ने 1952 हेलसिंकी ओलंपिक में पहला पदक जीता था। केडी जाधव ने कांस्य पदक अपने नाम किया था। इसके साथ सुशील ने बीजिंग ओलंपिक में कांस्य और लंदन में सिल्वर मेडल जीता था। ओलंपिक में सुशील ने दो व्यक्तिगत स्पर्धा में मेडल जीतने वाले अकेले भारतीय थे, लेकिन बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधू ने कांस्य जीता और बराबरी कर ली। योगेश्वर दत्त ने भी लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक अपने नाम किया था। रियो ओलंपिक 2016 में साक्षी मलिक ने कांस्य पदक जीता था।

ओलंपिक तक का ऐसा है सफर

रवि दहिया के ओलंपिक तक पहुंचने में उनके पिता ने बहुत मेहनत किया है। रवि दहिया का दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम से ओलंपिक में पहुंचने का सफर मुश्किलों भरा रहा है। साल 1997 में हरियाणा के सोनीपत के नहरी गांव में रवि दहिया का जन्म हुआ है। रवि दहिया एक गरीब किसान परिवार से हैं। उनके पिता दूसरों लोगों से बटाई पर जमीन लेकर खेती करते थे।
रवि दहिया जब 10 साल के थे तब से ही उन्होंने छत्रसाल स्टेडियम में ट्रेनिंग शुरू कर दी थी। रवि दहिया को साल 1982 के एशियन गेम्स में गोल्ड जीतने वाले सतपाल सिंह ने ट्रेनिंग दी है। रवि दहिया के पिता राकेश का सपना था कि उनका बेटा पहलवान बने। पैसों की बावजूद रवि के पिता ने अपने बेटे की ट्रेनिंग में कोई कमी नहीं होनी दी। पिता राकेश हर दिन गांव से छत्रसाल स्टेडियम फल और दूध लेकर जाते थे। रवि के गांव से छत्रसाल स्टेडियम की दूरी 40 किमी है।
रवि के पिता अपने बेटे के सपने के लिए दिन रात काम करते हैं। उनके पिता इतना मेहनत करते हैं जिसकी वजह से वह साल 2019 में रवि का विश्व चैम्पियनशिप मैच भी नहीं देख सके थे। विश्व चैम्पियनशिप मैच में रवि ने कांस्य पदक अपने नाम किया था।


घायल होने के बाद भी नहीं मानी हार
रवि कुमार दहिया ने साल 2015 के जूनियर विश्व रेसलिंग चैम्पियनशिप में शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने 55 किलोग्राम वर्ग में सिल्वर मेडल पर कब्जा जमाया। लेकिन सेमीफाइनल में खेल के दौरान वह चोटिल हो गए। साल 2017 के सीनियर नेशनल्स में चोट से वह काफी परेशान रहे। इसकी वजह से वह कुछ समय के लिए मैच से दूरे रहे।
इसके बाद रवि दहिया ने साल 2018 में फिर से वापसी की। बुखारेस्ट में साल 2018 में विश्व अंडर 23 रेसलिंग चैम्पियनशिप में 57 किलोग्राम वर्ग में सिल्वर मेडल जीता। उन्होंने 2019 के विश्व चैम्पियनशिप के सिलेक्शन ट्रायल में वरिष्ठ पहलवान उत्कर्ष काले और ओलंपियन संदीप तोमर को शिकस्त दी। साल 2020 उन्होंने दिल्ली में एशियन रेसलिंग चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया









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