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टोक्यो ओलंपिक में इतिहास रचने वाले नीरज चोपड़ा को मिला बड़ा सम्मान, 'परम विशिष्ट सेवा मेडल' से हुए सम्मानित

टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर भारत का नाम रोशन करने वाले नीरज चोपड़ा को भारत सरकार द्वारा उन्हें विशिष्ट सम्मान से सम्मानित किया जाएगा।

Bishwajeet Kumar
Published By Bishwajeet KumarWritten By Krishna Chaudhary
Published on: 25 Jan 2022 5:10 PM IST
टोक्यो ओलंपिक में इतिहास रचने वाले नीरज चोपड़ा को मिला बड़ा सम्मान, परम विशिष्ट सेवा मेडल से हुए सम्मानित
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Neeraj Chopra

लखनऊ: टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर दुनिया में भारत का नाम रौशन करने वाले नीरज चोपड़ा को भारत सरकार ने बड़े सम्मान से सम्मानित किया है। स्टार खिलाड़ी को अब परम विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित करने का निर्णय लिया गया है। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर वीरता पुरस्कार के लिए ऐलान किए गए 384 लोगों की सूची में एक नाम इस दिगग्ज खिलाड़ी का भी है।

कौन हैं नीरज चौपड़ा

नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) एक भारतीय एथलीट हैं जो जैवलनीन थ्रो गेम में भारत का अंतराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व करते हैं। इसी के साथ नीरज भारतीय सेना (Indian Army) में सूबेदार के रैंक पर भी कार्यरत हैं। सेना में इनके उम्दा प्रदर्शन को देखते हुए इन्हें विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित भी किया जा चुका है। 24 दिसंबर 1997 को हरियाणा के पानीपत जिले के एक गांव खांद्रा में एक किसान परिवार के घर जन्मे नीरज को जैवलिन थ्रो में रूचि तब ही आ गई थी जब वो केवल 11 वर्ष के थे। नीरज की शुरूआती पढ़ाई लिखाई हरियाणा में ही हुई है।

ऐसे हुई सेना में एंट्री

नीरज चोपड़ा का स्पोर्टस कोटे के तहत 2016 में इंडियन आर्मी में एंट्री हुई। उन्हें नायक सूबेदार के पद पर शामिल किया गया। इस स्टार एथलीट को पुणे में मिशन ओलंपिक विंग और आर्मी स्पोर्टस इंस्टीट्यूट में ट्रेनिंग के लिए भी चुना गया था।

स्पोर्टस करियर

स्टार एथलीट नीरज चौपड़ा का स्पोर्टस में करियर शानदार रहा। 2010 कॉमलवेल्थ गेम्स (Commonwealth Games) में ब्राउन्ज मेडल जीतने वाले सूबेदार काशीनाथ नाइक उनके कोच हुआ करते थे। उन्हीं के मार्गदर्शन में उन्होंने कॉमनवेल्थ और एशियन गेम्स (asian games) में गोल्ड मेडल जीता। जिसका नतीजा ये रहा कि उन्हीं सेना में सूबेदार की रैंक पर प्रमोट कर दिया गया। नीरज को 2018 में अर्जुन अवार्ड और भारतीय सेना के विशिष्ट सेवा मेडल से भी सम्मानित किया गया था।



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