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Tokyo Olympics: हॉकी टीम ने ताजा कर दीं शानदार अतीत की यादें, फिर बुलंदी पर पहुंचने की आस जगी
Tokyo Olympics: जर्मनी की ताकतवर टीम को 5-4 से हराकर भारतीय टीम ने कांस्य पदक पर कब्जा कर लिया है।
Tokyo Olympics: भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने 1980 के बाद ओलंपिक में एक बार फिर कमाल का प्रदर्शन किया है। जर्मनी की ताकतवर टीम को 5-4 से हराकर भारतीय टीम ने कांस्य पदक पर कब्जा कर लिया। ओलंपिक खेलों में भारतीय हॉकी टीम ने आखिरी बार 1980 में गोल्ड मेडल जीता था मगर उसके बाद टीम का प्रदर्शन अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहा था। इस तरह भारतीय टीम ने 41 साल का सूखा खत्म करते हुए ओलंपिक खेल में मेडल जीतने में कामयाबी हासिल की है।
गुरुवार को खेले गए मुकाबले में दूसरे क्वार्टर में 3-1 से पिछड़ने के बाद भारतीय खिलाड़ियों ने जबर्दस्त वापसी करते हुए जर्मनी को घुटने टेकने पर मजबूर कर दिया। भारत ने ताबड़तोड़ चार गोल दागते हुए यह मुकाबला 5-4 से जीत कर पूरे देश को जश्न मनाने का मौका दे दिया। भारतीय खिलाड़ियों के जोरदार खेल ने उस स्वर्णिम दौर की भी यादें ताजा कर दी हैं जब पूरी दुनिया के लोग भारतीय हॉकी टीम के शानदार प्रदर्शन के मुरीद थे। जानकारों का मानना है कि भारतीय टीम के इस शानदार प्रदर्शन के बाद अब आने वाले दिनों में एक बार फिर भारत के बुलंदी पर पहुंचने की आस जगी है।
दोनों टीमों ने दिखाया आक्रामक खेल
गुरुवार को कांस्य पदक के लिए खेले गए मुकाबले के दौरान पहले क्वार्टर में जर्मनी की टीम हावी रही। जर्मन खिलाड़ियों ने आक्रामक हॉकी खेलते हुए मैच के दूसरे मिनट में ही बढ़त बना ली। जर्मन खिलाड़ी ओरूज ने फील्ड गोल करके अपनी टीम को 1-0 से आगे कर दिया। इस क्वार्टर के दौरान भारतीय गोलकीपर श्रीजेश ने दो शानदार बचाव करते हुए जर्मनी की टीम को और कोई बढ़त नहीं लेने दी।
दूसरे क्वार्टर के दौरान भारतीय टीम ने जर्मनी पर दबाव बनाया और सिमरनजीत सिंह ने 17वें मिनट में गोल दागकर स्कोर को 1-1 से बराबर कर दिया। स्कोर बराबर होने के बाद जर्मनी की टीम ने एक बार फिर आक्रामक हॉकी खेलते हुए लगातार दो गोल दागे। जर्मनी की ओर से 24वें मिनट में वेलेन ने और 25वें में मिनट में फर्क ने गोल दागकर अपनी टीम को बढ़त दिला दी।
इसके बाद भारतीय टीम ने भी जवाबी हमला बोला और भारत की ओर से हार्दिक सिंह ने 27वें मिनट और हरमनप्रीत सिंह ने 29वें मिनट में गोल करके स्कोर को एक बार फिर 3-3 से बराबर कर दिया। हाफ टाइम तक दोनों टीमों के बीच मुकाबला 3-3 की बराबरी पर ही था।
हाफ टाइम के बाद भारत को मिली बढ़त
हाफ टाइम के बाद 31वें मिनट में भारत एक बार फिर बढ़त बनाने में कामयाब रहा जब रूपिंदर पाल सिंह ने पेनाल्टी कॉर्नर को गोल में तब्दील कर दिया। मैच के 34वें मिनट में सिमरनजीत सिंह ने एक गोल और भारतीय टीम की लीड को 5-3 कर दिया। चौथे क्वार्टर के दौरान जर्मनी ने एक और गोल दागा और स्कोर को 5-4 करने में कामयाबी हासिल की। हालांकि इसके बाद दोनों टीमों की ओर से कई प्रयास किए जाने के बावजूद कोई भी गोल नहीं हो सका और आखिरकार भारत 5-4 से यह मुकाबला जीतने में कामयाब रहा।
इसके साथ ही भारत ने कांस्य पदक पर कब्जा कर लिया। ओलंपिक खेलों में भारत और जर्मनी की टीमें अब तक 12 बार भिड़ चुकी हैं। इन मुकाबलों के दौरान भारत को पांच जबकि जर्मनी को 4 मुकाबलों में जीत हासिल हुई है। दोनों टीमों के बीच तीन मुकाबले बराबरी पर छूटे हैं।
49 साल बाद सेमीफाइनल तक पहुंचा भारत
टोक्यो ओलंपिक के दौरान भारतीय पुरुष हॉकी टीम का प्रदर्शन शानदार रहा है और भारतीय टीम 49 साल बाद ओलंपिक के सेमीफाइनल राउंड में पहुंचने में कामयाब हुई। हालांकि सेमीफाइनल मुकाबले के दौरान भारतीय टीम को बेल्जियम के हाथों 2-5 से हार का सामना करना पड़ा। 1972 के म्यूनिख ओलंपिक के बाद भारतीय हॉकी टीम पहली बार सेमीफाइनल दौर में पहुंचने में सफल हुई। इसके पहले भारत ने आखिरी बार 1980 के मास्को ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीता था। लेकिन मास्को ओलंपिक में राउंड रॉबिन आधार पर मुकाबला आयोजित किया गया था।
उस ओलंपिक के दौरान भारत ने छह टीमों के पूल में दूसरे स्थान पर रहने के बाद फाइनल का टिकट हासिल किया था और आखिरकार वासुदेवन भास्करन की अगुवाई में भारतीय टीम आखिरी बार गोल्ड मेडल जीतने में कामयाब हुई थी। 1984 के लॉस एंजिल्स ओलंपिक के दौरान भारतीय टीम पांचवें स्थान पर रही थी। उसके बाद भारतीय हॉकी टीम के प्रदर्शन में लगातार गिरावट आती गई मगर इस बार 1980 के 41 साल बाद भारतीय टीम पदक जीतने में कामयाब रही।
भारतीय हॉकी का स्वर्णिम इतिहास
वैसे हॉकी के क्षेत्र में भारत का काफी स्वर्णिम इतिहास रहा है। ओलंपिक के इतिहास में भारत ने पहली बार एम्सटर्डम ओलंपिक में 1928 में गोल्ड मेडल जीता था। उस समय भारत की टीम में हॉकी के जादूगर माने जाने वाले मेजर ध्यानचंद खेला करते थे और उन्होंने उस ओलंपिक के दौरान कमाल का प्रदर्शन किया था।
भारतीय टीम ने पांच मैचों के दौरान 29 गोल दागे थे जिसमें से अकेले मेजर ध्यानचंद ने 14 गोल दागकर विपक्षी टीमों को हतप्रभ कर दिया था। फाइनल मुकाबले के दौरान मेजर ध्यानचंद ने नीदरलैंड के खिलाफ हैट्रिक लगाकर टीम इंडिया को गोल्ड मेडल दिलाया था।
1928 में हॉकी में ओलंपिक का पहला गोल्ड मेडल जीतने के बाद भारतीय टीम ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और 1956 के ओलंपिक खेलों तक लगातार छह गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया। उस दौर में भारत की हॉकी टीम ने इतना गजब का प्रदर्शन किया था कि उसे भारतीय हॉकी का स्वर्णिम दौर कहा जाता है।
1980 में जीता था आखिरी गोल्ड मेडल
1956 के ओलंपिक खेल में गोल्ड मेडल जीतने के बाद भारत की हॉकी टीम ने 1960 के ओलंपिक खेलों के दौरान सिल्वर मेडल जीता था। बाद के दिनों में भारत 1964 और 1980 के ओलंपिक खेलों में भी गोल्ड मेडल जीतने में कामयाब रहा जबकि 1968 और 1972 के ओलंपिक खेलों में भारतीय टीम को कांस्य पदक हासिल हुआ था।
भारतीय हॉकी टीम ने अपना आखिरी गोल्ड मेडल 1980 के मास्को ओलंपिक खेलों में जीता था। उस समय भारतीय टीम में वाराणसी के रहने वाले मोहम्मद शाहिद कमाल के खिलाड़ी थे जिन्होंने अपने खेल से दुनिया के अन्य देशों की टीमों को चौंका दिया था।
फिर बुलंदी पर पहुंचने की आस
1980 के बाद मौजूदा टोक्यो ओलंपिक के दौरान भारतीय हॉकी टीम ने एक बार फिर पदक जीता है। भारतीय पुरुष हॉकी टीम के कांस्य पदक जीतने पर पूरे देश में जश्न का माहौल दिख रहा है और सोशल मीडिया पर भारतीय टीम की जीत की खूब चर्चा हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी भारतीय हॉकी टीम को इस जीत के लिए बधाई दी है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ये ऐतिहासिक दिन है और ये दिन हर भारतीय के जेहन में हमेशा मौजूद रहेगा। उन्होंने कहा कि भारत को अपनी हॉकी टीम पर गर्व है।
माना जा रहा है कि इस जीत के बाद भारतीय हॉकी टीम एक बार फिर और मजबूत बनकर उभरेगी और आगे और कामयाबी हासिल करेगी। जानकारों के मुताबिक इस जीत से भारतीय खिलाड़ियों का हौसला बुलंद हुआ है और इसका असर आगे के टूर्नामेंटों में भी दिखाई देगा।