Vinesh Phogat: अपने गांव पहुंचकर भावुक हुई विनेश फोगाट, गांव और देश को लेकर कह दी दिल छू लेने वाली बात

Vinesh Phogat: विनेश फोगाट ने अपने पेतृक गांव बिलाली पहुंचकर अपने गांव वालों और देश को लेकर कह दी बहुत बड़ी बात, विनेश हुई भावुक

Kalpesh Kalal
Published on: 18 Aug 2024 4:36 AM GMT
Vinesh Phogat
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Vinesh Phogat (Source_Social Media)

Vinesh Phogat: पेरिस ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन के बाद फाइनल से ठीक पहले डिसक्वालीफाई होने के बाद अब देश की बेटी विनेश फोगाट देश को लौट आयी है। भारत की स्टार महिला कुश्ती खिलाड़ी विनेश फोगाट ने पेरिस ओलंपिक में कोई मेडल नहीं जीता, लेकिन अपने प्रदर्शन से दिल जीतकर वतन लौटी। शनिवार को विनेश फोगाट दिल्ली के एयरपोर्ट पहुंची, जहां उनका भव्य स्वागत हुआ। विनेश फोगाट को इस दौरान दिल्ली एयरपोर्ट पर लेने के लिए उनके गांव से हजारों लोग पहुंचे थे।

विनेश फोगाट के गांव बिलाली में बेटी का हुआ भव्य स्वागत

दिल्ली एयरपोर्ट से होते हुए विनेश फोगाट का खुली जीप में अपने पेतृक गांव हरियाणा के बिलाली तक रोड़ शो हुआ। विनेश के इस रोड़ शो में दिल्ली से बिलाली की दूरी 125 किलोमीटर को तय करने में 13 घंटों का समय लगा। जिसके बाद वो अपने गांव पहुंची। रोड़ शो के दौरान रास्ते में जगह-जगह विनेश का स्वागत किया गया और गांव पहुंचने के बाद तो माहौल पूरी तरह से अलग था, जहां अपने गांव की बेटी का एक दीदार पाने के लिए पूरा गांव जुट गया।

मेरे गांव की मेरी कोई बहन तोड़ दें मेरे सारे रिकॉर्ड- विनेश फोगाट

विनेश फोगाट अपने गांव पहुंचकर काफी ज्यादा भावुक हो गई। गांव के खेल स्टेडियम में सम्मान समारोह रखा गया। इस दौरान विनेश फोगाट ने अपने गांव बिलाली और हमारे देश को लेकर बहुत ही खास बात कही। देश की इस बेटी ने कहा कि, "मैं खुद को बहुत भाग्यशाली मानती हूं, मैंने ऐसे गांव में जन्म लिया है। आज मैं गांव का कर्ज अदा करने में अपनी भूमिका निभा पाई हूं। मैं चाहती हूं कि गांव से मेरी एक बहन निकले जो मेरे रेसलिंग के सारे रिकॉर्ड को तोड़े।"

विनेश ने कहा- ओलंपिक में मिले गहरे घाव, गांव-देश से मिले प्यार से भर गए घाव

इसके बाद आगे उन्होंने पेरिस ओलंपिक की इन कड़वी यादों को लेकर कहा कि, "ओलिंपिक मेडल का घाव बहुत गहरा है। इससे उबरने में समय लगेगा। लेकिन, गांव और देश का जो प्यार देखा, इससे घाव भरने में हिम्मत मिलेगी। कुश्ती को मैं छोड़ना चाहती थी, या छोड़ दिया है, वह इस पर कुछ नहीं कह सकती हैं। लेकिन वह 2032 तक अपने खेल को जारी रखना चाहती थीं। जिंदगी की लड़ाई बहुत लंबी है। हमारी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। एक छोटा सा हिस्सा मैं पार कर आई हूं। यह भी अधूरा रह गया। हम एक साल से लंबी लड़ाई लड़ रहे हैं, वह आगे भी जारी रहेगी।"

Kalpesh Kalal

Kalpesh Kalal

क्रिकेट कंटेंट क्रिएटर

जुनून की हद तक क्रिकेट से लगाव।वीरेंद्र सहवाग प्रिय क्रिकेटर।बारह साल की उम्र से क्रिकेट पर लिखना पढ़ना शुरू। 2011 में खेल पत्रकारिता की पारी शुरू।बीते करीब 5 साल से क्रिकेट कंटेंट राइटर ।

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