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सभ्य लोगों के इस खेल को इस काम से लग गया था काला दाग

क्रिकेट को बच्चे और बुढ़े हर कोई देखना और खेलना पसंद करता है। राजनीति की तरह ही क्रिकेट भी लोकप्रिय और दुनिया में सबसे ज्यादा खेला जाने वाला खेल है। यह खेल जितना लोकप्रिय है, उतना ही विवादों से भी जुड़ा हैं, क्रिकेट में विवादों का लंबा इतिहास है। उसी फेहरिश्त में एक विवाद है जिसने क्रिकेट को शर्मसार कर दिया हैं।

suman
Published on: 21 April 2020 5:39 AM GMT
सभ्य लोगों के इस खेल को इस काम से लग गया था काला दाग
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नई दिल्ली: क्रिकेट को बच्चे और बुढ़े हर कोई देखना और खेलना पसंद करता है। राजनीति की तरह ही क्रिकेट भी लोकप्रिय और दुनिया में सबसे ज्यादा खेला जाने वाला खेल है। यह खेल जितना लोकप्रिय है, उतना ही विवादों से भी जुड़ा हैं, क्रिकेट में विवादों का लंबा इतिहास है। उसी फेहरिश्त में एक विवाद है जिसने क्रिकेट को शर्मसार कर दिया हैं।

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क्रिकेट को बच्चे और बुढ़े हर कोई देखना और खेलना पसंद करता है। राजनीति की तरह ही क्रिकेट भी लोकप्रिय और दुनिया में सबसे ज्यादा खेला जाने वाला खेल है। यह खेल जितना लोकप्रिय है, उतना ही विवादों से भी जुड़ा हैं, क्रिकेट में विवादों का लंबा इतिहास है। उसी फेहरिश्त में एक विवाद है जिसने क्रिकेट को शर्मसार कर दिया हैं।

क्रिकेट के मैदान में हमेशा खिलाड़ियों के बीच तकरार देखने को मिलती है। लेकिन बहुत कम होता है कि खिलाड़ी आपस में ही लड़ाई करने पर उतारू हो जाए। आज हम आप को एक ऐसे ही हादसे के बारें में बताएंगे, जब खिलाड़ियों ने आपस में ही लड़ाई शुरू कर दी थी। जिसके बाद फैंस ने खिलाड़ियों पर पत्थर बरसाने शुरू कर दिए थे।

29 साल पहले 29 जनवरी 1991 को ये शर्मनाक घटना हुई थी। इस दौरान नॉर्थ जोन और वेस्ट जोन के बीच दिलीप ट्रॉफी का फाइनल मैच चल रहा था। पहले बल्लेबाज़ी करते हुए नॉर्थ जोन ने 729 रन बनाए थे। जवाब में बल्लेबाज़ी करते हुए ईस्ट जोन 561 रन बनाए थे। इस दौरान मैच के आखिरी दिन जब नॉर्थ जोन बल्लेबाज़ी करने आई तो ये शर्मनाक घटना घट गई थी।

क्रिकेट के इतिहास में काला दिन

नॉर्थ जोन और वेस्ट जोन के बीच जमशेदपुर के कीनन स्टेडियम में खेला गया पांच दिवसीय फाइनल का आखिरी दिन भारतीय घरेलू क्रिकेट के इतिहास के लिए काला दिन साबित हुआ। दरअसल, वेस्ट जोन से खेल रहे राशिद पटेल नॉर्थ जोन के सलामी बल्लेबाज रमण लांबा पर स्टंप्स से हमला करने के लिए आगे बढ़े। लांबा खुद को बचाते रहे। स्टेडियम में बैठा हर कोई हैरान था कि आखिरी ये क्या हो गया...?

मैच का पांचवां और आखिरी दिन था। पहली पारी के आधार नॉर्थ जोन का विजेता होना तय था। कपिल देव की कप्तानी वाली नॉर्थ जोन की टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 729/9 रनों का पहाड़ खड़ा कर अपनी पारी घोषित की थी। जवाब में रवि शास्त्री की कप्तानी वाली वेस्ट जोन की टीम 561 रनों पर ऑल आउट हो गई थी। यानी बड़े स्कोर वाले इस मैच में चार दिन बीत गए। आखिरी दिन राशिद पटेल गेंदबाज़ी कर रहे थे। इस दौरान रमण लांबा बल्लेबाज़ी कर रहे थे। राशिद पटेल गेंदबाज़ी करते समय बार-बार पिच के डेंजर एरिया पर जा रहे थे। जिस पर रमण लांबा ने उन्हें मना किया। इस दौरान दोनों के बीच ये बहस गाली-गलौच में बदल गई। जिस पर राशिद पटेल को गुस्सा आ गया और उन्होंने स्टंप उखाड़ा और रमण लांबा पर हमला बोल दिया। लांबा अपने बैट से अपना बचाव करने लगे।

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क्रिकेट पर प्रतिबंध और लांबा की मौत

तभी अजय जडेजा लांबा को बचाने पहुंचे। इस दौरान भी वो चोटिल हो गए।राशिद पटेल के स्टंप के वारों से रमण लांबा और अजय जडेजा बुरी तरह से घायल हो गए थे। इस दौरान मैच देख रहे फैंस भी बेकाबू हो गए और उन्होंने मैदान के अंदर पथराव कर दिया। जिसमे विनोद कांबली भी घायल हो गए थे। जिसके बाद मैच रद्द करना पड़ा। इस घटना के बाद राशिद पटेल पर 13 महीने और रमण लांबा को भी 10 महीने का बैन लगा दिया

दुर्भाग्य से 1998 में रमण लांबा का दुखद अंत हुआ। बांग्लादेश में क्लब क्रिकेट खेलने के दौरान शॉर्ट लेग पर फील्डिंग करते वक्त उनके सिर में चोट लगी। वह बिना हेलमेट के फील्डिंग कर रहे थे। बल्लेबाज मेहराब हुसैन ने जोरदार शॉट मारा और वह लांबा के सिर पर जा लगा। दिल्ली से एक न्यूरोसर्जन को बुलाया गया, लेकिन लांबा को बचाया नहीं जा सका महज 38 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया।

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