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सीखना बंद तो जीतना बंद मंत्र है एथलेटिक का
विश्व में एथलेटिक्स को बढ़ावा देने के लिए इंटरनेशनल एमटेर यूथ फेडरेशन द्वारा हर वर्ष 7 मई की तारीख निर्धारित की गई
हमारे समय में बड़े बुजुर्ग कहते थे खेलोगे कूदोगे तो होगे खराब पढ़ोगे लिखोगे तो बनोगे नवाब आज यह कहावत पूर्ण तरह से बदल गई है ।अब खेलने कूदने से भविष्य खराब नहीं होता बल्कि यह एक स्वस्थ जीवन भी प्रदान करता है और एक कैरियर के रूप में भी काम करता है। खेलकूद मानव को एक स्वस्थ जीवन प्रदान करता है ,अनेक प्रकार के खेलों की श्रृंखला में एथलीट्स का भी विशेष योगदान है ।एक परफेक्ट स्टार्टअप के साथ है। हर स्टेप पर बैलेंस एथलीट में बहुत जरूरी होता है । भारत की उड़न परी पीटी ऊषा हाल में हेमा डास की उपाधियों के बारे में हम सभी परिचित हैं ।
एथलेटिक दिवस का परिचय
विश्व में एथलेटिक्स को बढ़ावा देने के लिए इंटरनेशनल एमटेर यूथ फेडरेशन (IAAF) द्वारा हर वर्ष 7 मई की तारीख निर्धारित की गई ।पहला विश्व एथलेटिक दिवस 1996 में मनाया गया था। IAAF की स्थापना 1912 में स्वीडन में हुई थी। मुख्यालय मोनाको में स्थित है। अध्यक्ष: सेबस्टियन कोए थे ।
एथलीट्स क्या है
एथलेटिक्स मुख्य दौड़ने कूदने फेंकने और चलने की प्रतियोगिताओं का एक विशेष संग्रह है । इसके अंतर्गत समान तौर पर ट्रैक और फील्ड रोड रनिंग ,क्रॉस कंट्री रनिंग और रेस वाकिंग प्रतियोगिता को सम्मिलित किया गया है । एक एथलेटिक्स जीवन में हार सकता है पर थक नही सकता ।
एथलेटिक्स दिवस का उद्देश्य
विश्व एथलेटिक्स दिवस का उद्देश्य लोगों में खेलो के बारे में जागरूकता बढ़ाना और युवाओं को खेलों के महत्व के बारे में शिक्षित करना है। स्कूल और संस्थानों में प्राथमिक खेलों के रूप में एथलेटिक्स को बढ़ावा देना ।युवाओं के बीच खेलों को लोकप्रिय बनाने और युवाओं खेल और खेल भावना के बीच एक कड़ी स्थापित करना है। समूचे विश्व के स्कूलों में एथलेटिक्स को नंबर खेल के रूप में स्थापित करना है ।
एथलेटिक बनने के लिए कुछ ज़रूरी बात
यहां कुछ जरूरी टिप्स दिए गए हैं जो आपको बेहतर धावक बनने में सहायता करेंगे|दौड़ने के लिए उचित समय और दूरी का निश्चय करें ।अच्छे खेल जूतों का इस्तेमाल करें । दौड़ की शुरुआत धीरे धीरे करें । प्राणायाम करें । कुछ कार्बोहाइड्रेट् युक्त पदार्थ का सेवन करें ।दौड़ने के तुरंत बाद खाना न खाएं।
एथलेटिक्स जीत का मूल मंत्र
वैसे तो यह जीवन का मूल मंत्र होता है हारा हुआ इंसान फिर से जीत सकता है लेकिन मन से हारा हुआ इंसान कभी नहीं की जीत सकता सीखना बंद तो जीतना बंद|इसका उदाहरण देखें ढलती उम्र के साथ हीं बुजुर्ग जहां पार्क में टहलते नजर आते हैं, वहीं भारत की मिरेकल फ्रॉम चंडीगढ़" के नाम से मशहूर 102 वर्षीय मन कौर भारत की सबसे वरिष्ठ महिला एथलिट हैं। उन्होंने 93 वर्ष की उम्र में अपने एथलेटिक करियर की शुरुआत की थी। उन्हें भारत सरकार द्वारा नारी शक्ति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। मान कौर 102 साल की उम्र में भी अब तक नहीं थकी हैं।
दिवस की शुभकामनाएँ
किसी दार्शनिक ने एक बात कही है ,हौसले के तरकश में कोशिश का तीर जिंदा रखो हार जाओ चाहे जिंदगी में सब कुछ मगर जीतने की उम्मीद जिंदा रखो ।
विश्व के सभी एथिलिटेस को शुभकामनाएँ व बधाई ।