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Paris Olympic 2024: पेरिस ओलंपिक में हमारे गोल्डन बॉय नीरज से गोल्ड छिनने वाले इस पाकिस्तानी की कहानी नहीं जानते होंगे आप
Paris Olympic 2024: पाकिस्तान के गोल्ड मेडलिस्ट जेवलिन खिलाड़ी अरशद नदीम के पिता ने बताया बेटे ने कैसे पूरा किया यहां तक का सफर
Paris Olympic 2024: पेरिस ओलंपिक में गुरुवार को भारत और उसके चिर प्रतिदंद्वी पाकिस्तान की नजरें जेवलिन थ्रो के फाइनल राउंड पर थी। भारत के स्टार जेवलिन खिलाड़ी गोल्डन बॉय नीरज चोपड़ा इस इवेंट में गोल्ड मेडल जीतने के सबसे प्रबल दावेदार माने जा रहे थे। पूरे भारत को अपने गोल्डन बॉय नीरज चोपड़ा पर गोल्ड मेडल जीतने का भरोसा था। नीरज ने तो अपना पूरा दम दिखाया और 89.45 मीटर दूर भाला फेंक कर इतिहास रचने की दिशा में जरूर बढ़े, लेकिन पाकिस्तान के अरशद नदीम ने हमारे नीरज से गोल्ड मेडल छिन लिया।
जेवलिन में गोल्ड मेडल जीतने वाले अरशद खान का सफर नहीं रहा है आसान
नीरज चोपड़ा इस इवेंट में दूसरे नंबर पर रहे और उन्होंने रजत पदक जीता, लेकिन पाकिस्तान के भाला फेंक खिलाड़ी अरशद नदीम ने इस इवेंट में 92.97 मीटर की दूरी पर भाला फेंककर गोल्ड मेडल पर कब्जा किया। पाकिस्तान के अरशद नदीम ने हमारी गोल्ड की उम्मीदें भले ही तोड़ दी, लेकिन इस अरशद खान की कहानी कुछ ऐसी है जो बहुत ही पीड़ादायक है।
अरशद के पास एक वक्त तो नहीं थे भाला खरीदनें तक के पैसे
अरशद खान आज जेवलिन में गोल्ड मेडलिस्ट बने, लेकिन इनके लिए यहां तक का सफर तय करना आसान नहीं रहा, जिन्होंने कईं मुश्किलों को देखा है। एक वक्त तो ऐसा था, जब अरशद नदीम के पास ट्रेनिंग तो दूर की बात भाला खरीदने तक के पैसे नहीं थे। लेकिन इस स्थिति में उन्हें उनके गांव वालों ने पूरे सपोर्ट किया और ट्रेनिंग कराने तक के पैसे जुटाए। जिसके बाद अरशद नदीम आज पाकिस्तान के लिए गोल्ड लेकर आए हैं।
अरशद के पिता ने बताया, गांववालों ने ट्रेनिंग के लिए जुटाएं थे पैसे
पाकिस्तानी जेवलिन थ्रो के खिलाड़ी अरशद नदीम के पिता ने इस बात का खुलासा किया। अरशद नदीम के पिता ने अपने बेटे के गोल्ड मेडल जीतने के बाद हुए एक इंटरव्यू में बताया कि, ''अधिकतर लोग ये बात नहीं जानते हैं कि नदीम इस मुकाम तक कैसे पहुंचा हैं। हमारे गांव के लोगों और रिश्तेदारों ने शुरुआत में पैसे देकर नदीम की ट्रेनिंग करवाई है। यहां तक की उसकी यात्रा का भी खर्च उठाया। मैंने आज तक मजदूरी ही की है और नदीम यहां इस मुकाम तक पहुंच सके।''