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Gujarat: विधानसभा चुनाव की आहटों के बीच केंद्र ने रद्द किया पार-तापी-नर्मदा लिंक प्रोजेक्ट

गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए 'पार-तापी-नर्मदा लिंक प्रोजेक्ट' (Par-Tapi-Narmada Link Project) को रद्द कर दिया है।

Krishna Chaudhary
Published on: 21 May 2022 6:44 PM IST
center cancels par tapi narmada link project amid gujarat assembly election
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Par-Tapi-Narmada Link Project 

Par-Tapi-Narmada Link Project : गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए 'पार-तापी-नर्मदा लिंक प्रोजेक्ट' (Par-Tapi-Narmada Link Project) को रद्द कर दिया है। दरअसल, लंबे समय से गुजरात में रहने वाले आदिवासी समुदाय (Tribal Community) के लोग इसका कड़ा विरोध कर रहे थे। सरकार से इस परियोजना को रद्द करने की मांग कर रहे थे। जिसे अंततः केंद्र सरकार ने मान लिया है। इससे पहले इस साल मार्च में सरकार ने आदिवासियों के बढ़ते विरोध-प्रदर्शन को देखते हुए इस परियोजना पर आगे न बढ़ने का फैसला लिया था।

वित्त मंत्री के ऐलान के बाद तेज हुआ था विरोध

इस साल के बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Union Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने ऐलान किया था, कि पार-तापी-नर्मदा समेत पांच नदी जोड़ परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (DPR) को अंतिम रूप दे दिया गया है। उन्होंने कहा, कि एक बार लाभार्थी सूबों (गुजरात और महाराष्ट्र) के बीच आम सहमति बन जाए, तो केंद्र क्रियान्वयन के लिए सहायता उपलब्ध कराएगा। उनके इस ऐलान के बाद ही दक्षिण गुजरात और उत्तर महाराष्ट्र के आदिवासी सडकों पर आ गए। गुजरात में प्रदर्शन सबसे मुखर दिखा, राजधानी गांधीनगर में भी आदिवासियों ने जोरदार प्रदर्शन किया था। आदिवासियों का कहना है कि इस परियोजना के कारण वो अपने पुरखों की जमीन से बेदखल हो जाएंगे। लिहाजा ये उन्हें अस्वीकार्य है।

आदिवासियों के समर्थन में कांग्रेस

आदिवासियों के इस विरोध-प्रदर्शन में कांग्रेस भी शामिल हो गई। मनमोहन सिंह सरकार (UPA Government) के दौरान इस परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए प्रयासरत कांग्रेस अब भाजपा सरकार पर इसे रद्द करने का दबाव बनाने लगी। इस साल, फरवरी में वलसाड जिले में कांग्रेस विधायक अनंत पटेल और शिवसेना नेता अभिनव डेल्कर (Shiv Sena leader Abhinav Delkar) ने इस परियोजना के खिलाफ बड़ी रैली का आयोजन किया था। इसके बाद, आदिवासियों ने भी कई रैलियों का आयोजन कर सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की।

विधानसभा चुनाव को देखते हुए पीछे हटी सरकार

गुजरात में आदिवासी समुदाय के मतदाता अच्छी संख्या में हैं, जो अभी भी बड़ी संख्या में कांग्रेस को वोट देते रहे हैं। ऐसे में चुनावी साल में बीजेपी की स्टेट लीडरशिप भी आदिवासियों के इस विरोध-प्रदर्शन से सहज महसूस नहीं कर रही थी। पार्टी आदिवासी समुदाय के अलगाव से बचना चाहती है। लिहाजा, गुजरात बीजेपी के अध्यक्ष सीआर पाटिल (Gujarat BJP President CR Patil) राज्य के अन्य आदिवासी भाजपा नेताओं के साथ मार्च महीने में ही नई दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से मुलाकात कर परियोजना पर रोक लगाने की अपील की थी। उन्होंने बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व को आगामी चुनाव में संभावित सियासी नफे-नुकसान से भी अवगत कराया था।

बीजेपी नहीं लेना चाहती जोखिम

इसके बाद ही, सरकार ने इस परियोजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया था। सीआर पाटिल ने कहा भी था, कि बीजेपी 'कुछ भी ऐसा नहीं करेगी, जिसके नतीजे में आदिवासियों की ज़मीनें उनसे छिन जाए और उनके हितों को नुकसान पहुंचे। लेकिन कांग्रेस समेत अन्य आदिवासी संगठन सरकार पर परियोजना को रद्द करने का आदेश देने की मांग करने लगे। जिसके बाद बढ़ते दबाव के फलस्वरूप अब केंद्र सरकार ने इसे रद्द करने का फैसला ले लिया है।' बता दें, कि इस साल के आखिरी में गुजरात में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में बीजेपी राज्य के एक बड़े मतदाता वर्ग को नाराज करने का जोखिम नहीं ले सकती है।

जानें क्या है पार-तापी-नर्मदा लिंक प्रोजेक्ट?

पार-तापी-नर्मदा लिंक प्रोजेक्ट में परिकल्पना की गई थी कि महाराष्ट्र के पश्चिमी घाटों के अतिरिक्त पानी को सिंचाई, पनबिजली और जलापूर्ति के लिए गुजरात के सौराष्ट्र और अर्ध शुष्क क्षेत्रों की ओर लाया जाए। परियोजना में तीन नदियां-पार, तापी और नर्मदा को, जो महाराष्ट्र और गुजरात के जिलों से होकर गुजरती है, एक नहर के जरिए आपस में जोड़ा जाना था। 500 करोड़ रुपए की इस परियोजना में सात डैम, तीन मेड़ और छह बिजली घरों का निर्माण भी प्रस्तावित था।



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Content Writer

अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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