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Shivsena Dispute: कभी उद्धव के सबसे करीबी थे एकनाथ शिंदे, जानें- दोनों के बीच क्यों और कैसे बढ़ीं दूरियां

Shivsena Dispute- महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को कभी उद्धव ठाकरे के बेहद करीबियों में से एक माना जाता था। लेकिन मौजूदा समय में दोनों एक-दूसरे के सबसे बड़े राजनीतिक दुश्मन हैं

Hariom Dwivedi
Written By Hariom Dwivedi
Published on: 18 Feb 2023 7:41 AM GMT (Updated on: 18 Feb 2023 7:45 AM GMT)
Shivsena Dispute
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फाइल फोटो- उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे

Shivsena Dispute- महाराष्ट्र की सियासत में एक बार फिर उथल-पुथल मच गया है। एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे से शिवसेना का नाम और पार्टी का चुनाव चिह्न दोनों छीन लिया है। मुख्यमंत्री की कुर्सी वह पहले ही छीन चुके हैं। एकनाथ शिंदे को कभी उद्धव ठाकरे के बेहद करीबियों में से एक माना जाता था। लेकिन मौजूदा समय में दोनों एक-दूसरे के सबसे बड़े राजनीतिक दुश्मन हैं।

2019 के चुनाव के बाद उद्धव ठाकरे ने कांग्रेस-एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना ली। लेकिन एकनाथ शिंदे शिवसेना और बीजेपी का गठबंधन चाहते थे। आखिर में उद्धव ठाकरे की मर्जी ही चली और एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन कर महाविकास अघाड़ी की सरकार बनी। शिंदे को शहरी विकास मंत्रालय दिया गया लेकिन, वह विभाग में आदित्य ठाकरे के हस्तक्षेप से काफी नाराज थे। सरकार में धीरे-धीरे आदित्य का कद बढ़ने लगा जबकि एकनाथ शिंदे के अधिकारों पर अंकुश लगाया जाने लगा। असली विवाद यहीं से शुरू हुआ था। आइये जानते हैं पूरा घटनाक्रम, जिसकी वजह से दोनों के बीच दूरियां बढ़ती गईं।

21 जून 2022

महाराष्ट्र में सियासी घमासान 21 जून 2022 को तब शुरू हुआ, जब एकनाथ शिंदे और कई अन्य विधायक भाजपा शासित गुजरात में सूरत में जाकर किसी होटल में छिप गए।

23 जून 2022

23 जून को एकनाथ शिंदे ने बगावत कर दिया। उन्होंने दावा किया कि उनके पास 35 विधायकों का समर्थन है। इस संबंध में शिंदे ने बाकायदा समर्थन का पत्र जारी कर उद्धव सरकार में खलबली मचा दी।

24 जून 2022

25 जून को डिप्टी स्पीकर ने 16 बागी विधायकों की सदस्यता रद्द करने का नोटिस भेजा। बागियों को जवाब देने के लिए कहा गया। इसके बाद बागी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई।

26 जून 2022

26 जून को सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना, केंद्र, महाराष्ट्र पुलिस और डिप्टी स्पीकर को नोटिस भेजा। फैसले में शिवसेना के बागी विधायकों को कोर्ट से राहत मिली।

28 जून 2022

28 जून को महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने उस वक्त के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को बहुमत साबित करने को कहा है। बीजेपी नेता व पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने फ्लोर टेस्ट की मांग की थी।

29 जून 2022

29 जून को फ्लोर टेस्ट का मामला भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट ने फ्लोर टेस्ट पर रोक से इनकार कर दिया। इसके बाद उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।

30 जून 2022

30 जून को भाजपा-शिंदे गुट ने सरकार बनाने का दावा पेश किया। इसी दिन एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने। देवेंद्र फडणवीस को महाराष्ट्र का उपमुख्यमंत्री बनाया गया।

03 जुलाई 2022

03 जुलाई को नए स्पीकर ने शिंदे गुट को सदन में मान्यता दे दी।

04 जुलाई 2022

04 जुलाई को शिंदे गुट ने सदन में विश्वास मत हासिल कर लिया। 288 सदस्यीय विधानसभा में सरकार के विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 164 विधायकों ने मत डाले गए। विरोध में मात्र 99 वोट पड़े।

04 अगस्त 2022

04 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जब तक ये मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, चुनाव आयोग कोई फैसला न ले। इसके बाद तीन बार यानी 08, 12 और 22 अगस्त को सुनवाई टली। इनमें कोर्ट ने कोई फैसला नहीं दिया।

23 अगस्त 2022

23 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने मामले को संविधान पीठ को ट्रांसफर कर दिया और चुनाव आयोग की कार्यवाही पर रोक लगा दी। चुनाव आयोग को कोई भी फैसला न करने को कहा।

07 सितंबर 2022

07 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह शिवसेना पर शिंदे या उद्धव ठाकरे गुट में से किसके असली होने के दावों को लेकर चुनाव आयोग को आगे विचार करना चाहिए या नहीं, इस पर 27 सितंबर को विचार करेगी।

27 सितंबर 2022

27 सितंबर को संविधान पीठ ने शिवसेना पर दावेदारी के मामले में चुनाव आयोग की कार्यवाही पर लगी रोक हटाई।

08 अक्टूबर 2022

08 अक्टूबर को उद्धव-शिंदे गुट की लड़ाई के बीच चुनाव आयोग ने शिवसेना का चुनाव चिह्न तीर-कमान को फ्रीज कर दिया। आदेश में कहा गया कि महाराष्ट्र के अंधेरी उपचुनाव में दोनों गुट में से किसी को भी शिवसेना का चुनाव चिह्न 'धनुष और तीर' का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

30 जनवरी 2023

30 जनवरी को उद्धव और शिवसेना गुट ने चुनाव आयोग के सामने पार्टी संगठन और चुनाव चिह्न पर अपना दावा पेश किया। दोनों ने निर्वाचन आयोग के सामने लिखित में अपनी बात रखी।

17 फरवरी 2023

17 फरवरी 2023 को चुनाव आयोग ने चुनाव चिह्न (रिजर्वेशन एंड अलॉटमेंट) ऑर्डर 1968 के आधार पर पार्टी का नाम और निशान एकनाथ शिंदे गुट को सौंप दिया है। आयोग ने 78 पेज के आदेश में पूरे विवाद के बारे में विस्तार में बताते हुए कहा कि शिंदे गुट के पास ज्यादा समर्थन है।

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