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Political Crisis: अब छत्तीसगढ़ कांग्रेस में भूचाल, वरिष्ठ नेता सिंहदेव नाराज, पार्टी हाईकमान को दिखाए तेवर
Political Crisis: देश के कई राज्यों में आंतरिक कलह से जूझ रही कांग्रेस के लिए अब छत्तीसगढ़ राज्य भी बड़ी मुसीबत बनता दिख रहा है। छत्तीसगढ़ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के पंचायत और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से नाराज बताए जा रहे हैं।
Political Crisis: देश के कई राज्यों में आंतरिक कलह से जूझ रही कांग्रेस के लिए अब छत्तीसगढ़ राज्य भी बड़ी मुसीबत बनता दिख रहा है। छत्तीसगढ़ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के पंचायत और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से नाराज बताए जा रहे हैं। उन्होंने पंचायत मंत्री के पद से इस्तीफा देने के साथ ही यह बयान देकर हड़कंप मचा दिया है कि उनके धैर्य की परीक्षा ली जा रही है। वैसे सिंह देव और बघेल के बीच छिड़ी जंग नई नहीं है। सिंहदेव समय-समय पर बघेल के खिलाफ मोर्चा खोलते रहे हैं।
हालांकि पार्टी हाईकमान के आशीर्वाद की वजह से बघेल की कुर्सी बची हुई है। अब एक बार फिर राज्य कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेताओं के बीच मोर्चा खुल गया है। सिंहदेव ने इस बार कड़े तेवर दिखाए हैं और माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में दोनों नेताओं के बीच यह जंग और तीखी हो जाएगी।
पंचायत मंत्री पद से दिया इस्तीफा
भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद से ही सिंहदेव और मुख्यमंत्री के बीच समय-समय पर मोर्चा खुलता रहा है। सिंहदेव की ताजा नाराजगी अपनी उपेक्षा को लेकर सामने आई है। पंचायत मंत्री पद से इस्तीफा देने के पूर्व उन्होंने कांग्रेस पदाधिकारियों की बैठक की थी। इस बैठक के बाद उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में लगातार उनके धैर्य की परीक्षा ली जा रही है। जानकारों का कहना है कि सिंहदेव ने पीएम आवास योजना के तहत धनराशि के आवंटन का अनुरोध किया था।
मगर उनके अनुरोध की अनदेखी करते हुए पैसा नहीं जारी किया गया। इसके साथ ही पैसा मंजूर करने के लिए कुछ प्रावधानों में भी सिंहदेव को बताए बिना फेरबदल किया गया। इसे लेकर वे भीतर ही भीतर काफी नाराज थे और आखिरकार उन्होंने पंचायत मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि वे स्वास्थ्य मंत्री के पद पर बने रहेंगे। वैसे उनके इस्तीफे से कांग्रेस की आंतरिक कलह एक बार फिर खुलकर सामने आ गई है।
हाईकमान टालता रहा है छत्तीसगढ़ की कलह
प्रदेश कांग्रेस में ढाई-ढाई साल का फार्मूला हमेशा चर्चा का विषय रहा है। मुख्यमंत्री के रूप में बघेल का ढाई साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद सिंहदेव ने इस फार्मूले की ओर इशारा किया था। दूसरी ओर मुख्यमंत्री बघेल का कहना था कि इस तरह का कोई फार्मूला नहीं तय किया गया था। पार्टी नेतृत्व हमेशा इस मुद्दे को टालता रहा है मगर माना जा रहा है कि अब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का सियासी संकट एक बार फिर गहरा सकता है। सिंहदेव के कड़ा तेवर अपनाने पर छत्तीसगढ़ कांग्रेस को नुकसान की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
नेतृत्व परिवर्तन की मांग पर कोई फैसला न होने से सिंहदेव भीतर ही भीतर काफी नाराज बताए जा रहे हैं। वे कई बार इस मुद्दे को लेकर दिल्ली का दौरा कर चुके हैं मगर केंद्रीय नेतृत्व ने इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल रखा है। सिंहदेव की नाराजगी के कारण ही उनके भाजपा में जाने तक की अटकलें लगाई जा रही थीं। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया है कि वे फिलहाल कांग्रेस से इस्तीफा नहीं दे रहे हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहकर पार्टी नेतृत्व की चिंता बढ़ा दी है कि भविष्य के बारे में कोई नहीं जानता क्योंकि मेरे धैर्य की बार-बार परीक्षा ली जा रही है।
अब सिंहदेव के भावी कदम पर टिकी निगाहें
सियासी जानकारों का कहना है कि छत्तीसगढ़ कांग्रेस में सबकुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। सिंहदेव ने पिछले दिनों मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के समानांतर राज्य के अधिकांश जिलों का दौरा किया था। दौरे के लिए हेलीकॉप्टर न दिए जाने पर भी उन्होंने नाराजगी जताई थी। मुख्यमंत्री बघेल ने राज्य के सभी विधानसभा क्षेत्रों का दौरा तो जरूर किया मगर वे सिंहदेव के विधानसभा क्षेत्र अंबिकापुर नहीं पहुंचे थे।
मुख्यमंत्री के दौरे के समय कांग्रेस के कई पदाधिकारियों ने इस बात की शिकायत की थी कि पार्टी कार्यकर्ताओं की कोई पूछ नहीं हो रही है। पंचायत मंत्री पद से सिंहदेव के इस्तीफे को पार्टी में बड़े संकट की शुरुआत माना जा रहा है। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में सिंहदेव और बघेल के बीच एक बार फिर सीधा मोर्चा खुल सकता है। अब सभी की निगाहें सिंहदेव के अगले सियासी कदम पर टिकी हुई हैं।