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समलैंगिक संबंध को लेकर मद्रास कोर्ट की टिप्पणी, कही ये बात

आर्टिकल 377 लागू होने के बाद भारत में अब भी इस बात को अपनाना मुश्किल होता है कि समलैंगिक संबंध सही है या गलत।

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Newstrack Network NetworkPublished By Roshni Khan
Published on: 30 April 2021 3:19 AM GMT
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मद्रास हाईकोर्ट (सोशल मीडिया)

चेन्नई: आर्टिकल 377 लागू होने के बाद भारत में अब भी इस बात को अपनाना मुश्किल होता है कि समलैंगिक संबंध सही है या गलत। इसी पर अब खबर आ रही है कि मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एन आनंद वेंकटेश ने कहा कि, समलैंगिक संबंधों को समझने के लिए वे एक मनोवैज्ञानिक के साथ एक शैक्षिक सत्र से गुजरना चाहेंगे। ऐसा उन्होंने इसलिए तब कहा जब वो एक समलैंगिक जोड़े की प्रोटेक्शन के संबंध में एक मामले की सुनवाई कर रहे थे। न्यायाधीश ने कहा कि, 'शैक्षिक सत्र से इस मामले में उनकी जानकारी का विकास होगा।'

दरअसल दो लड़कियों के माता-पिता ने उनकी गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई थी, वहीं से ये मामला शुरू हुआ। माता-पिता लड़कियों के समलैंगिक संबंध के खिलाफ थे। उन्होंने इस मामले में शिकायत की। जिसके बाद लड़कियों ने सुरक्षा की गुहार लगाई।

न्यायाधीश बड़ी ही शालीनता से इस केस को निपटाने की कोशिश कर रहे हैं। वे यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं कि याचिकाकर्ता और उनके माता-पिता इस परिदृश्य को समझने को तैयार हों कि हालात क्या हैं। ये केस एक मिसाल भी है, ये अभी भी देखने वाला है कि समाज समलैंगिक संबंधों को किस तरह से देखने की कोशिश कर रहा है। इससे पहले की सुनवाई में जज ने कहा था कि, 'इस मामले में जज भी यौन संबंध के विषय पर अपनी पूर्व धारणा को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं।'

पिछली बार जज ने दोनों याचिकाकर्ताओं और उनके माता-पिता को सलाह देने का आदेश दिया था। उस सेशन के अवलोकन से ये साफ हो गया है कि दोनों लड़कियां पूरी तरह से अपने रिश्ते को समझती हैं। जबकि उनके माता-पिता धीरे-धीरे इसे समझ रहे हैं। इससे निपटने के लिए कोर्ट ने दोनों परिवारों और दंपति को काउंसलिंग सेक्शन जारी रखने की सलाह दी है। जिसमें कहा गया है कि, पिछला सत्र संबंधित पक्षों की मानसिकता में कुछ प्रगति लेकर आया है। अब आगे इस मामले में सुनवाई 7 जून 2021 को होगी। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि माता-पिता की शिकायत पर दर्ज एफआईआर को तुरंत बंद किया जाए।

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Roshni Khan

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