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AI In Elections: चुनावों में क्या कुछ गुल खिलायेगा एआई?

AI In Elections: जब जीवन के हर क्षेत्र में आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस प्रवेश कर चुका है तो भला चुनाव भी पीछे कैसे रह सकते हैं? दुनिया में हाल के चुनाव अभियानों से इस बात की झलक मिलती है कि कैसे एआई चुनाव लड़ने के तरीके को बदल रही है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 2 March 2024 11:22 AM GMT
Artificial Intelligence will be used extensively in elections
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 चुनावों में क्या कुछ गुल खिलायेगा एआई?: Photo- Social Media

AI In Elections: जब जीवन के हर क्षेत्र में आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस प्रवेश कर चुका है तो भला चुनाव भी पीछे कैसे रह सकते हैं? दुनिया में हाल के चुनाव अभियानों से इस बात की झलक मिलती है कि कैसे एआई चुनाव लड़ने के तरीके को बदल रही है। उम्मीदवारों के जेनेरिक एआई कार्टून अवतारों से लेकर स्वर्ग के पार से जारी किए गए राजनीतिक समर्थन तक, इमोशन-ट्रैकिंग चैटबॉट्स द्वारा लुभावने भाषण लिखने तक, पार्टियां नई तकनीक को उन तरीकों से इस्तेमाल में ला रही हैं, जिनकी इसके आविष्कारकों ने कल्पना भी नहीं की होगी। दुनिया की लगभग आधी आबादी इस साल चुनाव में मतदान कर रही है। ऐसे में आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस का खूब इस्तेमाल तय है और तमाम एआई कंपनियां आगे बढ़ने की होड़ में हैं।

आपका वोट और एआई

अब मतदाता के विचारों, उसके समर्थन, उसके वोट की दिशा बदलने के लिए किसी प्रत्याशी या पार्टी की भौतिक उपस्थिति जरूरी नहीं रही है। एक एक मतदाता, एक एक बूथ और बीते ट्रेंड्स के बारे में पूरी जानकारी एआई पेश कर देता है। जो काम बड़ी एजेंसियां और कंसल्टेंट करते थे, वो अब एआई टूल्स कर रहे हैं। मज़े की बात ये कि ये सब अब सभी की पहुंच के दायरे में है।

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डीपफेक का उपयोग

एआई ने हाल के पाकिस्तानी चुनावों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान जेल के भीतर से प्रचार करते दिखाई पड़े। चुनाव के रनअप के दो महीनों में इमरान खान की पार्टी, पीटीआई ने चार डीपफेक वीडियो पब्लिश किए, जिसमें इमरान खान के एआई अवतार ने समर्थकों को संबोधित किया। उनकी पार्टी के सोशल मीडिया लीड ने कहा कि इन वीडियो ने मतदाताओं पर बड़ा प्रभाव डाला। पार्टी के मुताबिक, लोग इतने सुखद आश्चर्यचकित थे कि उन्हें अपने नेता को सलाखों के पीछे से सुनने को मिला।

ये डीपफेक वीडियो अमेरिकी कंपनी इलेवनलैब्स की तकनीक का उपयोग करके बनाए गए थे। इमरान खान के पुराने फुटेज और जेल से भेजे गए नोट्स के आधार पर वीडियो तैयार किए गए थे। वीडियो इतने असली जैसे थे मानो इमरान खान जेल से भाषण दे रहे हैं। चुनावों में अपने प्रत्याशियों की भारी जीत के बाद एआई से बनाया गया इमरान खान का एक विजयी भाषण भी रिलीज किया गया।

स्वर्ग से समर्थन

राजनीतिक दलों द्वारा अपने लाभ के लिए एआई डीपफेक को इस्तेमाल करने का एक उदाहरण भारत में भी नज़र आया जहाँ मृत राजनेताओं को समर्थन जुटाने के लिए पुनर्जीवित किया गया। तमिलनाडु के दिग्गज नेता एम करुणानिधि का निधन 2018 में निधन हो गया था। इसके बावजूद वह पिछले छह महीनों से मीडिया कार्यक्रमों और पुस्तक लॉन्च पर दिखाई दे रहे हैं।

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करुणानिधि का डीपफेक वर्जन आमतौर पर एक मंच के ऊपर एक स्क्रीन पर प्रदर्शित किया जाता है, जिसमें वह अपने बेटे, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के नेतृत्व की प्रशंसा करते नजर आते हैं। ओपन सोर्स सॉफ़्टवेयर का उपयोग करके करुणानिधि का डीपफेक बनाने वाली टेक फर्म मुओनियम के संस्थापक सेंथिल नयागम को चुनावी सीजन में इस तरह के वीडियो की भारी मांग की उम्मीद है। उनकी कंपनी ने इस साल लोकसभा चुनावों से पहले ही महात्मा गांधी सहित 45 वर्तमान और पूर्व भारतीय राजनीतिक नेताओं की आवाज़ों की क्लोनिंग कर ली है।

उन्होंने कहा कि इन क्लोनों का इस्तेमाल उम्मीदवारों को अन्य भाषाएं बोलने वाले समुदायों के साथ संवाद करने में मदद करने के लिए किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमने दिखाया है कि प्रधानमंत्री मोदी के भाषण का 30 भाषाओं में अनुवाद किया जा सकता है।सेंथिल नयागम को उम्मीद है कि डीपफेक का एक बड़ा इस्तेमाल उपयोग पुरानी यादों का होगा। यानी पार्टियाँ दिवंगत लोकप्रिय नेताओं के डीपफेक को इस्तेमाल कर सकती हैं। सेंथिल नयागम के अनुसार, ये सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है, ये दुनिया में कहीं भी किया जा सकता है।

क्या होगा आगे?

इस साल के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव से पहले वोट को कमजोर करने के लिए एआई डीपफेक की संभावना के बारे में चिंताएं बढ़ रही हैं। इस साल जनवरी में ओपनएआई कंपनी ने एक बॉट के डेवलपर पर प्रतिबंध लगा दिया, उस बॉट के जरिये मतदाता डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार डीन फिलिप्स के एआई-जनरेटेड वर्जन के साथ बातचीत कर सकते थे। केके अन्य घटना में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन की ओर से होने का दावा करने वाली एक फर्जी "रोबोकॉल" ने मतदाताओं से प्राथमिक चुनाव छोड़ने का आग्रह किया था। रोबोकॉल का मतलब है मशीनी आवाज।

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टेक कंपनियों की चिंता

हाल ही में माइक्रोसॉफ्ट, मेटा, गूगल, अमेज़ॅन, आईबीएम, एक्स, एडोब, ओपनएआई और टिकटॉक जैसी दिग्गज टेक कंपनियों ने दुनिया भर में लोकतांत्रिक चुनावों को बाधित करने के लिए एआई उपकरणों के इस्तेमाल को रोकने के लिए स्वेच्छा से "उचित सावधानियां" अपनाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। समझौते का उद्देश्य "मतदाताओं को धोखा देने के लिए बनाई गई हानिकारक एआई-जनित सामग्री" का मुकाबला करना है, जिसमें ऑडियो, वीडियो और छवियां शामिल हैं जो उम्मीदवारों और अन्य प्रमुख हितधारकों की नकली उपस्थिति, नकली आवाज या नकली कार्यों को "भ्रामक रूप से असली जैसा" बनाती हैं।

किस पर करें भरोसा

डिजिटल तकनीक में हो रहे डेवलपमेंट से राजनीतिक संदेश भेजने के लिए नए और तेज़ जरिये मिल गए हैं। हम अब फ़ोटोशॉप के जरिये बदलावों से कहीं आगे निकल चुके हैं। हम उस युग में जा रहे हैं जहां थोक डिजिटल निर्माण और प्रसार होने जा रहा है। ऐसे टेम्प्लेट के माध्यम से जो उपयोग में आसान और सस्ते हैं। अब राजनेता किसी घटनाक्रम पर तुरंत प्रतिक्रिया देने के लिए जेनरेटिव एआई का उपयोग कर सकते हैं। अब व्यापक शूटिंग, एडिटिंग या रिव्यु की जरूरत भी नहीं। बस एक टूल से वीडियो तैयार करने के लिए कहिए और चुटकी बजाते वो तैयार हो जाएगा। एआई इंटरनेट को स्कैन कर सकता है, रणनीति के बारे में सोच सकता है और एक जोरदार अपील पेश कर सकता है। वह भाषण, प्रेस विज्ञप्ति, चित्र, चुटकुला, या वीडियो हो सकता है जिसमें किसी की अच्छाई या बुराई के बारे में बताया गया हो।

Photo- Social Media

सटीक टारगेट

एआई बहुत सटीक टारगेट को पकड़ने में सक्षम है। और ये चीज राजनीतिक अभियानों में महत्वपूर्ण होती है। उम्मीदवार उन लोगों पर पैसा बर्बाद नहीं करना चाहते जो पहले से ही उनके अभियान का समर्थन या विरोध करते हैं। बल्कि, वे छोटी संख्या में स्विंग मतदाताओं को तरंगे करना चाहते हैं जो वास्तविक चुनाव का फैसला करेंगे या अन्य अभियान का समर्थन करने वालों के मतदान को दबा देंगे।

कमर्शियल डेटा ब्रोकरों के पास लोगों का ढेरों माइक्रोडेटा होता है। इनके पास लोगों के पढ़ने, देखने, खरीदारी और राजनीतिक व्यवहार की विस्तृत जानकारी होती है। इन जानकारियों और क्षेत्र या बूथ विशेष के ट्रेंड आदि के जरिये प्रत्याशी या दल उन लोगों तक पहुंच सकेंगे जिन्होंने अभी तक अपना मन नहीं बनाया है, और उन्हें सटीक संदेश दे सकेंगे इससे उन्हें अपने अंतिम निर्णय तक पहुंचने में मदद मिलेगी।

क्राउडस्ट्राइक में काउंटर-एडवर्सरी ऑपरेशंस के प्रमुख एडम मेयर्स कहते हैं, 2024 में दुनिया की आधी आबादी मतदान करने के लिए तैयार है, चुनावों को लक्षित करने के लिए जेनरेटिव एआई का उपयोग एक "बहुत बड़ा कारक" हो सकता है। अब तक, क्राउडस्ट्राइक विश्लेषक स्क्रिप्ट में टिप्पणियों के माध्यम से इन मॉडलों के उपयोग का पता लगाने में सक्षम रहे हैं जिन्हें चैटजीपीटी जैसे टूल द्वारा वहां रखा गया होगा। रिपोर्ट के लेखकों का कहना है कि जिस आसानी से एआई उपकरण भ्रामक लेकिन ठोस आख्यान उत्पन्न कर सकते हैं, उसे देखते हुए राजनीतिक रूप से सक्रिय पक्षपाती भी संभवतः अपने स्वयं के हलकों में गलत सूचना फैलाने के लिए जेनरेटिव एआई का उपयोग करेंगे।

Shashi kant gautam

Shashi kant gautam

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