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Blinkit: ब्लिंकइट लाई दस मिनट में एम्बुलेंस सर्विस
Blinkit:जोमैटो की क्विक कॉमर्स कंपनी ब्लिंकिट ऐप के जरिए बुक कर 10 मिनट में एंबुलेंस पाने की सेवा ले कर आई है। ब्लिंकइट की पहल से पता चलता है कि भारत में एम्बुलेंस की कितनी कमी है।
Blinkit:जोमैटो की क्विक कॉमर्स कंपनी ब्लिंकिट ऐप के जरिए बुक कर 10 मिनट में एंबुलेंस पाने की सेवा ले कर आई है। ब्लिंकइट की पहल से पता चलता है कि भारत में एम्बुलेंस की कितनी कमी है।
दस मिनट में हाजिर
ब्लिंकिट की सेवा के तहत लोग जिस तरह ब्लिंकिट के ऐप से खाने पीने का और दूसरे सामान आर्डर करते हैं और 10 मिनट के अंदर वह सामान उनके घर पर पहुंच जाता है, उसी तरह लोग अब उसी ऐप पर एक बीएलएस एंबुलेंस बुक कर पाएंगे और वह 10 मिनट में उनके पास पहुंच जाएगी। इसका फ्लैट चार्ज होगा दो हज़ार रुपये।
अभी सिर्फ गुरुग्राम में
अभी यह सेवा सिर्फ पांच एंबुलेंसों के साथ गुरुग्राम के कुछ इलाकों में शुरू की गई है। लेकिन कंपनी का कहना है कि उसका लक्ष्य अगले दो सालों में इस सेवा को देश के हर बड़े शहर में पहुंचाने का है। कंपनी के संस्थापक अलबिंदर ढींडसा ने एक्स पर लिखा कि कंपनी इस सेवा से कोई मुनाफा नहीं कमाना चाहती है और इसे ग्राहकों को 2000 रुपए के फ्लैट खर्च पर उपलब्ध कराया जाएगा। एम्बुलेंस में ऑक्सीजन सिलेंडर, एईडी (ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफिब्रिलेटर), स्ट्रेचर, मॉनिटर, सक्शन मशीन और आपातकालीन दवाइयां जैसे आवश्यक जीवन रक्षक उपकरण मौजूद हैं। प्रत्येक वाहन में एक पैरामेडिक, एक सहायक और एक प्रशिक्षित ड्राइवर होगा, ताकि आपात स्थिति के दौरान समय पर, उच्च-गुणवत्ता वाली सेवा सुनिश्चित की जा सके।
नियम मानने होंगे
केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने इस पहल पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि ब्लिंकिट को देश के कानून का पूरी ईमानदारी से पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा - एम्बुलेंस सेवा या दवाइयों की डिलीवरी के मामले में ब्लिंकिट के बारे में मेरा एकमात्र निवेदन यह होगा कि उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि वे देश के कानून का पालन करें, और जो भी अन्य कानूनी आवश्यकताएं हैं, उनका उचित तरीके से ध्यान रखा जाना चाहिए। देश के किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं किया जाना चाहिए।
क्या है स्थिति
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर 2023 तक भारत में केवल 17,495 परिचालन में बुनियादी जीवन समर्थन (बीएलएस) एम्बुलेंस थीं। एडवांस्ड लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस की संख्या और भी कम थी, जिसमें 3,441 ऐसे वाहन ऑपरेशनल थे। अंतरराष्ट्रीय मानक कहते हैं कि हर 50,000 लोगों पर एक एम्बुलेंस होनी चाहिए।
क्या हैं नियम
बता दें कि एम्बुलेंस के बारे में भी उसके आकार प्रकार, उसमें उपकरण, स्टाफ इत्यादि के बारे में नियम प्रावधान हैं। भारत में ज्यादातर एम्बुलेंस मात्र रोगी वाहन हैं। इन्हीं एम्बुलेंस का उपयोग आम तौर पर गैर-आपातकालीन चिकित्सा स्थितियों के लिए किया जाता है, क्योंकि इनमें एडवांस्ड लाइफ सपोर्ट एम्बुलेंस में मौजूद अधिकांश उपकरण और सिस्टम नहीं होते हैं