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Calculator: कैलकुलेटर ने जीवन की गणित को किया आसान, तकनीकी ने बचाया समय

Calculator: आज कैलकुलेटर का इस्तेमाल एक परचून की दुकान चलाने वाले से लेकर बड़ी-बड़ी फैक्टियों के मालिक करते हैं। ये कैलकुलेटर अब हमारे जीवन का एक हिस्सा बन गए हैं।

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Newstrack NetworkPublished By Vidushi Mishra
Published on: 7 Aug 2021 2:46 PM IST
Calculator is one of the important things in todays era.
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कैलकुलेटर (फोटो-सोशल मीडिया)

Calculator: कैलकुलेटर आज के जमाने में महत्वपूर्ण चीजें में से एक है। कैलकुलेटर का इस्तेमाल एक परचून की दुकान चलाने वाले से लेकर बड़ी-बड़ी फैक्टियों के मालिक करते हैं। अब आधुनिकता के दौर में कैलकुलेटर हर तरह के काम के लिए अलग-अलग तकनीक के भी आते हैं। लेकिन पहले जब कैलकुलेटर का आविष्कार नहीं हुआ था, तब ईशानगो की हड्डी का उपयोग गणना करने में किया जाता था।

सन् 1944 में पहले ऑटोमैटिक इलेक्ट्रॉनिक कैलकुलेटर 'हार्वर्ड मार्क वन' को पेश किया गया था। 7 अगस्त आज ही के दिन सन् 1944 में ये कैलकुलेटर औपचारिक तौर पर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी को सौंपा गया। इसे हार्वर्ड मार्क वन नाम दिया गया। ये 51 फीट लंबे, 8 फीट ऊंचे और 5 टन वजनी के कैलकुलेटर में 78 छोटी-छोटी मशीनें लगी थीं।

हार्वर्ड मार्क वन

इसके साथ ही 1 लाख 75 हजार ए़डॉप्टर, 500 मील बराबरी तक के वायर भी मशीन में लगे थे। कैलकुलेटर में डेटा एंट्री के लिए 24 स्वीच के 60 सेट होते थे जो एक बार में 72 संख्याओं को स्टोर कर सकते थे। एक सेकेंड में कैलकुलेटर 3 एडिशन या सब्ट्रेक्शन कर सकता था। किसी भी संख्या को मल्टीप्लाय करने में 6 सेकेंड का समय लगता था और डिवाइड करने के लिए 15 सेकेंड लगते थे।

1944 के पहले 17 वीं सदी की बात करें तो उस समय गणना करने के लिए इन हड्डियों का उपयोग इसलिए किया जाता था कि इन हड्डियों से खीचीं गई लाइनें अलग तरह की दिखाई देती थी। पर इन खीचीं हुई लाइनों से बड़ी-बड़ी संख्या की गणना आसान नहीं होता था। साथ ही समय का काफी दुरुपयोग होता था।

पहले मैकेनिकल कैलकुलेटर का आविष्कार

कैलकुलेटर शब्द का जन्म लैटिन शब्द calculare, से हुआ है। इसका मतलब है counting करना। stones (पत्थर) के इस्तमाल से। समय बचाने और इस मुश्किल को आसान करने के लिए सबसे पहले अबेकस का आविष्कार किया गया। अबेकस सबसे पहली कैलकुलेशन की मशीन थी। पहले मैकेनिकल कैलकुलेटर का आविष्कार 17 वीं शताब्दी में विल्हेम ने सन् 1642 में किया था। तब इस कैलकुलेटर का नाम बैलेज पास्कल रखा गया था।

ब्लेज पास्कल कैलकुलेटर (फोटो- सोशल मीडिया)

ये कैलकुलेटर बहुत ही कारगर और लाभप्रद साबित हुआ। क्योंकि इससे बड़ी बड़ी संख्याओं की कैलकुलेशन करने में आसानी हुई थी। ऐसे ही धीरे-धीरे समय बीतता गया और कैलकुलेटर भी जमाने के साथ आधुनिक होता गया। आज मोबाइल फोन में, कंप्यूटर में, लैपटॉप में, हाथ घड़ी में कैलकुलेटर दिया होता है, जिससे लोगों को गणना और हिसाब-किताब करने में बस कुछ ही सेकंडों का समय लगता है। कैलकुलेटर ने हर व्यक्ति को आसान सुविधा दी।

करोड़ों रुपयों की गिनती चंद संकेंड़ो में हो जाती है। बैंकों में जो काम 2 घंटे में होता था, आज 2 मिनट भी नहीं लगते। वो भी काम में किसी तरह की गड़बड़ी की कोई संभावना भी नहीं रहती। 21 वी शताब्दी तक कैलकुलेटर का इतिहास बड़ा ही रोचक रहा है। ये कैलकुलेटर अब हमारे जीवन का एक हिस्सा बन गए हैं।

ध्यान देना ये जरूरी होता है कि जरुरत के इस्तेमाल के हिसाब से जिस तरह के काम के लिए आपको कैलकुलेटर चाहिए। वो तय करें। फिर उस हिसाब से ही लें। इस समय Scientific Calculators की भी demand बाजारों में काफी बढ़ी हुई है। क्योंकि इसमें बहुत सारे functions होते हैं जो की इंजीनियर, वैज्ञानिकों को अपने काम करने के लिए जरुरी होते हैं।

कैलकुलेटर के प्रकार

1. Basic Calculator (बेसिक कैलकुलेटर): ये कैलकुलेटर जोड़, घटाना, गुणा, भाग, प्रतिशत, वर्गमूल, सरल समीकरण हल कर सकता है।

2. Scientific Calculator(साइंटिफिक कैलकुलेटर): ये कैलकुलेटर कक्षा 12 तक बच्चों की गणित में इस्तेमाल किया जा सकता है।

3. Graphic Calculator(ग्राफिक कैलकुलेटर): ये कैलकुलेटर ग्राफिक के स्टूडेंट्स के लिए और Architects के उपयोग में आता है।

4. Financial Calculator(फाइनेंशियल कैलकुलेटर): ये कैलकुलेटर कोई भी जो फाइनेंशियल मैनेजमेंट से सम्बन्ध रखता हो, उसके उपयोग में आता है।




Vidushi Mishra

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