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Chip Implanted In Human Brain: इंसान के ब्रेन में लगाई गई चिप, सोचने भर से चल सकेगा कंप्यूटर
Chip Implanted In Human Brain: एलोन मस्क की कम्पनी न्यूरालिंक ने इंसान के मस्तिष्क में चिप लगाने का परीक्षण शुरू कर दिया है। इसे विज्ञान के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है। कम्पनी "न्यूरालिंक" के अरबपति संस्थापक एलोन मस्क ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि जिस व्यक्ति में चिप प्रत्यारोपण किया गया है और वह अच्छी तरह से है।
Chip Implanted In Human Brain: एलोन मस्क की कम्पनी न्यूरालिंक ने इंसान के मस्तिष्क में चिप लगाने का परीक्षण शुरू कर दिया है। इसे विज्ञान के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है। कम्पनी "न्यूरालिंक" के अरबपति संस्थापक एलोन मस्क ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि जिस व्यक्ति में चिप प्रत्यारोपण किया गया है और वह अच्छी तरह से है। मस्क ने लिखा कि प्रारंभिक परिणाम में आशाजनक न्यूरॉन स्पाइक का पता लगा है। स्पाइक्स न्यूरॉन्स द्वारा की जाने वाली गतिविधि होती है। न्यूरॉन्स वो कोशिका हैं जो मस्तिष्क और शरीर में जानकारी भेजने के लिए विद्युत और रासायनिक संकेतों का उपयोग करते हैं।
अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) ने पिछले साल न्यूरालिंक कंपनी को मनुष्यों पर चिप के प्रत्यारोपण का पहला परीक्षण करने की मंजूरी दी थी। इस इम्प्लांट का उद्देश्य लकवाग्रस्त लोगों को अपने दिमाग से कर्सर या कीबोर्ड को नियंत्रित करने की अनुमति देना है।
पहला परीक्षण
इस इम्प्लांट के जरिये न्यूरालिंक स्टार्टअप इम्प्लांट और सर्जिकल रोबोट की सुरक्षा का मूल्यांकन कर रही है। यह इसके वायरलेस ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफ़ेस का परीक्षण है। कंपनी की वेबसाइट के अनुसार, यह अध्ययन इंटरफ़ेस की कार्यक्षमता का आकलन करेगा, जो क्वाड्रिप्लेजिया या सभी चार अंगों के पक्षाघात से पीड़ित लोगों को अपने विचारों से उपकरणों को नियंत्रित करने में सक्षम बनाता है।
न्यूरालिंक को कंपनी के इंसानों में इम्प्लांट के पहले परीक्षण के लिए पिछले साल एफडीए की मंजूरी मिली थी। न्यूरालिंक ने सितंबर में इम्प्लांट ट्रायल की घोषणा की थी। कंपनी ने कहा था कि अध्ययन के दौरान, कंपनी द्वारा विकसित एक रोबोट सर्जरी द्वारा प्रत्यारोपण के "अल्ट्रा-फाइन" धागे लगाएगा जो प्रतिभागियों के मस्तिष्क में सिग्नल ट्रांसमिट करने में मदद करता है।
न्यूरालिंक का कहना है कि यह सर्वाइकल रीढ़ की हड्डी की चोट या एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस (एएलएस) के कारण क्वाड्रिप्लेजिया या सभी चार अंगों में पक्षाघात वाले 22 वर्ष से ज्यादा उम्र वाले प्रतिभागियों को परीक्षण के लिए भर्ती कर रहा है। अनुमान है कि अध्ययन को पूरा होने में छह साल लगेंगे।
पहले भी हुए हैं इम्प्लांट
दुनिया भर में कुछ दर्जन लोगों को शोध अध्ययन के हिस्से के रूप में ब्रेन इम्प्लांट लगाए गए हैं। इन प्रणालियों ने लकवाग्रस्त लोगों को वीडियो गेम खेलने, रोबोटिक हथियार चलाने और अपने विचारों का उपयोग करके ईमेल लिखने की अनुमति दी है।