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Cyber Attack Alert: सावधान! एक बड़ा साइबर हमले का खतरा, 75 करोड़ से ज्यादा यूजर्स का डेटा लीक, CloudSEK का दावा
Cyber Attack Alert: इस बड़ी घटना पर CloudSEK के थ्रेट इंटेलिजेंस और सिक्योरिटी रिसर्चर स्पर्श कुलश्रेष्ठ का कहना है कि साइबर हमले के तहत लीक हुआ
Cyber Attack Alert: तकनीकी विकास के साथ ही साथ अब इससे जुड़ी कई बड़ी खामियां भी सामने आने लगीं हैं। जिसमें सबसे बड़ी चुनौती साइबर सुरक्षा को लेकर आ खड़ी हुई है। हाल ही में जारी हुई एक रिपोर्ट के अनुसार भारत की टेलीकॉम कंपनियां यानी जियो, एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया के नेटवर्क का यूज करने वाले करोड़ों यूजर्स का पर्सनल डेटा अब सुरक्षित नहीं रह गया है। रिपोर्ट के अनुसार इन कंपनियों के सिम कार्ड या इंटरनेट यूजर्स का पर्सनल डेटा हैकर्स के हाथों में जा चुका है। आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से-
जियो, एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया के नेटवर्क के 750 मिलियन यानी 75 करोड़ से ज्यादा यूजर्स का डेटा हुआ लीक
भारत देश में घटित हुई इस बड़े साइबर सुरक्षा हमले में कुल 750 मिलियन यानी 75 करोड़ से ज्यादा यूजर्स का पर्सनल डेटा लीक हो चुका है। इस घटना की जानकारी मिलते ही भारत सरकार पूरी तरह से इस दिशा में कड़ा रुख अपना रही है। जिसके तहत दूरसंचार विभाग द्वारा देश के सभी टेलीकॉम ऑपरेटर्स को सिक्योरिटी ऑडिट कर उसकी रिपोर्ट को तत्परता से सौपने के निर्देश दिए हैं। इतनी बड़ी संख्या में यूजर्स का निजी डेटा लीक होने के बाद सरकार और भी कई कड़े नियम लागू करने पर विचार कर रही है।
क्या कहते हैं CloudSEK के थ्रेट इंटेलिजेंस और सिक्योरिटी रिसर्चर स्पर्श कुलश्रेष्ठ
साइबर हमले के तहत इतनी बड़ी संख्या में यूजर्स का निजी डेटा लीक होने की इस बड़ी घटना पर CloudSEK के थ्रेट इंटेलिजेंस और सिक्योरिटी रिसर्चर स्पर्श कुलश्रेष्ठ का कहना है कि साइबर हमले के तहत लीक हुआ भारतीय यूजर्स का पर्सनल डेटा वाकई में असली है। सर्च इनक्वायरी के तहत उनसे जुड़े कॉन्टैक्ट नंबर और आधार कार्ड पूरी तरह डिटेल वैलिड पाए गए हैं। हैकर्स द्वारा किए गए इस हमले में 750 मिलियन यानी 75 करोड़ से अधिक यूजर्स की जानकारी डार्क वेब पर सिर्फ $3000 की कीमत पर उपलब्ध कराई गई है।
वहीं ‘द इकोनॉमिक टाइम्स’ की इस पर पेश की गई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि टेलीकॉम कंपनियों ने भारत सरकार के दूरसंचार विभाग को इस विषय पर मत स्पष्ट करते हुए सूचित किया है कि लीक हुए डेटा की रिपोर्ट ब्रीच टेलीकॉम ऑपरेटर्स के बुनियादी ढांचे में किसी तकनीकी कमी के कारण सामने नहीं आई है। बल्कि टेलीकॉम कंपनियों ने DoT को सूचित किया है कि लीक हुई जानकारी विभिन्न टेलीकॉम यूजर्स के पुराने डेटा सेट से एकत्र की गईं हैं।
प्राप्त जानकारियों के आधार पर इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम इस साइबर अटैक की घटना पर काफी जांच परख कर कर रही है। लेकिन अभी तक अपना कोई भी बयान जारी नहीं किया है। हालांकि इस साइबर हमले की घटना को लेकर Jio, Airtel, Vi और अन्य टेलीकॉम ऑपरेटर्स द्वारा भीअभी तक आधिकारिक तौर पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।
यूजर्स के लिए बढ़ सकता है खतरा
टेलीकॉम कंपनियों के पर्सनल डेटा लीक होने के बाद इसके यूजर्स के सामने एक बड़ा खतरा खड़ा हो सकता है। इस समस्या का समय रहते समाधान निकलने के लिए एजेंसियों द्वारा इस बात की जांच की जा रही है कि इतने बड़े डेटा लीक होने के बाद यूजर्स को किन किन समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन आमराय के मुताबिक इस डेटा का गलत इस्तेमाल करके हैकर्स इससे यूजर्स की पहचान को चोरी करने के साथ यूजर्स के साथ किसी भी तरह की वित्तिय धोखाधड़ी कर सकते हैं। पहचान लीक होने का फायदा उठाकर यूजर्स या उनके संबंधियों को ठगने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। यूजर्स की पहचान सामने आने के बाद उनकी इमेज को भी अलग अलग मीडिया का इस्तेमाल कर नुकसान पहुंचाया जा सकता है। पर्सनल डेटा लीक होने से इसका उपयोग कर हैकर्स किसी भी आम यूजर्स पर कई तरह से साइबर अटैक कर सकते हैं।
हैकर्स डार्क वेब पर 1.8 टेराबाइट डेटा की कर रहे बिक्री
टेलीकॉम कंपनियों के अस्तित्व पर इस साइबर हमले के बाद अब खतरा मंडराने लगा है। यूजर्स का भरोसा भी इस घटना के बाद इन कंपनियों के ऊपर से उठ सकता है। वहीं भारत में स्थित साइबर सुरक्षा फर्म CloudSEK द्वारा पेश की गई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हैकर्स डार्क वेब पर लगातार 1.8 टेराबाइट डेटा की बिक्री कर रहे हैं। जिसमें अधिकतर भारत के टेलीकॉम यूजर्स की बेहद निजी जानकारियां भी मौजूद है। CloudSEK का कहना है कि यह उल्लंघन व्यक्तियों और संगठनों के लिए एक बड़ा साइबर हमले का खतरा है जिसमें इन संवेदनशील जानकारियों में यूजर्स का नाम,बैंक से लिंक पर्सनल मोबाइल नंबर, यूजर्स के आधार कार्ड का डेटा और उनका एड्रेस ये सारी अहम इनफॉर्मेशंस शामिल हैं।