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Deepfake Detector: भारत में लांच हुआ डीपफेक डिटेक्टर, जानिये ये कैसे काम करता है

Deepfake Detector: अमेरिका स्थित साइबर सिक्योरिटी कंपनी McAfee ने विश्व में पहली बार भारत में अपनी एआई-संचालित मैकएफी डीपफेक डिटेक्टर सर्विस शुरू की है। इससे संभावित डीपफेक सामग्री की पहचान की जा सकेगी और यूजर्स को सचेत किया जा सकेगा। कंपनी ने कहा है कि उसने भारत के हिसाब से डीपफेक पहचान के लिए काम किया है।

Neel Mani Lal
Written By Neel Mani Lal
Published on: 8 Jan 2025 5:05 PM IST
Deepfake Detector in launches in India
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Deepfake Detector in launches in India ( Photo: Mcafee)

Deepfake Detector: AI के मौजूदा ज़माने में डीपफेक एक बड़ी चुनौती बन कर उभरा है क्योंकि डीपफेक से किसी का भी हूबहू नकली ऑडियो, वीडियो और फोटो बनाई जा सकती है। इसे पहचानना बेहद मुश्किल होता है। एआई से बनाये गए वीडियो या डीपफेक इंटरनेट पर बाढ़ की तरह फैल रहे हैं और सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। हम अब एक ऐसी दुनिया में रह रहे हैं, जहां देखने और सुनने पर विश्वास करना मुश्किल हो गया है।

ऐसे में अब बाजार में डीपफेक को पकड़ने के भी टूल्स आ गए हैं। इसी क्रम में अमेरिका स्थित साइबर सिक्योरिटी कंपनी McAfee ने विश्व में पहली बार भारत में अपनी एआई-संचालित मैकएफी डीपफेक डिटेक्टर सर्विस शुरू की है। इससे संभावित डीपफेक सामग्री की पहचान की जा सकेगी और यूजर्स को सचेत किया जा सकेगा। कंपनी ने कहा है कि उसने भारत के हिसाब से डीपफेक पहचान के लिए काम किया है।

McAfeeडीपफेक डिटेक्टर की कीमत स्टैंडअलोन प्रोडक्ट के रूप में 499 रुपये है, जबकि डीपफेक डिटेक्टर के साथ सिक्योरिटी फीचर्स का मैकएफी प्लस सूट 2,398 रुपये में उपलब्ध है। ये सॉफ्टवेयर कंप्यूटर में इंस्टाल होने के बाद बैकग्राउंड में अपना काम करता रहेगा।

मैकएफी डीपफेक डिटेक्टर, वीडियो में एआई के जरिये बदली गई ऑडियो का पता लगने पर यूजर्स को स्वचालित रूप से अलर्ट करता है। यह सुविधा डिवाइस के न्यूरल प्रोसेसिंग यूनिट (NPU) पर काम करती है। मैकएफी ने कहा है कि कंपनी यूजर का ऑडियो रिकॉर्ड नहीं करती है और ऑडियो डिटेक्शन को पूरी तरह से डिसेबल करने का विकल्प देती है। यूजर मैक्एफी के डीपफेक डिटेक्टर द्वारा विश्लेषण के लिए संदिग्ध वीडियो भी अपलोड कर सकते हैं।

डीपफेक से स्कैम

मैकएफी के शोध से पता चलता है कि औसत भारतीय हर दिन 4.7 डीपफेक वीडियो ऑनलाइन देखता है। चौंकाने वाली बात यह है कि पिछले साल 66 फीसदी भारतीय या तो डीपफेक वीडियो स्कैम का शिकार हुए हैं या किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जो इसका शिकार हुआ है। ये स्कैम इतने जटिल और पता लगाने में इतने मुश्किल हो गए हैं कि एक ऑनलाइन घोटाले का शिकार हुए 44 फीसदी भारतीयों को 12 महीनों के भीतर दूसरे स्कैम का सामना करना पड़ा।



Shivam Srivastava

Shivam Srivastava

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