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Deepfake Video: डीपफेक के बढ़ते दुष्प्रभाव को लेकर सरकार की तेवरियां हुईं टेढ़ी, IT मंत्री ने की सख्त कानून बनाने की पेशकश

Deepfake Video: डीपफेक एक ऐसी टेक्नोलॉजी है, जिसमें AI तकनीक को जरिया बनाकर गलत तरीके से वीडियो, तस्वीरों और ऑडियो का इस्तेमाल करने के लिए किया जाता है। इस तकनीक को आपराधिक किस्म के लोग धन उगाही करने के लिए या पैसा लेकर किसी दूसरे व्यक्ति की फोटो या वीडियो पर किसी और का चेहरा लगा कर उसे बदनाम करने के लिए किया जा सकता है।

Jyotsna Singh
Published on: 24 Nov 2023 12:23 PM IST
Deepfake Side Effects
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डीपफेक दुष्प्रभाव: Photo- Social Media

Deepfake Side Effect: डीपफेक के बढ़ते दुष्प्रभाव और अपराधों में लगातार होते इजाफे को लेकर अब सरकार के भी तेवर तीखे होते जा रहें हैं। इस तकनीक के गलत इस्तेमाल पर रोकथाम करने के लिए सरकार जल्द ही सख्त नियमों को लागू करने जा रही है। जिसके लिए नए कानून का निर्माण किया जा रहा है। आइए जानते हैं केंद्र सरकार द्वारा डीपफेक तकनीक के विरोध में उठाए जा रहे सख्त कदम से जुड़े डिटेल्स के बारे में साथ ही ये भी जानते हैं कि आखिर डीप फेक वीडियो किस तरह से असुरक्षित है....

डीपफेक टेक्नोलॉजी का इस तरह होता है इस्तेमाल-

वर्तमान समय में लोगों के लिए एक बड़ी समस्या बन कर उभरा

डीपफेक एक ऐसी टेक्नोलॉजी है, जिसमें AI तकनीक को जरिया बनाकर गलत तरीके से वीडियो, तस्वीरों और ऑडियो का इस्तेमाल करने के लिए किया जाता है। इस तकनीक को आपराधिक किस्म के लोग धन उगाही करने के लिए या पैसा लेकर किसी दूसरे व्यक्ति की फोटो या वीडियो पर किसी और का चेहरा लगा कर उसे बदनाम करने के लिए किया जा सकता है। इन फेक वीडियो में किसी के फेस का यूज कर किसी की भी आवाज में कोई भी बात कहलवाई जा सकती है। डीपफेक तकनीक से तैयार किए गए वीडियो और ऑडियो को खासा परफेक्शन के साथ रेडी किया जाता है। आसानी से इन्हें फेक प्रूव करना मुश्किल होता है।

डीपफेक दुष्प्रभाव: Photo- Social Media

डीपफेक पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी चिंता जताते हुए कहा था कि ये भारत के सामने सबसे बड़े खतरों में से एक है, जिससे अराजकता पैदा हो सकती है। उन्होंने कहा था, "मैंने हाल ही में एक वीडियो देखा, जिसमें मैं गा रहा था। जो लोग मुझे पसंद करते हैं, उन्होंने मुझे ये वीडियो भेजा था।" इसके अलावा कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री का एक डीपफेक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें उन्हें डांडिया खेलते हुए दिखाया गया था।

बैठक में लिया गया फैसला

डीपफेक मामले में सख्त करवाई करने के लिए गुरुवार को IT मंत्री ने सोशल मीडिया कंपनियों के साथ अहम बैठक बुलाई थी। इस बैठक में IT मंत्रालय के सचिव, सरकारी अधिकारी, प्रोफेसर और साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ समेत सम्बन्धित विभाग के कई वरिष्ठ अधिकारी गण मौजूद रहे। प्राप्त जानकारी के अनुसार बैठक में ये निर्णय लिया गया कि सरकार और सोशल मीडिया कंपनियां 23 नवंबर से 10 दिनों के भीतर डीप फेक वीडियोजैसे आपराधिक मामले में से संबंधित ऐसे वीडियो का पता लगाने, उनके रोकथाम और इसको लेकर बनाए जा रहे कड़े नियमों के प्रसार और प्रचार को लेकर एक विस्तृत लाइन रिपोर्ट तैयार करेंगी।

सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव: Photo- Social Media

सख्त नियमों को किया जाएगा जल्द ही लागू

सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस विषय पर कहा कि आने वाले कुछ हफ्तों में डीप फेक वीडियो पर प्रतिबंध लगाने वाले कुछ एक नई नियमावली को तैयार कर उसे लागू किया जाएगा।केंद्रीय सरकार द्वारा इस मामले में कड़ी करवाई करते हुए सख्त आर्थिक दंड का भी प्रावधान बनाया गया है। अब डीपफेक वीडियो बनाने वालों और वीडियो को प्रचारित करने वाले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इन नियम-कानूनों के लागू होने के पश्चात जुर्माने और आर्थिकदंड के तौर पर दोषी पाए गए व्यक्ति को बड़ी राशि के तौर पर चुकाना पड़ सकता है । IT मंत्री ने कहा कि, आज सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के साथ एक बैठक संपन्न हुई है । "डीपफेक से वीडियो समाज में हर व्यक्ति की निजता के लिए एक बड़ी चुनौती और खतरा बनकर सामने आ चुका है। अब हमें इससे निपटने के लिए बिना रुके सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है। इसके लिए नए नियम लाए जाएंगे और आने वाले हफ्तों में नियमों का मसौदा तैयार करने का प्रयास किया जाएगा।" हमें डीपफेक का पता लगाने, के लिए खास चार पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करना होगा, जिनमें मुख्य तौर पर फास्ट इन्वेस्टिगेशन, रोकथाम, रिपोर्टिंग तंत्र और जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है।

सोशल मीडिया कंपनियों को सरकार द्वारा दी गई चेतावनी

डीपफेक वीडियो पर लगाम लगाने के लिए IT मंत्री ने सख्त करवाई करते हुए सोशल मीडिया कंपनियों को चेतावनी भी दी है। जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर काम कर रही कंपनियां डीपफेक को हटाने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाते हैं तो उन्हें संरक्षण देने वाला 'सेफ हार्बर क्लॉज' का लाभ उन्हें नहीं दिया जाएगा।

इस मुद्दे पर अगले महीने फिर सरकार ने एक बैठक बुलाई है। इससे पहले भी 18 नवंबर को सरकार ने सोशल मीडिया कंपनियों को नोटिस जारी कर डीपफेक वीडियो की पहचान और कार्रवाई करने का निर्देश दिया था।



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Shashi kant gautam

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