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Technology की मदद से किसानों की कैसे हो रही है लाखों की आमदनी
Technology Role in Agriculture: आज के समय में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल ज्यादातर क्षेत्रों में किया जाने लगा है। जिससे लोगों का काम आसान भी हो गया है।
Technology Role in Agriculture: आज के समय में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल ज्यादातर क्षेत्रों में किया जाने लगा है। जिससे लोगों का काम आसान भी हो गया है। खासकर किसानों को टेक्नोलॉजी से काफी फायदा पहुंचा है। दरअसल टेक्नोलॉजी किसानों के हालात बदल रही है। टेक्नोलॉजी की बदलौत किसानों की आमदनी में इजाफा देखने को मिली है। टेक्नोलॉजी ने लोगों की जिंदगी पर गहरा प्रभाव छोड़ा है।
Technology की मदद से किसानों की बढ़ी आमदनी
टेक्नोलॉजी ने आम जीवन को काफी आसान बना दिया है। हालांकि, कुछ एक्सपर्ट की मानें तो, टेक्नोलॉजी का पर्यावरण पर गलत असर पड़ता है। लेकिन दूसरी ओर कहीं ना कहीं टेक्नोलॉजी ने किसानों की काफी मदद की है। दरअसल IoT बेस्ड स्मार्ट डिवाइस खेती के दौरान पानी और उर्वरक की खपत के बारे में सही जानकारी देते हैं। इससे किसानों को काफी मदद मिलती है।
बता दें कि, IoT डिवास से ये पता लगा सकते हैं कि, फसल को कीटनाशक की कितना जरूरत है। साथ ही मिट्टी की गुणवत्ता और मौसम की जानकारी भी इससे मिल जाती है। ऐसे में किसान अपनी फसल को ऑनलाइन बेचकर सही दाम हासिल कर पाते हैं।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) अब किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। Iot डिवाइस हवा की गुणवत्ता, पानी की गुणवत्ता के साथ मिट्टी की स्थिति का रियल टाइम डेटा कलेक्ट कर सकता है।
भारत के उत्तर पूर्व राज्यों में अवैध वनों की कटाई से निपटने के लिए IoT बेस्ड टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होता है। जानकारी के लिए बता दें कि, असम में काजीरंगा नेशनल पार्क को बाघों पर नज़र रखने के लिए इसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल होता है।
DSR टेक्निक की मदद से धान के पौधों को मैन्युअल रूप से या मशीनों के माध्यम से सीधे मिट्टी में लगाया जाता है। ऐसे में पौधों को नर्सरी में उगाने और फिर उन्हें खेतों में रोपने की जरूरत नहीं होगी।
इन दिनों ऐसी भी टेक्नोलॉजी आ चुकी है जो पानी की कमी को दूर करेगी। दरअसल कई जगहों पर पानी की कमी रहती है, जिससे खेती करने में परेशानी होती है। ऐसे में किसानों को ड्रिप हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से काफी तेजी से जोड़ा जा रहा है। ये एक ऐसी तकनीक है, जो सीधा फसल की जड़ों तक पानी पहुंचता है। जानकारी के लिए बता दें कि, ड्रिप हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से 60% पानी की बचत होती है जिससे किसान कम मेहनत में बेहतर खेती कर पैसे कमा सकते है।
दरअसल हाइड्रोपोनिक तकनीक से खेती में आपको मिट्टी की जरूरत नहीं होती है क्योंकि हाइड्रोपोनिक्स खेती के लिए प्लास्टिक के पाइप से चैंबर बनाया जाता है, जिसे कोको-पिट कहा जाता है। हाइड्रोपोनिक तकनीक से खेती करने पर पानी की कम जरूरत होती है।
दरअसल खेती में सिंचाई के लिए अब बहुत सारी नई तकनीक आ गई है, जिसमें ड्रिप इरिगेशन, स्प्रिंकलर, हाइड्रोपोनिक सहित सॉइललेस कल्टीवेशन, IOT जैसे टेक्निक शामिल हैं। हालांकि, इन दिनों सबसे ज्यादा इस्तेमाल ड्रिप इरिगेशन का हो रहा है। कुछ रिसर्च और रिपोर्ट्स की मानें तो, ड्रिप इरिगेशन 90% तक सफल सिंचाई तकनीक के रूप में उभर रहा है।
वहीं गन्ने की खेती के लिए गन्ना किसान बड चिप्स तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसकी मदद से गन्ने की खेती करना आसान हो सकता है।
मान लें, अगर किसानों के खेत में रबी फसल लगे हुए हैं तो ऐसे में 40-45 दिन पहले गन्ने की नर्सरी पौधा तैयार करते है। जब रबी फसल काट लिए जाते हैं और इससे खेत खाली हो जाते हैं तो उस खेत में गन्ने की नर्सरी पौधों की रोपाई कर सकते हैं।
ऐसा करने से देर से बुआई में होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है और इससे गन्ने की बेहतर उपज मिलती है। इसकी मदद से गन्ने के बीजों की मात्रा भी बहुत कम हो जाती है, जिसके कारण किसान को बीजों की लागत पर कम खर्चा करना पड़ता है। इस तरह किसान अपनी लागत को कम कर ज्यादा से ज्यादा आमदनी कर सकते हैं।
भारत में इजरायल कृषि तकनीक भी काफी पॉपुलर हो चुका है, खासकर उत्तर प्रदेश में। दरअसल भारत सरकार हर साल किसानों को सरकारी खर्च से इजरायल भेजती है। भारत के किसान वहां जाकर कृषि के क्षेत्र में इस्तेमाल होने वाली नई नई तकनीकों के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं। इसके बाद वे भारत आकर अपने किसानों के बीच उस टेक्निक के बारे में जानकारी देते हैं और खुद अपने खेतों में इसका इस्तेमाल भी करते हैं। इससे फसल को तैयार करने में कम लागत में अधिक उत्पादन बढ़ जाता है, जिससे किसानों की आमदनी लाखों में होती है।