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जहरीली हवा में एयर प्यूरीफायर खरीदने की होड़, कितना फायदेमंद है ये डिवाइस?

Air Pollution : एयर प्यूरीफायर एक मेकेनिकल डिवाइस है जो कमरे में हवा से प्रदूषण और एलर्जी पैदा करने वाले हानिकारक कणों को पकड़कर इनडोर वायु क्वालिटी में सुधार करता है।

Neel Mani Lal
Published on: 22 Nov 2024 3:47 PM IST
जहरीली हवा में एयर प्यूरीफायर खरीदने की होड़, कितना फायदेमंद है ये डिवाइस?
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Air Pollution : समूचा उत्तर भारत, खासकर दिल्ली-एनसीआर जबर्दस्त वायु प्रदूषण को झेल रहा है। हालात ये हैं कि दिल्लीवासियों को सांस लेने में कठिनाई हो रही है। ऐसे में एयर प्यूरीफायर चर्चा का विषय बन गए हैं। कभी गैरजरूरी लग्जरी आइटम समझे जाने वाले इन एयर क्लीनिंग डिवाइस ने अब मिडिल क्लास घरों में जगह बना ली है और इन डिवाइस बनाने वाली कंपनियों की बिक्री अच्छी खासी बढ़ गयी है।

क्या है एयर प्यूरीफायर?

एयर प्यूरीफायर एक मेकेनिकल डिवाइस है जो कमरे में हवा से प्रदूषण और एलर्जी पैदा करने वाले हानिकारक कणों को पकड़कर इनडोर वायु क्वालिटी में सुधार करता है। यह मशीन हवा को खींचती है और ये हवा हाई-एफिशिएंसी पार्टिकुलेट एयर (हेपा) फ़िल्टर से होकर गुज़रती है जो अत्यंत सूक्ष्म कणों को भी फँसा सकता है। ये मशीन साफ की गई हवा को फिर से बाहर फैलाती है। इस तरह इनडोर हवा साफ हो कर सर्कुलेट होती रहती है।

क्या है कीमत?

एयर प्यूरीफायर की कीमत मशीन की क्षमता के हिसाब से तीन हजार से लेकर 60 हजार तक है। इन डिवाइस को बड़ी बड़ी कंपनियों से लेकर लोकल कम्पनियाँ भी बना रहीं हैं। सभी में हेपा फ़िल्टर ही लगा होता है। मशीन को अपने कमरे के साइज़ के हिसाब से चुनना चाहिए। बड़े कमरे में छोटा डिवाइस कोई फायदा नहीं देगा।

किनके लिए ज्यादा फायदेमंद?

पहले से सांस की बीमारी से पीड़ित मरीज़ और छोटे बच्चों और सीनियर सिटीजन्स वाले परिवार वायु प्रदूषण के प्रति सबसे ज़्यादा संवेदनशील होते हैं और अक्सर उन्हें एयर प्यूरीफायर की सलाह दी जाती है। माना जाता है कि एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल मरीजों में फेफड़े, छाती या हृदय रोग के ट्रिगर को शांत करता है या रोकता है। लेकिन डाक्टरों का कहना है कि इसके इस्तेमाल से सांस की बीमारी ठीक होने की कोई गारंटी नहीं है। अगर क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) या रेस्पिरेटरी फेलियर के मरीज हैं, तो खराब हवा नुकसानदायक हो सकती है और एयर प्यूरीफायर की सलाह दी जा सकती है। चूँकि स्वस्थ बाहर और अंदर एक ही हवा के संपर्क में रहते हैं सो उनके लिए एयर प्यूरीफायर से कोई खास फर्क नहीं पड़ता। लेकिन इसमें कोई नुकसान भी नहीं है। सच बात तो ये है कि एयर प्यूरीफायर तभी फायदेमंद होते हैं, जब कोई व्यक्ति लगातार अपने कमरे में ही रहता है।

क्या है हेपा फ़िल्टर

हेपा एच 13 स्टैण्डर्ड फ़िल्टर 99.95 प्रतिशत छोटे और बहुत छोटे कणों को पकड़ने में बहुत असरदार होते हैं। वैसे, किसी एडवांस्ड डिवाइस में अल्ट्रा वायलेट फ़िल्टर भी होते हैं जो बैक्टीरिया, वायरस और मोल्ड को पकड़ने के बजाय उन्हें नष्ट करने के लिए इलेक्ट्रो मैग्नेटिक रेडिएशन का उपयोग करते हैं। वहीं प्री-फ़िल्टर और एक्टिव कार्बन फ़िल्टर, आम तौर पर धुएं में मौजूद बड़े कणों को पकड़ते हैं और महीन कणों को फँसाने में कम प्रभावी होते हैं।

हेपा फ़िल्टर आमतौर पर अपनी बेहतर फ़िल्टरिंग क्षमताओं के कारण एलर्जी या सांस संबंधी समस्याओं वाले लोगों के लिए बेहतर माने जाते हैं। हालांकि, उन्हें बार बार बदलने की जरूरत हो सकती है जिससे खर्चा बढ़ जाता है। एयर प्यूरीफायर सबसे प्रभावी तब होते हैं जब वे पूरे दिन चलते रहते हैं, और कम से कम आवाज़ करने वाले होना चाहिए।

आमतौर पर एयर प्यूरीफायर फिल्टर को हर नौ से 12 महीने में बदलना चाहिए। लेकिन अगर ज्यादा प्रदूषण वाले क्षेत्र में इस्तेमाल किया जाए जाता है या लगातार चलाया जाता है, तो कई बार फिल्टर बदलने की जरूरत होती है। ज्यादातर एयर प्यूरीफायर एक ही कमरे में हवा को साफ करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं और सिर्फ एक मशीन को घर के बीच रखने से काम नहीं चल सकता है। बहरहाल, प्रदूषण का समाधान किसी के लिए भी मात्र एयर प्यूरीफायर नहीं है।



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Rajnish Verma

Rajnish Verma

Content Writer

वर्तमान में न्यूज ट्रैक के साथ सफर जारी है। बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी की। मैने अपने पत्रकारिता सफर की शुरुआत इंडिया एलाइव मैगजीन के साथ की। इसके बाद अमृत प्रभात, कैनविज टाइम्स, श्री टाइम्स अखबार में कई साल अपनी सेवाएं दी। इसके बाद न्यूज टाइम्स वेब पोर्टल, पाक्षिक मैगजीन के साथ सफर जारी रहा। विद्या भारती प्रचार विभाग के लिए मीडिया कोआर्डीनेटर के रूप में लगभग तीन साल सेवाएं दीं। पत्रकारिता में लगभग 12 साल का अनुभव है। राजनीति, क्राइम, हेल्थ और समाज से जुड़े मुद्दों पर खास दिलचस्पी है।

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