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Whatsapp Encryption: व्हाट्सएप ने कहा, देश छोड़ देंगे लेकिन एन्क्रिप्शन नहीं तोड़ेंगे
Whatsapp Encryption:व्हाट्सअप का कहना है कि इसके लिए एन्क्रिप्शन तोड़ना होगा और यह उसकी प्राइवेसी पॉलिसी के खिलाफ है
Whatsapp Encryption: मेटा के स्वामित्व वाले मैसेजिंग एप व्हाट्सअप ने साफ़ साफ़ कह दिया है कि अगर भारत सरकार ने एन्क्रिप्शन तोड़ने के लिए मजबूर किया तो उसे देश छोड़ना होगा। दरअसल, सरकार की ओर से बार-बार कहा जा रहा है कि व्हाट्सअप को मैसेजों के सोर्स के बारे में बताना होगा यानी कोई मैसेज पहली बार कब और कहां से भेजा गया था इसकी जानकारी देनी होगी। इस मसले पर व्हाट्सअप का कहना है कि इसके लिए एन्क्रिप्शन तोड़ना होगा और यह उसकी प्राइवेसी पॉलिसी के खिलाफ है।
व्हाट्सअप की ओर से दिल्ली हाईकोर्ट में कहा गया है कि व्हाट्सएप का इस्तेमाल लोग इसलिए करते हैं क्योंकि यह एन्क्रिप्टेड है और लोगों को इसकी प्राइवेसी पर भरोसा है। यूजर्स ये जानते हैं कि उनके मैसेज एंड टू एंड एन्क्रिप्टेड होते हैं और उनको बीच में कोई भी नहीं पढ़ सकता है, लेकिन एन्क्रिप्शन तोड़ने के बाद इसकी प्राइवेसी खत्म हो जाएगी। अगर भारत सरकार ने एन्क्रिप्शन तोड़ने के लिए मजबूर किया तो हमें देश छोड़ना होगा। व्हाट्सएप की ओर से कहा गया कि यदि वास्तव में ऐसा किया जाए तो हमें मैसेजों की एक पूरी चेन तैयार रखनी होगी, क्योंकि हमें नहीं पता है कि कौन से मैसेज को कब डिक्रिप्ट करने के लिए कह दिया जाए। इसके लिए अरबों मैसेज को सालों तक स्टोर करना होगा।
आईटी नियम
केंद्र सरकार ने 25 फरवरी, 2021 को इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी (इंटरमीडियरी गाइडलाइंस एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) रूल्स, 2021 का एलान किया था। इसमें कहा गया था कि सभी सोशल मीडिया कंपनियों को आईटी के नियमों का पालन करना होगा। अगर किसी मैसेज को लेकर शिकायत की जाती है तो कंपनी को यह बताना होगा कि वह मैसेज पहली बार कब और कहां से भेजा गया था।
दिल्ली हाई कोर्ट में क्या क्या हुआ
व्हाट्सअप की तरफ से वकील तेजस करिया पेश हुए और उन्होंने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ को बताया - एक प्लेटफार्म के रूप में हम कह रहे हैं, अगर हमें एन्क्रिप्शन तोड़ने के लिए कहा जाता है, तो व्हाट्सएप चला जायेगा।अदालत आई टी नियम, 2021 के नियम 4(2) को चुनौती देने वाली व्हाट्सएप और फेसबुक (जिसे अब मेटा के रूप में जाना जाता है) द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। नियम 4(2) में कहा गया है कि जब किसी अदालत या सक्षम प्राधिकारी द्वारा इस आशय का आदेश पारित किया जाता है तो मीडिया मध्यस्थ अपने कंप्यूटर संसाधन पर सूचना के पहले सोर्स की पहचान करने में सक्षम होगा।करिया ने अदालत से जोर देकर कहा कि चुनौती के तहत नियम मूल सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम से परे है, जो एन्क्रिप्शन को तोड़ने का प्रावधान नहीं करता है। इस पर पीठ ने सवाल किया कि क्या ऐसा ही कानून दुनिया में कहीं और मौजूद है? क्या ये मामले दुनिया में कहीं भी उठाए गए हैं? क्या आपसे दुनिया में कहीं भी जानकारी साझा करने के लिए नहीं कहा गया, दक्षिण अमेरिका में भी नहीं?
करिया ने उत्तर दिया - नहीं, ब्राज़ील में भी नहीं
केंद्र सरकार के स्थायी वकील कीर्तिमान सिंह ने अदालत में तर्क दिया कि लोगों को पता है कि सोशल मीडिया पर क्या हो सकता है और नियम के पीछे का विचार संदेश के प्रवर्तक का पता लगाना है। सिंह ने कहा कि आखिरकार, संदेशों का पता लगाने के लिए कुछ तंत्र होना चाहिए क्योंकि यह समय की मांग है और व्हाट्सएप को अमेरिकी कांग्रेस के समक्ष कुछ बहुत कठिन सवालों का सामना करना पड़ा है।न्यायालय ने अंततः मामले को 14 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया और कहा कि इन दोनों मामलों की सुनवाई उन मामलों के बैच के साथ की जाएगी जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया है। कई याचिकाओं में आईटी नियम 2021 के विभिन्न प्रावधानों को भी चुनौती दी गयी है।