TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत, कोर्ट बोला- पहले हाईकोर्ट से अपनी अर्जी वापस लें या फैसला आने दें

Delhi Excise Policy Case: सीएम केजरीवाल को दिल्ली शराब नीति में निचली अदालत ने पिछले दिनों जमानत दे दी थी। इस फैसले को प्रवर्तन निदेशालय ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने निचली अदालत के फैसले पर रोक लगा दी थी।

Network
Newstrack Network
Published on: 24 Jun 2024 11:13 AM IST (Updated on: 24 Jun 2024 1:15 PM IST)
Delhi Liquor Policy Case
X
सीएम अरविंद केजरीवाल (Pic: Newstrack)

Delhi Excise Policy Case: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। केजरीवाल ने दिल्ली शराब नीति मामले में हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें उनको राउज एवेन्यू कोर्ट से मिले जमानत पर रोक लगा दी थी। अरविंद केजरीवाल की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दायर जमानत याचिका पर जस्टिस मनोज मिश्र और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच के समक्ष सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि हाईकोर्ट उनकी अर्जी इसलिए नहीं सुन रहा है क्योंकि ऐसा ही मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि पहले हाईकोर्ट से अपनी अर्जी वापस लें, फिर हमारे पास आएं। अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले में बुधवार को सुनवाई करेगा, यानी हाईकोर्ट के आदेश का इंतजार किया जाएगा। अभी यथा स्थिति रहेगी। बुधवार को सुनवाई से पहले उम्मीद है कि दिल्ली हाई कोर्ट का आदेश भी आ जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की जमानती रिहाई के आदेश पर अंतरिम रोक हटाने से इनकार करते हुए कहा कि हमें दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले का इंतजार करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है, तो हमारा दखल देना उचित नहीं है। हम याचिका को बुधवार को सुनवाई के लिए रखेंगे। केजरीवाल के वकील सिंघवी ने कहा कि जब दिल्ली हाईकोर्ट बिना ऑर्डर कॉपी अपलोड हुए स्टे लगा सकता है, तो सुप्रीम कोर्ट भी बिना हाई कोर्ट का आदेश आए उस पर रोक लगा सकता है।

हाईकोर्ट का स्टे, न्याय प्रक्रिया का उल्लंघन- मनु सिंघवी

सुनवाई के दौरान केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि हाईकोर्ट का स्टे, न्याय प्रक्रिया का उल्लंघन है। इसके बाद जस्टिस मनोज मिश्र ने कहा कि हाई कोर्ट आज कल में फैसला सुनाने ही वाला है। सिंघवी ने आगे कहा कि अगर जमानत रद्द होती है, तो वह निश्चित रूप से जेल वापस जाएंगे। जैसा कि सुप्रीम कोर्ट की अंतरिम जमानत के बाद हुआ था। उनके भागने का खतरा नहीं है। मान लीजिए कि हाई कोर्ट ने ईडी की याचिका खारिज कर दी, तो उस समय की भरपाई कैसे की जा सकेगी, जो केजरीवाल ने निचली अदालत से मिली जमानत के बाद बिना कारण जेल में काटा है। केजरीवाल की तरफ से बात रखते हुए सिंघवी ने कहा कि मैं अंतरिम तौर पर क्यों नहीं रिहा हो सकता? निचली अदालत से मेरे पक्ष में फैसला आ चुका है।

हाईकोर्ट से पहले फैसला आने दीजिए- जस्टिस मिश्रा

जस्टिस मिश्रा ने कहा कि अगर हम अभी कोई आदेश पारित करते हैं, तो हम मामले पर हाईकोर्ट से पहले ही फैसला सुना देंगे। केजरीवाल के वकील विक्रम चौधरी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को अंतरिम आदेश दिया था, जिसमें केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने तब टिप्पणी करते हुए कहा था कि केजरीवाल दिल्ली के सीएम हैं, उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है, उनकी फ्लाइट रिस्क यानी फरारी का का कोई खतरा नहीं है। अगस्त 2022 से जांच लंबित है और उन्हें मार्च 2024 में ही गिरफ्तार किया गया। वीडीओ कांफ्रेंस के जरिए पेश हुए सिंघवी ने कहा कि हाईकोर्ट ने इस मामले पर 10.30 बजे ही जमानत पर रिहाई के आदेश पर रोक लगाने का फैसला सुना दिया। वो भी बिना कारण बताए ही, स्थगन आदेश पारित किया गया। हमने हाईकोर्ट में सुप्रीम कोर्ट के पुराने 10 फैसले रखे, उनमें साबित है कि एक बार जमानत दिए जाने के बाद विशेष कारणों के बिना रोका नहीं जा सकता।

याचिका में केजरीवाल की ओर से दी गई यह दलील

सीएम केजरीवाल की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि जमानत आदेश पर रोक लगाने के लिए हाईकोर्ट का तरीका कोर्ट द्वारा निर्धारित कानून के स्पष्ट आदेश के विपरीत है और यह उस बुनियादी मौलिक सीमा का उल्लंघन करता है जिस पर हमारे देश में जमानत के कानून आधारित हैं। केवल इसलिए कि याचिकाकर्ता एक राजनीतिक व्यक्ति है और केंद्र में सत्ता में मौजूदा सरकार का विरोधी है, केवल यह तथ्य उसके खिलाफ झूठा मामला बनाने का आधार नहीं हो सकता। इसके साथ ही याचिकाकर्ता को कानूनी प्रक्रिया से वंचित करने का भी आधार नहीं हो सकता। याचिका में यह भी दर्ज किया गया है कि, कोर्ट के इस आदेश ने न्याय को चोट पहुंचाई ही है, साथ ही इससे याचिकार्ता को भी दुख पहुंचा है। कोर्ट के इस आदेश को एक पल के लिए भी जारी नहीं रखा जाना चाहिए। अदालत ने बार-बार यह माना है कि स्वतंत्रता से एक दिन के लिए भी वंचित होना ज्यादती है।



\
Sandip Kumar Mishra

Sandip Kumar Mishra

Content Writer

Sandip kumar writes research and data-oriented stories on UP Politics and Election. He previously worked at Prabhat Khabar And Dainik Bhaskar Organisation.

Next Story