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मेधा पाटकर को कोर्ट ने सुनाया 5 माह की सजा और 10 लाख जुर्माना, जानें पूरा मामला
Medha Patkar : सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर के खिलाफ 23 साल पहले दायर किए गए मामले में साकेत कोर्ट ने दोषी पाया है। यह मामला दिल्ली के उप राज्यपाल विनय कुमार सक्सेना की ओर से दायर किया गया था।
Medha Patkar : दिल्ली की साकेत कोर्ट ने सोमवार को सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर को 5 महीने कैद की सजा सुनाई। साथ ही उन पर 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। यह सजा उन्हें 23 साल पुराने आपराधिक मानहानि मामले में सुनाई गई है। एनजीओ नेशनल काउंसिल ऑफ सिविल लिबर्टीज के तत्कालीन अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना (वर्तमान में दिल्ली के उप राज्यपाल) की ओर से उन पर मुकदमा दर्ज कराया गया था। जिसमें कोर्ट ने मेधा पाटकर को मानहानि का दोषी पाया और उन्हें विनय कुमार सक्सेना की प्रतिष्ठा को हुए नुकसान के लिए मुआवजे के रूप में 10 लाख रुपये का भुगतान करने का भी निर्देश दिया।
30 दिनों तक स्थगित रहेगा सजा
मेधा पाटकर ने 23 साल पुराने मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद कोर्ट में जमानत की याचिका दायर की। मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा ने जमानत याचिका पर फैसला सुनाते हुए कहा कि यह आदेश 30 दिनों तक स्थगित रहेगा। कोर्ट ने कहा कि मेधा पाटकर की उम्र और स्वास्थ्य की स्थिति को देखते हुए उन्हें 1 या 2 साल से अधिक की सजा नहीं दी जा सकती है। वहीं मेधा पाटकर ने कोर्ट के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, सच्चाई को कभी हराया नहीं जा सकता। हमने किसी को बदनाम करने की कोशिश नहीं की है, हम सिर्फ अपना काम करते हैं। हम कोर्ट के फैसले को चुनौती देंगे।
यह है पूरा मामला
सोशल एक्टिविस्ट मेधा पाटकर के खिलाफ विनय कुमार सक्सेना ने 2001 में नर्मदा बचाओ आंदोलन (एनबीए) के खिलाफ प्रकाशित विज्ञापन पर मुकदमा दायर किया था। उस वक्त विनय कुमार सक्सेना के पास अहमदाबाद के नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज एनजीओ की जिम्मेदारी थी। उस वक्त मेधा पाटकर ने ‘देशभक्त का सच्चा चेहरा’ टाइटल से एक एक प्रेस नोट जारी कर यह बयान दिया था कि विनय कुमार सक्सेना देशभक्त नहीं, एक कायर हैं। इस मामले में कोर्ट ने मेधा पाटकर को दोषी ठहराया। कोर्ट ने कहा कि विनय कुमार सक्सेना पर आरोप लगाना न केवल उनकी मानहानि करने वाला है, बल्कि उनको लेकर बुरी राय बनाने की कोशिश है। कोर्ट ने मेधा पाटकर को दोषी ठहराते हुए कहा कि प्रतिष्ठा सबसे मूल्यवान संपत्ति है। यह पेशेवर और व्यक्तिगत दोनों तरह के संबंधों को खराब करती है। समाज में किसी व्यक्ति की स्थिति को प्रभावित करना ठीक नहीं। यह आरोप कि शिकायतकर्ता गुजरात के लोगों और उनके संसाधनों को विदेशी हितों के लिए गिरवी रख रहा है, यह सीधे तौर पर उनकी ईमानदारी और सार्वजनिक सेवा पर हमला है।