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अंतरिक्ष से ऐसा दिखता है रामसेतु, यूरोप की स्पेस एजेंसी ने शेयर की खूबसूरत तस्वीर
Ramsetu : यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने रामसेतु की एक सैटलाइट से ली गई बेहद खूबसूरत तस्वीर शेयर की है। यह तस्वीर कोपरनिकस सेंटिनल-2 सैटलाइट से ली गई है। एजेंसी अक्सर अंतरिक्ष से ली गईं धरती की तस्वीरें शेयर करती रहती है।
Ramsetu : सनातन धर्म में रामसेतु का बहुत ही महत्व है। वाल्मीकि का महाकाव्य रामायण कहती है कि जब श्रीराम ने सीता को लंकापति रावण से छुड़ाने के लिए लंका पर चढ़ाई की, तो उन्होंने नल और नील से एक सेतु बनवाया था। रामेश्वरम से लंका तक समुद्र पर इस सेतु को बनाने में वानरी सेना ने नल और नील की मदद की थी। इस सेतु को पानी में तैरने वाले पत्थरों का इस्तेमाल कर बनाया गया था। इन पत्थरों को किसी दूसरी जगह से लाया गया था। कन्याकुमारी से श्रीलंका के बीच स्थित इस 'सेतु' को ऐडम ब्रिज के नाम से भी जाना जाता है। लंबे समय से इसे नेशनल हेरिटेज बनाने की भी मांग की जा रही है। यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने रामसेतु की एक सैटलाइट से ली गई बेहद खूबसूरत तस्वीर शेयर की है। यह तस्वीर कोपरनिकस सेंटिनल-2 सैटलाइट से ली गई है। एजेंसी अक्सर अंतरिक्ष से ली गईं धरती की तस्वीरें शेयर करती रहती है।
यहां जानें रामसेतु के बारे में
रामसेतु रामेश्वरम से श्रीलंका के मन्नार द्वीप तक 48 किलोमीटर लंबा है। यही रामसेतु हिंद महासागर की मन्नार की खाड़ी को बंगाल की खाड़ी के पाल्क स्ट्रेट से अलग करता है। वहीं ईसाई मानते हैं कि आदम ने इस पुल को बनवाया था और इसलिए इसे ऐडम ब्रिज कहते हैं। नासा की तरफ से इसकी तस्वीर जारी किए जाने के बाद इसपर वैज्ञानिकों ने ध्यान देना शुरू किया। इसके बाद से ही रामसेतु की चर्चा तेज हुई। हालांकि, अमेरिकी पुरातत्वविदों ने पहले भी दावा किया था कि भारत और श्रीलंका के बीच सच में पुल का निर्माण किया गया था। इस पुल के पत्थर तैरते थे। ये चूनापत्थर है और ज्वालामुखी के लावे से बने हैं जो कि अंदर से खोखले होते हैं और इनमें छोटे-छोटे छिद्र होते हैं। घनत्व कम होने की वजह से ये पानी पर तैरने लगते हैं।
यहां जानें रामसेतु टूटा और डूबा कैसे
वैज्ञानिकों ने कहा था कि लगभग 500 साल पहले यह पुल समुद्र के ऊपर रहा होगा। हालंकि प्राकृतिक आपदाओं, चक्रवातों ने इसे तोड़ दिया और फिर यह कुछ फीट पानी के अंतर चला गया। इसके अलावा ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से भी अंटार्कटिका की बर्फ पिघल रही है और समुद्र का जल स्तर बढ़ रहा है। ऐसे में कई पुराने स्ट्रक्चर समुद्र में डूब रहे हैं। वहीं धार्मिक कारणों में बताया जाता है कि विभीषण ने खुद इस पुल को तोड़ने के लिए श्रीराम से अनुरोध किया था। 2005 में यूपीए सरकार के दौरान यहां एक चैनल बनाने की बात हुई थी, जिसके लिए रामसेतु का एक हिस्सा तोड़ा जाना था। इसका काफी विरोध हुआ। इस प्रोजेक्ट का समर्थन करने वालों का कहना था कि रामसेतु की वजह से जहाजों को लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। अगर बीच से चैनल खोला जाता है तो 780 किलोमीटर की दूरी कम हो जाएगी। दरअसल जहां रामसेतु है वहां समुद्र की गहराई बहुत कम है और ऐसे में बड़े जहाज वहां से पास नहीं हो पाते। बाद में 2007 में कोर्ट ने इस प्रोजेक्ट पर रोक लगा दी थी।