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Farrukhabad History: अफीम से प्रसिद्ध था फर्रुखाबाद, आज दालमोठ और आलू के लिए प्रख्यात है शहर, जाने इसके बारे में
Farrukhabad History: फर्रुखाबाद जनपद का इतिहास बहुत ही दूरस्थ प्राचीनकाल का है।
Farrukhabad History: फर्रुखाबाद जनपद का इतिहास बहुत ही दूरस्थ प्राचीनकाल का है। कांस्य युग के दौरान कई पूर्व ऐतिहासिक हथियार और उपकरण यहां मिले थे। संकिसा और कम्पिल में बड़ी संख्या में पत्थर की मूर्तियां मिलती हैं। फर्रुखाबाद जनपद मूर्तिकला में महान पुरातनता का दावा कर सकता है, इस क्षेत्र में आर्यन बसे हुए थे, जो कुरुस के करीबी मित्र थे। महाभारत युद्ध के अंत तक प्राचीन काल से जिले का पारंपरिक इतिहास पुराणों और महाभारत से प्राप्त होता है। कहते है अमावासु' ने एक राज्य की स्थापना की, जिसके बाद की राजधानी कान्यकुब्ज (कन्नौज) थी। जाहनु एक शक्तिशाली राजा था, क्योंकि गंगा नदी के नाम पर उन्हें जहनुई के दिया गया था। महाभारत काल के दौरान यह क्षेत्र महान प्रतिष्ठा में उदय हुआ। इसके अलावा यह शहर अपने स्वादिष्ट व्यंजनों के कारण भी प्रसिद्ध है।
फर्रुखाबाद की मशहूर दालमोठ और आलू
मेरा शहर मेरी पहचान है तो कहते सुना है,लेकिन क्या कभी किसी शहर की पहचान स्वाद से किया जाये सुना है?आलू,तम्बाकू से पहचान हम पहले करा चुके है। जी हाँ फर्रुखाबाद की नमकीन दालमोठ, गड्डबड्ड, सेम के बीज, अब सुबह का सबसे प्रिय नाश्ता पपड़ी सभी भारत के अलावा बाहर के देशों में काफी मशहूर है?बहुत पुराना इतिहास नहीं है इसका लेकिन एक नाम है देशराज जो 1922 से दालमोठ बना रहा है।असल में अंग्रेज गांव गांव लोगों को फ्री चाय पिलाना सिखा रहे थे शायद साथ देने के लिये इसका उत्पादन प्रारम्भ हुआ।पहले ये अंग्रेजों की सुबह की चाय व शाम में चार चांद लगाती थी लेकिन अब ये हिन्दुस्तान के हर शहर में "फर्रुखाबाद की मशहूर दालमोठ" के बैनर तले दूकानों पर धड़ल्ले से बिकती है।सेम का बीज भी दालमोठ की तरह उतना ही पापुलर है।
गोल गोल,हल्का पीला रंग,गरीब हो या अमीर,हर थाली की शान,फर्रुखाबाद की पहचान। जी हाँ आलू मुझे लोग पोटेटो भी कहते है। हिन्दुस्तानी संस्कृति में बड़े आदर भाव से सैकड़ों रुपों में मुझे परोसा जाता है।आलू शाही दावतो की शान हुआ करता था।लेकिन आलू मे पाये गये तत्वों के आधार पर यह आम आदमी की थाली का एक एहम हिस्सा बन गया।डिमांड बड़ने के साथ खेती का रकबा बड़ा और आज फर्रुखाबाद इसकी वैझानिक खेती कर हिन्दुस्तान की कुल जरुरत का 30 से 40% तक पूर्ति करता है।अब यह आम व शाही दावतों की शान तो है ही वरन् एक हैल्दी फूड की श्रेणी मे भी आता है।जी हाँ आज आलू के नाम के साथ फर्रुखाबाद की पहचान है।फर्रूखाबाद में रिकार्ड आलू उत्पादन करने वाले किसानों के आलू बर्बादी को दैवीय आपदा में शामिल किये जाने के साथ ही राज्य व केन्द्र की सरकारों से फर्रूखाबाद जिले में आलू पर आधारित एक कारखाने को लगाये जाने की मांग हमेशा चलती रही है।
काफी किसान आलू की फसल बोते हैं और उसी के जरिए अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं।प्रमुख आलू उत्पादक क्षेत्र होने के नाते ही जनपद में शीतगृह भी काफी संख्या में है।हर वर्ष व्यापक पैमाने पर जिले में आलू का भंडारण किया जाता है।पिछले वर्ष जिले में करीब 17500 हेक्टेयर क्षेत्रफल में आलू बोया गया था।जिले के चार दर्जन शीत गृहों में चार लाख मीट्रिक टन आलू भंडारण के लिए रखा गया था।ताकि दाम बढ़ने पर अच्छी कीमत हासिल कर सकें लेकिन ऐसा नहीं हो सका।पूरे वर्ष आलू की कीमतों में उछाल नहीं आ सका।कुछ किसानों ने आलू कम भाव में समय से बेच लिया लेकिन अधिकांश किसान भाव बढ़ने का इंतजार करते रहे।अब स्थिति यह हुई कि शीत गृह से आलू निकालने पर उसको बेचने के बाद जेब से अतिरिक्त भाड़ा देना होता है।