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Mukteshwar Dham Kaise Ghume: कष्टों से मुक्ति का पवित्र स्थान, जानिए यहाँ के आसपास के बेहद खूबसूरत पर्यटक स्थल कौन से हैं
Mukteshwar Dham Tour Guide: उत्तराखंड के नैनीताल जिले के मुक्तेश्वर धाम स्थित है जो अति प्राचीन है। वहीँ इस मंदिर के चारों ओर पर्यटक मनमोहक दृश्य आपको मिलेंगें।
Mukteshwar Dham (Image Credit-Social Media)
Uttarakhand Mukteshwar Dham: देश के देवभूमि कहे जाने वाले राज्य उत्तराखंड के नैनीताल जिले के मुक्तेश्वर धाम में स्थित मुक्तेश्वर मंदिर अति प्राचीन है। समुद्र तल से करीब 2,300 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक पहाड़ी पर भगवान शिव के इस मंदिर का इतिहास करीब 350 साल पुराना है। इस मंदिर के चारों ओर पर्यटक मनमोहक दृश्य देख सकते हैं।
ऐसी मान्यता है कि यहां भगवान शिव के दर्शन करने से भक्त सारे कष्टों से मुक्त हो जाते हैं। ऐसी भी मान्यता है कि जिन दंपतियों को संतान नहीं है, यहां आने से संतान प्राप्ति की कामना पूरी होती है।इसके कारण ही इस जगह का नाम मुक्तेश्वर पड़ा है। भगवान शिव का यह अलौकिक मंदिर प्राचीन काल में कई ऋषि-मुनियों की तपोभूमि भी रहा है।
इस मंदिर परिसर में भगवान शिव के अलावा माता पार्वती, भगवान श्री राम , हनुमान और ब्रह्मा जी के भी मंदिर हैं। श्रावण महीने में यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिलती है। पहाड़ी पर स्थित शिव मंदिर में श्रद्धालु करीब सौ सीढ़ियों को पार कर भगवान शिव के दर्शन कर सकते हैं। इस दौरान प्रकृति का सुंदर नज़ारा भी देखने को मिल जाता है। लोगों का मानना है कि यहां भगवान शिव के दर्शन से मनोवांछित फल मिलता है।
सर्दियों में यहां काफी ठंड पड़ती है और गर्मियों में तापमान घूमने लायक रहता है। गर्मी की छुट्टियों में इस जगह का प्लान कर परिवार या दोस्तों संग सुहाने मौसम का आनंद से सकते हैं। जब देश के ज्यादातर हिस्से गर्मी की चपेट में रहते हैं उस दौरान यहां आकर जंगलों और हिमालय के सुखद मौसम का लुत्फ उठाना एक अलग एहसास देता है। देश विदेश से भारी संख्या में पर्यटक इस जगह घूमने आते हैं। ट्रैकिंग के लिए यह जगह सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करती है। यहां सैलानी कई साहसिक गतिविधियों जैसे रॉक क्लाइंबिंग और रैपलिंग का मजा ले सकते हैं। पक्षी प्रेमियों के लिए भी यह जगह बेहद दिलचस्प है, यहां बर्ड वाचिंग का अनुभव ले सकते हैं।
मुक्तेश्वर के आसपास अन्य कई दर्शनीय स्थल भी आप देख सकते हैं। जिनमें प्रमुख हैं :
चौली की जाली :
प्रकृति प्रेमियों और साहसिक गतिविधियों के लिए मशहूर इस जगह आप रॉक क्लाइंबिंग और रैपलिंग का अनुभव ले सकते हैं। इस जगह से सैलानी हिमालय के पर्वत श्रृंखलाओं का मनमोहक दृश्य का आनंद ले सकते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस जगह एक देवी का राक्षस के साथ युद्ध भी हुआ था जिसका प्रतीक यहां स्थित देवी मंदिर है।
इस स्थान से एक पौराणिक कथा जुड़ी है जिसके अनुसार कहा जाता है कि अक्सर भगवान शिव इस जगह तपस्या में लीन रहते थे। एक बार भगवान शिव के तपस्या में लीन रहने के दौरान तीर्थ यात्रा पर निकले बाबा गोरखनाथ के टोली का मार्ग अवरुद्ध हो गया। उसके बाद उन्होंने अपने गंडासे से वहां की विशाल चट्टानों पर प्रहार किए जिससे वहां कई छेद बन गए। बाबा गोरखनाथ का काफिला उधर से चला गया। उस जगह वहां प्रहार से बने जाली रूपी छिद्रों की आज भी पूजा की जाती है।
सीतला :
यह एक आकर्षक हिल स्टेशन जहां कई सुंदर बंगले बने हैं। इस जगह से हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं का आकर्षक प्राकृतिक दृश्य देखने को मिलता है। इस खूबसूरत पहाड़ी शहर से सैलानी ट्रेकिंग और बर्ड वाचिंग का लुत्फ़ उठा सकते हैं।
भालू गढ़ झरना :
ट्रेकिंग वाले सैलानियों के लिए यह जगह कोई स्वर्ग से कम नहीं। इस जगह से प्रकृति का खूबसूरत नज़ारा फुर्सत में बैठकर देखा जा सकता है। गर्मी के मौसम में पर्यटकों के लिए यह घूमने लायक जगह है।
कैसे पहुंचें ?
हवाई मार्ग से यहां पहुंचने के लिए दिल्ली का अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा अच्छा विकल्प है। यह स्थान दिल्ली से सड़क मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। दिल्ली से यह जगह करीब 360 किमी दूर है जहां बस या टैक्सी के जरिए पहुंचा जा सकता है। इसके अलावा नैनीताल पंतनगर हवाई अड्डा भी निकटतम हवाई अड्डा है। यहां से यह हिल स्टेशन केवल 100 किमी की दूरी पर है।
रेलमार्ग से यहां पहुंचने के लिए काठगोदाम रेलवे स्टेशन निकटतम रेलवे स्टेशन है। दिल्ली से मुक्तेश्वर पहुंचने के लिए कई ट्रेनें हैं जिससे आप काठगोदाम जा सकते हैं। यहां से मुक्तेश्वर करीब 72 किमी दूर है जहां आप बस या टैक्सी से पहुंच सकते हैं।
सड़क मार्ग से मुक्तेश्वर पहुंचने के लिए आप दिल्ली से बस या टैक्सी द्वारा आ सकते हैं। सड़क मार्ग से यह जगह जगह उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड के अन्य शहरों अच्छी तरह जुड़ा है।
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