×

क्या है इसके पीछे की वजह, हर आरती के बाद आखिर क्यों बोलते है ये मंत्र?

suman
Published on: 2 Dec 2016 5:06 AM GMT
क्या है इसके पीछे की वजह, हर आरती के बाद आखिर क्यों बोलते है ये मंत्र?
X

लखनऊ: पूजा चाहे कोई भी हो पर उसके संपन्न होने के बाद आराध्यदेव की आरती गाने की प्रथा है और किसी भी देवी-देवता की आरती क्यों ना हो उसके बाद 'कर्पूरगौरं करुणावतारं' मंत्र बोला जाता है। इस मंत्र को बोलना मात्र परंपरा को निभाना नहीं है, बल्कि इसके पीछे की वजह है, जिसके बारे में बता रहे हैं...

मान्यता के अनुसार शिव-पार्वती विवाह के समय भगवान विष्णु द्वारा इस मंत्र का जाप किया गया था। इसमें भगवान शिव के रूप और गुणों का वर्णन किया गया है। मंत्र के अनुसार, भोलेनाथ का स्वरुप बहुत दिव्य है। शिव को पशुपतिनाथ भी कहा जाता है, पशुपति का अर्थ है संसार के जितने भी जीव हैं (मनुष्य सहित) उन सब का अधिपति।

मंत्र के अनुसार, जो इस समस्त संसार का अधिपति है, वो हमारे मन में वास करें। शिव श्मशान वासी हैं, जो मृत्यु के भय को दूर करते हैं। हमारे मन में शिव वास करें और हमारे मन से मृत्यु का भय दूर हो।

मंत्र...

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।

सदा बसन्तं हृदयारबिन्दे भबं भवानीसहितं नमामि।।

god

मंत्र का अर्थ...

इस मंत्र से शिवजी की स्तुति की जाती है। इसका अर्थ है..

कर्पूरगौरं- कर्पूर के समान गौर वर्ण वाले।

करुणावतारं- करुणा के जो साक्षात् अवतार हैं।

संसारसारं- समस्त सृष्टि के जो सार हैं।

भुजगेंद्रहारम्- इस शब्द का अर्थ है जो सांप को हार के रूप में धारण करते हैं।

सदा वसतं हृदयाविन्दे भवंभावनी सहितं नमामि- इसका अर्थ है कि जो शिव, पार्वती के साथ सदैव मेरे हृदय में निवास करते हैं, उनको मेरा नमन है।

मंत्र का पूरा अर्थ-

जो कर्पूर जैसे गौर वर्ण वाले हैं, करुणा के अवतार हैं, संसार के सार हैं और भुजंगों का हार धारण करते हैं, वे भगवान शिव माता भवानी सहित मेरे ह््रदय में सदैव निवास करें और उन्हें मेरा नमन है।

suman

suman

Next Story