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21 सालों से धरना दे रहे हैं मास्टर विजय, बोले- आखिरी सांस भी कुर्बान, देश के गरीबों के नाम
लखनऊ: वह कोई मंत्री नहीं है, पर फिर भी दूसरों के हक़ के लिए लड़ाई लड़ रहा है। दूसरों के सिरों पर छत का साया देने के लिए वह खुद खुली आसमानों के नीचे अपनी रातें गुजार लेता है। 21 सालों से अपने घर-परिवार को छोड़कर वह दूसरों को उनके हक़ की जमीन दिलाने के लिए प्रयासरत हैं। उनका यह प्रयास कोई 10-12 सालों की बात नहीं है बाकि वह पूरे 21 साल से धरने पर बैठे हुए हैं, लेकिन आज तक उन्हें न्याय नहीं मिल पाया है। हम बात कर रहे हैं मुजफ्फरनगर के श्यामली जिले के मास्टर विजय सिंह की जिनके बारे में भले ही लोग ठीक से नहीं जानते हों, लेकिन आए दिन इनका नाम अखबार के किसी पाने पर जरूर दिख जाता है।
इनका धरना इतना ज्यादा समय से है कि इनका नाम 'गिनीज बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स' और 'लिम्का बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स' में दर्ज किया जा चुका है।
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मास्टर विजय मुजफ्फरनगर के जिले श्यामली के चौसाना गांव के रहने वाले साधारण से इंसान हैं। इनकी फैमिली इनके साथ नहीं रहती है। Newstrack.com से हुई बातचीत में मास्टर विजय ने बताया कि 1996 में वह एक टीचर के ओहदे पर थे और गांव के ही एक स्कूल में पढ़ाते थे। अक्सर जब वह स्कूल पढ़ाने जाते थे, तो रास्ते में वह तमाम बच्चों को भूखा-प्यासा रोता हुआ देखते थे। इससे इन्हें काफी दुःख होता था। ऐसा नहीं है कि उन लोगों के पास जमीन नहीं होती थी। जमीन तो थी, पर उन मासूम की जमीनों पर भू-माफियाओं और दबंगों का कब्ज़ा था।
आगे मास्टर विजय बताते हैं कि खुद की जमीन होते हुए भी लोगों को भूखा मरता देख इनके मन में ख्याल आया कि क्यों न गांव में दबंगों के द्वारा कब्जाई गई कुल जमीन का पता लगाया जाए। इसके लिए उन्होंने काफी रिसर्च की और अपनी टीचर की जॉब से रिजाइन कर दिया। 6 महीने की कड़ी रिसर्च के बाद मास्टर विजय को पता चला कि इनके गांव में कुल 4575 बीघा जमीन थी। लेकिन उसमें से 4000 बीघा जमीन पर दबंगों का कब्ज़ा था। इसके बाद मास्टर विजय ने ड्राफ्टिंग की कई जगह धरने पर बैठे ताकि गरीबों को उनका हक़ मिल सके। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की गई और तभी से मास्टर विजय ने संकल्प लिया कि वह तब तक धरने पर बैठेंगे, जब तक वह दबंगों द्वारा कब्जाई गई जमीन को छुड़वाकर उन्हें गरीबों को नहीं दे देंगे।
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कहते हैं कि सच्चे इंसान का साथ तो भगवान भी देता है। पहली बार मुजफ्फरनगर में मास्टर विजय के धरने की वजह से 360 बीघा जमीन मुक्त करवाई। इनकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा इस छोटी सी सफलता के बाद मानों मास्टर विजय के हौसलों को उड़ान मिल गई। अब इन्होने प्रण किया कि जब तक वह अपने शहर की पूरी जमीन को भू-माफियाओं से आजाद नहीं करवा देते, इनका धरना चलता रहेगा। इतना ही नहीं मास्टर विजय के सत्याग्रह के चलते कई बार सरकार को इनकी सुरक्षा भी बढानी पड़ी थी क्योंकि इनकी जान को खतरा था।
हैरान कर देने वाली बात तब हो गई, जब मास्टर विजय न्याय की तलाश में 600 किलोमीटर दूर लखनऊ पैदल चलकर आए। खुद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उनसे मिलकर राजस्व मंत्री शम्भू सिंह यादव से इसपर कार्रवाही करने की बात कही। कार्रवाही तो शुरू की गई, पर करप्शन एक बार फिर रोड़े आ गया। मास्टर विजय ने राजस्व मंत्री, डीजीपी सहित कई लोगों को पत्र लिखे। लेकिन कोई कार्रवाही नहीं हुई 25 लाख रूपया लेकर उन्हें छोड़ दिया गया। मास्टर विजय का कहना है कि हमारे प्रदेश में करोड़ों बीघा जमीन दबंगों और भू-माफियाओं के कब्जे में है। लेकिन उनपर कोई एक्शन नहीं लिया जाता है।
आगे की स्लाइड में जानिए मास्टर विजय के संघर्ष से जुड़ी और भी बातें
मुजफ्फरनगर से मुख्यमंत्री तक पैदल चलकर आए मास्टर विजय की हिम्मत को तब भी कोई हिला नहीं पाया। कहा जाता है कि 1196 से लेकर आज 2017 आ गया है। उनके धरने को 21 साल हो गए हैं लेकिन अब तक कोई कार्रवाही नहीं की गई है। लगातार धरने करना की वजह से न केवल उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो चुकी है। बल्कि स्वास्थ्य में भी काफी गिरावट आ गई है। वहीं इस बारे में मास्टर विजय का कहना है कि इतने सालों में भले ही वह धरने पर बैठे हुए हैं, लेकिन आजतक उनपर एक मुकदमा नहीं चलाया गया है। वह जो भी काम करते हैं, कानून के दायरे में रहकर करते हैं।
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मास्टर विजय का कहना है कि देश के हित में वह किसी भी हद तक जा सकते हैं। अगर सरकार इन भू-माफियाओं पर कड़ी कार्रवाही करे, तो शायद भूमि अधिग्रहण की जरूरत ही नहीं होगी। उनका कहना है कि वह मरते दम तक गरीबों के लिए काम करते रहेंगे। मास्टर विजय बताते हैं कि वह खुद सरकार से कहते हैं कि अगर उनके फैक्ट्स गलत हैं, तो उन्हें तुरंत जेल भेज दिया जाए नहीं तो भू-माफियाओं पर कार्रवाही की जाए वह बाहर रहकर इस तरह से गरीबों पर जुल्म होते हुए नहीं देख सकते हैं।
अब एक बार फिर से मास्टर विजय लखनऊ की गांधी प्रतिमा पर धरना देने जा रहे हैं उनका कहना है कि वह तब तक संघर्ष करेंगे, जब तक गरीबों को न्याय नहीं मिल जाता है।
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