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अमरनाथ यात्रा पर मौसम भी मेहरबान, भक्तों ने किए बाबा बर्फानी के दर्शन

Newstrack
Published on: 2 July 2016 10:24 AM GMT
अमरनाथ यात्रा पर मौसम भी मेहरबान, भक्तों ने किए बाबा बर्फानी के दर्शन
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जम्मू: अमरनाथ यात्रा शुरू हो गई, 2 जुलाई शनिवार को भक्तों ने बाबा बर्फानी के दर्शन किए। वहीं सुहाने मौसम की वजह से श्रद्धालुओं बहुत खुश हैं। बता दें कि अभी तक साढ़े तीन लाख से ज्यादा श्रद्धालु अमरनाथ यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं। देश के कई हिस्सों से बाबा बर्फानी के दर्शनों के लिए जम्मू पहुंचे भक्तों में महिलाएं और बच्चे भी है। यात्रा पर आतंकी खतरे को देखते हुए सुरक्षा के बहुत कड़े इंतज़ाम किए गए हैं। इस बार अतिरिक्त सुरक्षा बलों की तैनाती भी की गई है।

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बाबा तक पहुंचने के दो रास्ते

अमरनाथ की पवित्र गुफा तक पहुंचने के दो रास्ते हैं। एक बालटाल से और दूसरा पहलगाम से जाता है। बालटाल से पवित्र गुफा का रास्ता 14 किलोमीटर का है जबकि पहलगाम से 51 किलोमीटर है। यात्री बालटाल से डोमेल, बरारी होते हुए बाबा बर्फानी की पवित्र गुफा तक पहुंचते हैं जबकि पहलगाम वाले यात्री चंदनवाड़ी, पिस्सू टॉप, शेषनाग और पंजतरनी होते हुए पवित्र गुफा तक पहुंचते हैं। दोनों ही रास्तों में सुरक्षा के चाक चौबंद इंतजाम हैं।

हर तरह की सुविधा का ख्याल

वहां तक पहुंचने के लिए सबसे पहले जम्मू पहुंचा जाता है। जम्मू से सुबह निकल कर शाम तक बसें पहलगाम पहुंचा देती हैं। पहलगाम पहुंचकर बस मार्ग समाप्त हो जाता है और आगे का मार्ग को पैदल, टट्टुओं पर या डांडियों में बैठकर तय किया जाता है। यहां से श्री अमरनाथ की गुफा 48 किलोमीटर दूर है। यहां से यात्री गर्म कपड़े, जूते, छड़ी, छाता तथा 2-3 दिन के लिए खाने की सामग्री खरीदते हैं। यहीं, घोड़े किराए पर भी मिलते हैं और पड़ावों पर रात बिताने के लिए तंबू भी हर जगह मिलते हैं।

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जानें अमरनाथ के रास्ते और पड़ाव की खास बातें

अमरनाथ गुफा तक मुख्य पड़ाव इस प्रकार है। चंदनवाड़ी पहलगाम से आगे निकलने के बाद बीहड़ वन, घने वृक्ष और हिमाच्छदित पहाड़ों के बीच का रास्ता है। यही पहला पड़ाव चंदनबाड़ी है, जो पहलगाम से 16 किलोमीटर की दूर पर है। ये समुद्र तल से 11,000 फुट की ऊंचाई पर है। सावन माह की पूर्णिमा के दिन अमरनाथ के दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ बहुत बढ़ जाती है।

चंदनवाड़ी वस्तुत: शेषनाग और लिद्दर नदियों का सुंदर संगम है। शेषनाग चंदनबाड़ी से 14 किलोमीटर दूर शेषनाग है। इसी यात्रा में पिस्सुघाटी के दर्शन होते हैं। इस पर बर्फ की चादर बिछी हुई है, जिसके फन से परम स्वच्छ जल शेषनाग नदी का रूप धारण कर अठखेलियां करती पहलगाम की तरफ जाती हैं।

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झील का हरा-नीला पानी हर यात्री का मन मोह लेता है। उसमें कई हिमखंड भी तैरते दिखायी देते हैं। शेषनाग में डाक बंगला है किंतु मेले के दिनों में भीड़ की अधिकता के कारण कुछ लोग पहलगाम से भी किराए पर तंबू ले जाते हैं। शेषनाग झील का सौंदर्य अद्भुत है। सर्दी के बावजूद भक्त झील में स्नान करते हैं। पंचतरणी शेषनाग के बाद अगला पड़ाव पंचतरणी है। उसके आगे का मार्ग हिमाच्छादित है।

अमरनाथ गुफा में एक गणोश पीठ तथा पार्वती पीठ भी हिम से बनता है. पार्वती पीठ 51 शक्ति पीठों में से एक है। कहते हैं कि यहां सती का कंठ गिरा था। अमरनाथ के हिमलिंग में एक अद्भुत बात यह है कि वह हिमलिंग तथा लिंग पीठ (हिम चबूतरा) ठोस-पक्की बर्फ का होता है, जबकि गुफा के बाहर मीलों तक सर्वत्र कच्ची बर्फ ही मिलती है।

अमरनाथ गुफा के नीचे से ही अमरगंगा का प्रवाह होता है। यात्री उसमें स्नान करके गुफा में जाते हैं। सवारी के घोड़े अधिकतर एक या आधे मील दूर ही रुक जाते हैं। अमरगंगा से लगभग दो फर्लांग चढ़ाई चलकर गुफा में जाना होता है।

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गुफा में जगह-जगह बूंद-बूंद जल टपकता है. ऐसा माना जाता है कि गुफा के ऊपर पर्वत पर श्रीराम कुंड है और ये जल उसी कुंड से टपकता है। गुफा के पास एक स्थान पर सफेद भस्म जैसी मिट्टी निकलती है, जिसे यात्री प्रसाद स्वरूप लाते हैं।

गुफा में वन्य कबूतर भी दिखायी देते हैं। उनकी संख्या विभिन्न समय पर भिन्न-भिन्न होती है। कबूतरों को शिव-पार्वती का रूप समझा जाता है। श्रावण पूर्णिमा के दिन शिवलिंग हर साल अलग-अलग ऊंचाई पर होता है। आमतौर पर ये 6-7 फुट ऊंचा रहता है।

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