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अन्नकूट व गोवर्धन पूजा से घर का भरे भंडार, कन्हैया रहेंगे हरदम साथ
जयपुर:दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा मनाया जाता है। लेकिन कभी-कभी तिथि के बढ़ने पर एक दो दिन आगे हो जाता है।
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पुराणों में श्री कृष्ण अपने साथियों के साथ चराते हुए गोवर्धन पर्वत पर पहुंचे। वहां उन्होंने देखा कि बहुत से लोग उत्सव माना रहे हैं। श्री कृष्ण ने उत्सुकतावश वहां के लोगों से पूछा तो गोपियों ने बताया कि इस दिन इन्द्रदेव की पूजा होती है। इन्द्रदेव की पूजा के फलस्वरूप भगवान प्रसन्न होकर वर्षा करते हैं जिससे खेतों में अन्न फूलते-फलते हैं।
गोवर्धन पूजा 2017 शुभ मुहूर्त-
गोवर्धन पूजा पर्व तारीख - 20 अक्तूबर 2017, शुक्रवार
गोवर्धन पूजा सुबह का मुहूर्त- सुबह 06:28 बजे से 08:43 बजे तक
गोवर्धन पूजा शाम का मुहूर्त - 03:27 बजे से सायं 05:42 बजे तक
प्रतिपदा - रात 00:41 बजे से (20 अक्तूबर 2017)
प्रतिपदा तिथि समाप्त - रात्रि 1:37 बजे तक (21 अक्तूबर 2017)
उन्नत फसल से वृजवासियों का भरण-पोषण होता है। गोपियों द्वारा इतनी बातें सुनकर श्री कृष्ण ने उनसे कहा कि इंद्र से भी अधिक शक्तिशाली तो गोवर्धन पर्वत है। इस गोवर्धन पर्वत के कारण वर्षा होती है यहां वर्षा होती है।
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इसलिए गोवर्धन पर्वत की पूजा होनी चाहिए, कृष्ण की इन बातों से सहमत होकर सभी वृजवासी गोवर्धन पूजा करने लगे। जब इन्द्र को इस बात की जानकारी इंद्र को हुई तो उन्होंने मेघ को आदेश दिया कि गोकुल में मुसलाधार बारिश कराए। मुसलाधार बारिश से परेशान गोकुलवासी कृष्ण की शरण में गए। तब कृष्ण ने सबको गोवर्धन पर्वत के नीचे आने को कहा और छाते की तरह गोवर्धन पर्वत को सबसे छोटी उंगली पर उठा लिया। जिससे लगातार सात दिन तक हुए मुसलाधार बारिश से वृजवासी की रक्षा हुई।
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जिसके बाद इन्द्र ने भी माना कि श्री कृष्ण वास्तव में विष्णु के अवतार हैं। फिर बाद में इंद्र देवता को भी भगवान कृष्ण से क्षमा याचना करनी पड़ी। इन्द्रदेव की याचना पर भगवान कृष्ण गोवर्धन पर्वत को नीचे रखा और सभी वृजवासियों से कहा कि अब वे हर साल गोवर्धन की पूजा कर अन्नकूट पर्व मनाए। तब से ही यह पर्व गोवर्धन के रूप में मनाया जाता है।