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माफिया डॉन बृजेश सिंह से जुड़ी ये 30 बातें, लगती फिल्मी हैं लेकिन हैं नहीं

Rishi
Published on: 16 July 2018 4:03 PM IST
माफिया डॉन बृजेश सिंह से जुड़ी ये 30 बातें, लगती फिल्मी हैं लेकिन हैं नहीं
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लखनऊ : यूपी की धरती ने जहां राम, कृष्ण, सूर, तुलसी, कबीर को जन्मा। वहीं मदनमोहन मालवीय के साथ नेहरू और संपूर्णानंद को भी जन्म दिया। ये वो नाम हैं जिनको याद कर हमारे दिल में भक्ति और सम्मान का भाव जाग उठता है। वहीं अबू सलेम, हरिशंकर तिवारी, बबलू श्रीवास्तव धनंजय सिंह, अमरमणि त्रिपाठी, मुख्तार अंसारी और बृजेश सिंह के नाम जुबान पर आते ही दिल में डर की लहर दौड़ उठती है। इनमें से ही डॉन से नेता बने बृजेश सिंह की अनसुनी दास्तां आपको हम बताने वाले हैं।

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  1. बृजेश सिंह उर्फ अरुण कुमार सिंह का जन्म वाराणसी में हुआ था।
  2. पिता रविन्द्र सिंह इलाके के रसूखदार लोगों में गिने जाते थे।
  3. बृजेश बचपन से ही पढ़ाई लिखाई में काफी होनहार था।
  4. 1984 में इंटर की परीक्षा में जब बृजेश के बहुत अच्छे नंबर आए तो पिता का सिर गर्व से उंचा उठ गया। उनका सपना था कि बेटा पढ़ लिख कर समाज में उनका मान बढ़ाएगा।
  5. बृजेश ने यूपी कॉलेज से बीएससी की पढाई की।
  6. 27 अगस्त 1984 को वाराणसी के धरहरा गांव में बृजेश के पिता रविन्द्र की हत्या उनके सियासी विरोधी हरिहर सिंह और पांचू सिंह ने साथियों के साथ मिलकर कर दी।
  7. पिता की मौत ने बृजेश सिंह के मन में बदले की भावना को जन्म दे दिया।
  8. 27 मई 1985 को पिता के कातिल हरिहर सिंह को बृजेश दिन दहाड़े मौत के घाट उतार दिया।
  9. हत्या कर बृजेश फरार हो गया।
  10. 9 अप्रैल 1986 को बनारस के सिकरौरा गांव में बृजेश सिंह ने अपने पिता की हत्या में शामिल रहे पांच लोगों को एक साथ गोलियों से भून दिया।
  11. इसके बाद पहली बार बृजेश गिरफ्तार हुआ, सजा हुई तो जेल गया।
  12. बृजेश की इसके बाद गाजीपुर के मुडियार गांव में त्रिभुवन सिंह से मुलाकात हुई। जो समय के साथ गाढ़ी दोस्ती में बदल गई।
  13. बृजेश और त्रिभुवन ने मिलकर शराब, रेशम और कोयले के धंधे में अपनी दबंगई के चलते खूब पैसा कमाया।
  14. कोयले की ठेकेदारी को लेकर बृजेश सिंह और पूर्वांचल के एक और माफिया मुख्तार अंसारी एक दूसरे के दुश्मन बन गए।
  15. बृजेश सिंह ने मुख्तार को आंकने में गलती कर दी। मुख्तार एक राजनैतिक बाहुबली था। ठेकेदारी और कोयले के धंधे ने दोनों को जानी दुश्मन बना दिया।
  16. गैंगवार ने दोनों गैंग्स के कई लोगों की बलि ली।
  17. गैंगवार की जद में सिर्फ साथी ही नहीं परिवार भी आने लगा। बृजेश का भाई सतीश वाराणसी के चौबेपुर में एक दुकान पर चाय पी रहा था। उसी समय बाइक सवार हमलावरों अंधाधुंध गोलियां बरसा सतीश की जान ले ली।
  18. इसके बाद बृजेश ने पश्चिम बंगाल, मुंबई, बिहार, और उड़ीसा का रुख किया और वहां अपनी जड़ें मजबूत कीं।
  19. त्रिभुवन सिंह का भाई हेड कांस्टेबल राजेंद्र वाराणसी पुलिस लाइन में तैनात था।
  20. अक्टूबर 1988 में साधू सिंह ने कांस्टेबल राजेंद्र की हत्या कर दी।
  21. इस मामले में कैंट थाने पर साधू सिंह के अलावा मुख़्तार अंसारी और भीम सिंह नामजद हुआ।
  22. भाई की हत्या का बदला लेने के लिए त्रिभुवन और बृजेश ने पुलिस की वर्दी में गाजीपुर अस्पताल में इलाज करा रहे साधू सिंह को को गोलियों से भून डाला था।
  23. इसके बाद जब बृजेश ने मुंबई के जेजे अस्पताल में डॉन गावली के शार्प शूटर हलधंकर सहित चार पुलिस वालों की हत्या की। तब पता चला कि बृजेश माफिया दाउद से हाथ मिला चुका है।
  24. बृजेश को मुख़्तार से बड़ी चुनौती मिल रही थी उसे राजनैतिक शरण की जरुरत थी जो उसे बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय ने मुहैया कराई।
  25. बृजेश को संरक्षण देकर राय मुख्तार गैंग के निशाने थे। 29 नवंबर 2005 को विधायक कृष्णानंद राय की मुन्ना बजरंगी और उसके साथियों ने हत्या कर दी। मुख्तार का नाम भी इस हत्याकांड में सामने आया।
  26. कृष्णानंद की हत्या के बाद बृजेश यूपी से फरार हो गया।
  27. मुख्तार को 2005 में गिरफ्तार किया गया।
  28. 2008 में बृजेश को उड़ीसा से गिरफ्तार किया गया।
  29. मार्च 2016 में यूपी में एमएलसी इलेक्शन हुए जिसमें बृजेश ने रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल की।
  30. बृजेश इस समय बनारस जेल में बंद है।



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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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