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मां के इस दरबार से नहीं जाता कोई खाली, पांडवों को भी दिया था आश्रय

Admin
Published on: 8 April 2016 12:56 PM IST
मां के इस दरबार से नहीं जाता कोई खाली, पांडवों को भी दिया था आश्रय
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लखनऊ: मां चंद्रिका देवी का मंदिर लखनऊ के बख्शी तालाब कस्बे से 11किमी दूर पर स्थित है। यहां श्रद्धालु खासकर नवरात्रि में दूर-दराज से मां के दरबार में अपनी मुराद लेकर आते हैं। ऐसी मान्यता है की मां चंद्रिका देवी भक्तों की हर मुराद पूरी करती हैं। ऐसा कहा जाता है कि महाभारत काल में पांडवों ने द्रौपदी के साथ अपने वनवास के समय यहां विश्राम किया था।

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मां ने बचाई थी राजा के कोप से बच्चे की जान

कहा जाता है कि महाराज युधिष्ठिर ने अश्वमेध यज्ञ कराया, जिसका घोड़ा यहां के राजा हंसध्वज ने चंद्रिका देवी धाम के निकट रोक लिया और उन्हें युधिष्ठिर से युद्ध करना पड़ा। युद्ध में उनका पहला पुत्र सूरथ तो उनके साथ था, लेकिन दूसरा पुत्र सुधन्वा चंद्रिका देवी धाम में नवदुर्गाओं की पूजा-आराधना में लीन था। इससे राजा हंसध्वज ने उससे नाराज होकर उसे गर्म कड़ाही के खौलते तेल में डालने का आदेश दे दिया। चंद्रिका देवी की कृपा के कारण उसे खौलते तेल में डालने के बाद भी कुछ नहीं हुआ। तब से इस तीर्थ को सुधन्वा कुंड भी कहा जाने लगा।

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संगम तीर्थ का पाताल लोक से सीधा संबंध

स्कंद पुराण के अनुसार द्वापर युग में घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक ने मां चंद्रिका देवी धाम स्थित महीसागर संगम में तप किया था। यहां तीन दिशाओं से गोमती नदी की जलधारा प्रवाहित होती है और पूर्व दिशा में महीसागर संगम तीर्थ है। कहा जाता है कि संगम तीर्थ में कभी भी पानी खत्म नहीं होता क्योंकि इसका सीधा संबंध पाताल से है। आज भी भक्त यहां महारथी वीर बर्बरीक की पूजा आराधना करने आते है।

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मुंडन संस्कार भी होते है यहां

नवरात्रि में यहां भक्तों का मेला लग जाता है। दूर-दराज से लोग यहां देवी मां का दर्शन करने आते हैं और मां से अपनी मुराद पूरी करनी की प्रार्थना करते हैं। नवरात्र में यहां दर्शन के साथ-साथ मुंडन संस्कार भी होता है। अष्ठमी और नवमी के दिन यहां भक्तों की भीड़ बढ़ जाती हैं और दर्शन के लिए सुबह 4 बजे से ही लाइन लगनी पड़ती है।

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ये चढ़ाएं प्रसाद

वैसे तो यहां प्रसाद के लिए मिठाइयां, बताशे आदि की दुकानें लगी रहती हैं, लेकिन मंदिर में सिर्फ मेवे का प्रसाद चढ़ाया जाता है। अगर आपका मन हो तो आप मिठाइयां माता के नाम से खरीद कर लोगों में बांटने के लिए ले जा सकते हैं। नवरात्र में अगर आपने हवन नहीं किया है तो आप चंद्रिका देवी मंदिर में हवन कर सकते हैं। पंडितों द्वारा यहां लगातार हवन कराया जाता है।



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