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ASTRO: धनतेरस पर ना खरीदें ये वस्तुएं, नहीं तो होगा अपशगुन
जयपुर: धनतेरस में खरीदारी की परंपरा और मान्यता दोनों हैं। इस दिन मान्यता है कि माता लक्ष्मी समुद्र मंथन से उत्त्पन्न हुई थीं ठीक उसी प्रकार भगवान धन्वंतरी भी समुद्र मंथन से उत्पन्न हुए थी। जब धन्वंतरी देव समुद्र मंथन से उत्पन्न हुए थे तब उनके हाथ में अमृत से भरा कलश था। इसलिए इस दिन बर्तन खरीदने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। धनतेरस के दिन आमतौर सोने-चांदी बर्तन, सिक्के और आभूषण खरीदने की परंपरा रही है। सोना खरीदना जहां सौन्दर्य में वृद्धि करता है वहीं सिंचित धन के रूप में भी काम आता है। धनतेरस के दिन सोने-चांदी की खरीदारी को कुछ लोग शगुन भी मानते हैं।
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धनतेरस के दिन खरीदारी से जुड़ी एक मान्यता यह भी है कि इस दिन खरीदारी करने से धन तेरह गुना बढ़ जाता है। धनतेरस के दिन ही लोग लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति दीवाली की रात पूजा के लिए खरीदते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस दिन धनियां का बीज खरीदने की परंपरा भी है। कहा जाता है कि धनियां के बीज को दीवाली के बाद बोने से धन-संपदा में काफी बढ़ोतरी होती है। बदलते परिवेश और हालात में कुछ लोग जहां विलासिता की वस्तुएं खरीदकर धनतेरस मनाते हैं वहीं कुछ लोग आवश्यकता की वस्तुएं खरीदकर कर। लेकिन कुछ ऐसी वस्तुएं हैं इसे धनतेरस के दिन खरीदना खराब माना गया है।
धनतेरस के दिन लोग शीशे से बनी वस्तुएं भी खरीदतें हैं। शीशे का संबंध राहु से है इसलिए इसकी खरीदारी से बचना चाहिए बचें। इसके अलावे कांच का सामान भी नहीं खरीदना चाहिए।
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धनतेरस के दिन आमतौर पर लोग एल्युमिनियम के बर्तन जमकर खरीदते हैं। यह एक ऐसा धातु है जिसपर ताहि का अधिपत्य रहता है। प्रायः सभी शुभ ग्रह इससे प्रभावित होते हैं। यही कारण कि एल्युमिनियम का प्रयोग पूजा-पाठ में नहीं किया जाता है। इतना ही नहीं ज्योतिष के अनुसार भी एल्युमिनियम को पूजा-पाठ में भी वर्जित किया गया है। अल्युमिनियम का प्रयोग वास्तु शास्त्र की दृष्टि से भी बेहद हानिकारक माना गया है।
धनतेरस के दिन किचेन के कम में आने वाली वस्तुएं जैसे नुकीला वस्तु, चाकू और लोहे के बर्तन नहीं खरीदना चाहिए।