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दीपों, धन व समृद्धि का पर्व है दीवाली, पूजन से आती है घर में खुशहाली

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Published on: 16 Oct 2017 8:32 AM GMT
दीपों, धन व समृद्धि का पर्व है दीवाली, पूजन से आती है घर में खुशहाली
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सहारनपुर: दीवाली हिंदुओं का सबसे प्रतिभाशाली धार्मिक व आध्यात्मिक त्योहार है, जिसे सब मिल कर रोशनी व खुशियों से मनाते हैं। घर-घर में प्रकाशमय वातावरण होने से दिन-रात में कोई फर्क पता नहीं चलता, तभी इसे दीपोत्सव भी कहते हैं। अमीर हो या गरीब सभी बहुत धूमधाम से मनाते हैं। दीवाली का उद्देश्य मिल-जुल कर भाई-चारे को बढ़ाना है। सभी एक-दूसरे को उपहार व मिठाई तोहफे के रुप में देते हैं।

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बच्चे इस दिन का इंतजार बहुत ही खुशी से करते हैं, उनको नए नए कपड़े‌ व तोहफे मिलते हैं व रात में पटाखे जला कर हर्षो-उत्साहित होते हैं। यह सभी धर्मों में मनाया जाता है। पाप पर सत्य की विज़य ही दीवाली है। दीवाली का त्योहार पांच दिन तक मनाया जाता है। हर एक दिन का अपना एक महत्व है, जो धनतेरस से शुरु हो कर भाई दूज तक मनाया जाता है।

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दिवाली क्यों मनाई जाती है?

इन खास दिनों को मनाने के एक नहीं बहुत से मुख्य कारण हैं, जो नीचे बताए गए हैं-

1- इस दिन समुंद्र मथन के दौरान धन की देवी का अवतार हुआ था। भगवान धनवंतरी व कुबेर की उत्पत्ति भी समुंद्र मंथन के दौरान इसी दिन हुई थी।

2- इस दिन श्री राम जी लंका पर विज़य पाने के पश्चात सीता व लक्ष्मण सहित अयोध्या वापिस लौटे थे, जिससे उनके स्वागत के लिए घर-घर घी के दीपक जलाए गए थे।

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3- इस दिन से दो दिन पहले भगवान कृष्ण ने नरकासुर को मार कर 16,000 स्त्रियों को उसकी कैद से बचाया था, जिस वज़ह से दीवाली के दिन तक जीत का त्योहार मनाया गया था।

4- आर्य समाज के संस्थापक व जैन धर्म के संस्थापक ने इस निर्वाण प्राप्त किया था।

5- अमृतसर में स्वर्ण मंदिर की स्थापना भी इसी दिन की गई थी और गुरु हरगोविंद जी को इसी दिन हिरासत से रिहा किया गया था।

6- इस दिन पांडव 12 वर्ष के वनवास के बाद वापिस लौटे थे, जिससे आने के पश्चात उन्होंने दीपक जला कर प्रकाश किया था।

7- राजा विक्रमादित्य का इस दिन राज्याभिषेक हुआ था। तभी से ये दिन ऐतिहासिक रुप से मनाना शुरु हुआ।

8- इस दिन भगवान विष्णु ने अपने वामन अवतार में देवी लक्ष्मी को राजा बाली की कैद से बचाया था।

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दीवाली कैसे मनाई जाती है?

दीवाली के समय में सूर्य व चंद्रमा की एक विशेष स्थिति बनती है, जिस समय में अनुष्ठान व सिद्धि करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। दीवाली का त्यौहार कई धर्म के लोग अपने रिवाज़ों के अनुसार खुशी व उल्लास से मनाते हैं। कुछ ही दिन पहले घरों व कार्य-स्थल की साफ-सफाई व रंग-रोगन करवाया जाता है, जहां साफ-सफाई होती है, वहां लक्ष्मी ज़रुर आती है। फिर घर को रोशनी व आकर्षक वस्तुओं से सजाया जाता है। व्यापारी लोग अपने बही-खातों की जांच करते हैं और व्यापार के नए नियम उत्साह के साथ लागू करते हैं।

इस साल 17 अक्टूबर 2017 को धनतेरस, 18 अक्टूबर 2107 को नरक चतुर्दशी, 19 अक्टूबर 2017 को दिवाली लक्ष्मी पूजन, 20 अक्टूबर 2017 को गोवर्धन पूजा व 21 अक्टूबर 2017 को भाई दूज मनाया जाएगा।

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