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नवरात्रि में इस तरह पूजन से मिलती है रोगों से मुक्ति, समाज में बढ़ता है मान सम्मान

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Published on: 23 Sep 2017 5:37 AM GMT
नवरात्रि में इस तरह पूजन से मिलती है रोगों से मुक्ति, समाज में बढ़ता है मान सम्मान
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सहारनपुर: नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती के विभिन्न अध्यायों का पाठ करने की बाबत NEWSTRACK.COM आपको काफी कुछ पिछले लेखों में बता चुका है। अब बात करेंगे कि आप असाध्य रोगों से कैसे छुटकारा पा सकते हैं? नवरात्रिर में देवी की अराधना कैसे की जाए कि रोगों से मुक्ति मिलने के साथ ही निर्भयता बढ़े और समाज में मान सम्मान बढ़े।

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सहारनपुर के श्री बालाजी धाम के संस्थापक गुरू श्री अतुल जोशी जी महाराज बताते हैं कि दुर्गा सप्तशती के बारहवें अध्याय में देवी के चरित्रों के पाठ का महात्म बताया गया है। देवताओं द्वारा स्तुति करने पर देवी कहती है कि जो पुरूष इन स्त्रातों द्वारा एकाग्रचित होकर मेरी स्तुति करेगा, उसके संपूर्ण कष्टों को निसंदेह मैं हर लूंगी।

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मधुकैटभ, महिषासुर, शुम्भ व निशुम्भ के वध की जो मनुष्य कथा कहेंगे, मेरे महात्यम को अष्टमी, चतुर्दर्शी व नवमी के दिन एकाग्रचित होकर भक्तिपूर्वक सुनेंगे, उनको कभी कोई पाप न रहेगा। उनके घर में दरिद्रता न रहेगी और रोगों से छुटकारा मिलेगा।

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मेरा यह महात्म महामारी से उत्पन्न हुए संपूर्ण उपद्रवों को एवं तीन प्रकार के उत्पातों को शांत कर देता है। इसलिए मानव को असाध्य रोगों से मुक्ति पाने के लिए मानव को दुर्गा सप्तशती के बारहवें अध्याय का पाठ जरूर करना चाहिए। इससे निर्भयता के साथ साथ समाज में मान सम्मान की प्राप्ति होगी।

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